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म्याँमार: गहराती निर्धनता के बीच, ग़ायब हो रहा है मध्य वर्ग

म्याँमार में चक्रवाती तूफ़ान मोका ने भारी तबाही मचाई, जिसमें बहुत से लोगों के आवास ही ध्वस्त हो गए.
© UNICEF/Naing Lin Soe
म्याँमार में चक्रवाती तूफ़ान मोका ने भारी तबाही मचाई, जिसमें बहुत से लोगों के आवास ही ध्वस्त हो गए.

म्याँमार: गहराती निर्धनता के बीच, ग़ायब हो रहा है मध्य वर्ग

आर्थिक विकास

म्याँमार में सैन्य तख़्तापलट के बाद हिंसक टकराव व असुरक्षा के बीच आम लोग बढ़ती निर्धनता, गम्भीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, और मध्य वर्ग का आकार पिछले तीन वर्षों में 50 फ़ीसदी तक सिकुड़ चुका है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की गुरूवार को प्रकाशित एक नई रिपोर्ट में यह निष्कर्ष प्रस्तुत किया गया है.

"Poverty and the Household Economy of Myanmar: A Disappearing Middle Class" शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में, फ़रवरी 2021 में, म्याँमार में सैन्य तख़्तापलट के बाद उपजी चुनौतियों और उनके गहरे प्रभावों को रेखांकित किया गया है. 

देश की 76 प्रतिशत आबादी जीवन-व्यापन व अपने अस्तित्व के लिए गुज़र-बसर कर रही है या उसके नज़दीक है. वर्ष 2017 में निर्धनता दर को 24.8 प्रतिशत आंका गया था, जोकि 2023 में बढ़कर 49.7 फ़ीसदी पर पहुँच गई. इसके अलावा, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भी गिरावट आई है.

म्याँमार में लम्बी मन्दी का देश की अर्थव्यवस्था पर असर हुआ है. 2021 में म्याँमार के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में -17.9 प्रतिशत का गम्भीर संकुचन आया था, जिसके बाद से कोई ख़ास बेहतरी नहीं हुई है.

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देश में आर्थिक झटकों को सहने और तेज़ी से अर्थव्यवस्था को उबारने में मध्य वर्ग की भूमिका को अहम माना जाता है, मगर यहाँ इसका आकार तेज़ी से घट रहा है और लोग फिर से निर्धनता के गर्त में धँस रहे हैं.

रिपोर्ट में अनुमान व्यक्त किया गया है कि निर्धनता में आए उछाल से, नक़दी हस्तांतरण और अन्य ज़रियों से निपटने के लिए प्रति वर्ष चार अरब डॉलर की आवश्यकता होगी. 

इस विश्लेषण के लिए म्याँमार में 12 हज़ार से अधिक घर-परिवारों की राय जानी गई और हाल के वर्षों में यह पहली बार है जब देश भर में इतने बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण किया गया है.

यूएन विकास कार्यक्रम के प्रशासक एखिम श्टाइनर ने बताया कि म्याँमार की 25 प्रतिशत से भी कम आबादी के पास स्थिर आय है, ताकि वो निर्धनता रेखा से ऊपर जीवन गुज़ार सकें.

“नक़दी हस्तांतरण, खाद्य सुरक्षा और बुनियादी सेवाओं की सुलभता को तत्काल उपलब्ध कराने के लिए उपायों के अभाव में, ये सम्वेदनशीलता यूँ ही बढ़ती रहेगी, और कई पीढ़ियों तक महसूस की जाएगी.”

कठिन हुआ दैनिक जीवन

रिपोर्ट के लिए म्याँमार में 12 हज़ार से अधिक घर-परिवारों की जानकारी जुटाई गई. बताया गया है कि अधिकाँश परिवारों को अपने जीवन-व्यापन के लिए मजबूरी में क़दम उठाने पड़े हैं, जिनमें स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा पर होने वाले ख़र्च में कटौती, जमा पूँजी का इस्तेमाल, उधार लेना और कम मात्रा में भोजन करने समेत अन्य उपाय हैं.

इस संकट का असर सबसे अधिक महिलाओं, बच्चों और हिंसक टकराव में रहने वाले लोगों पर हुआ है. रिपोर्ट बताती है कि निर्धनता का महिलाकरण हो रहा है. महिला मुखिया वाले घर-परिवारों के निर्धनता में दिन गुज़ारने की सम्भावना, पुरुष मुखिया वाले परिवारों की तुलना में 1.2 प्रतिशत अधिक है.

बढ़ती निर्धनता और शिक्षा की लागत की वजह से अनेक निम्न-आय वाले परिवार अब अपने संसाधनों का केवल दो प्रतिशत ही स्कूलों पर ख़र्च कर रहे हैं.

म्याँमार में 50 फ़ीसदी से अधिक बच्चे, निर्धनता रेखा के नीचे जीवन गुज़ार रहे हैं. मौजूदा संकट देश के भविष्य व प्रतिभाओं के लिए एक ख़तरा है, जिससे कई पीढ़ियों की क्षमता पर असर हो सकता है.

एक नाज़ुक डोर

यूएन विकास कार्यक्रम के विशेषज्ञों ने बताया कि म्याँमार में मध्य वर्ग, एक नाज़ुक डोर से झूल रहा है, जबकि कुछ ही वर्ष पहले तक यह एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में सबसे तेज़ी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था थी.

मगर, अब यहाँ आय जस की तस है और श्रम बाज़ार में हालात बद से बदतर हो रहे हैं. बड़ी संख्या में ऐसे परिवार भी हैं, जिनकी आय के अन्य ज़रिये फ़िलहाल समाप्त हो गए हैं, जिससे उनके सामाजिक-आर्थिक दर्जे पर असर हुआ है.

देश में आन्तरिक क्षेत्रीय विसंगतियों से भी मौजूदा संकट और गहन हो रहा है. हिंसक टकराव से ग्रस्त इलाक़ों में निर्धनता में उछाल आया है, जिसकी वजह घरों में हुई तबाही, खेतों तक जाने पर सख़्ती, घरेलू विस्थापितों की संख्या में वृद्धि है. इससे अस्थिरता और आर्थिक कठिनाइयाँ बढ़ी हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, निर्धनता अब शहरी इलाक़ों में भी फैल रही है, जिससे एक समय सम्पन्न कहे जाने वाले यैंगून और मन्डाले नामक इलाक़ों पर असर हो रहा है.

इसके मद्देनज़र, शहरी व ग्रामीण इलाक़ों में विभिन्न समुदायों की विशिष्ट ज़रूरतों को पूरा करने के इरादे से तत्काल अन्तरराष्ट्रीय समर्थन की पुकार लगाई गई है.