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काहिरा जनसंख्या सम्मेलन के 30 वर्ष, प्रगति का जायज़ा

1994 में हुए काहिरा जनसंख्या सम्मेलन के बाद 30 वर्षों के दौरान महिलाओं व लड़कियों की स्थिति में सुधार अवश्य हुआ है मगर अभी अनेक चुनौतियाँ बरक़रार हैं.
© UNFPA Honduras
1994 में हुए काहिरा जनसंख्या सम्मेलन के बाद 30 वर्षों के दौरान महिलाओं व लड़कियों की स्थिति में सुधार अवश्य हुआ है मगर अभी अनेक चुनौतियाँ बरक़रार हैं.

काहिरा जनसंख्या सम्मेलन के 30 वर्ष, प्रगति का जायज़ा

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष डेनिस फ़्रांसिस ने कहा है कि अगर देश लैंगिक खाई को पाटने और निर्धनता व असमानता को कम करने के लिए और अधिक कार्रवाई नहीं करते हैं तो, टिकाऊ विकास की दिशा में वैश्विक प्रगति लगातार बाधित होती रहेगी.

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यूएन महासभा अध्यक्ष ने ये बात, सोमवार को एक विशेष कार्यक्रम में कही जो, 1994 में मिस्र की राजधानी काहिरा में हुए जनसंख्या सम्मेलन के तीस वर्ष के दौरान हुई प्रगति का जायज़ा लेने के लिए आयोजित किया गया.

काहिरा सम्मेलन में एक कार्रवाई कार्यक्रम निर्धारित किया गया था जिसे 179 देशों की सरकारों ने अपनाया. उसमें प्रजनन अधिकारों, लैंगिक समानता और महिलाओं, लड़कियों व युवजन की मज़बूती को, विकास के केन्द्र में रखा गया.

विषम प्रगति

डेनिस फ़्रांसिस ने इन तीस वर्षों के दौरान हुई प्रगति को रेखांकित किया, विशेष रूप में निर्धनता में कमी, जीवन प्रत्याशा और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्रों में. 

उन्होंने कहा कि इस अवधि में मातृत्व मौतों में कमी हुई है, जबकि प्राथमिक शिक्षा तक पहुँच में बढ़ोत्तरी हुई है, लड़कियों और लड़कों दोनों ही के लिए.

उन्होंने कहा, “मगर हमें ये भी स्वीकार करना होगा कि प्रगति असमान रही है – देशों के भीतर और देशों के दरम्यान,” क्योंकि जलवायु परिवर्तन, टकरावों और अन्य संकटों ने, अनेक क्षेत्रों में कड़ी मेहनत से हासिल की गई प्रगति को ख़तरे में डाल दिया है.

डेनिस फ़्रांसिस ने कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद, कार्रवाई कार्यक्रम में शामिल किए गए महत्वाकांक्षी उद्देश्यों को समय के साथ महत्ता मिली है.

उन्होंने सर्वजन के लिए वर्ष 2030 तक टिकाऊ विकास प्राप्ति की दिशा में वैश्विक प्रयासों में, इन उद्देश्यों की प्रासंगिकता को भी रेखांकित किया.

महिलाओं व लड़कियों को समर्थन दें

यूएन महासभा अध्यक्ष ने कहा, “हमें यह मानने के लिए और अधिक प्रयास व कार्रवाई करने होंगे कि मज़बूत महिलाएँ और लड़कियाँ, बच्चे और निर्बल हालात वाले अन्य लोग, शान्तिपूर्ण, समृद्ध और टिकाऊ समाजों के मुख्य विषय बने रहें.

"और उनकी सम्भावनाओं के विकास के लिए उन्हें सक्रिय रूप से और अधिक समर्थन दिया जाए और उनके रास्ते को आसान बनाया जाए.”