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महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों के हनन पर चिन्ता, UNFPA रिपोर्ट

विकसित और विकासशील जगत में मातृत्व स्वास्थ्य के मामले में भारी विसंगति है.
© UNFPA Mali/Amadou Maiga
विकसित और विकासशील जगत में मातृत्व स्वास्थ्य के मामले में भारी विसंगति है.

महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों के हनन पर चिन्ता, UNFPA रिपोर्ट

महिलाएँ

यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य मामलों के लिए यूएन एजेंसी (UNFPA) ने आगाह किया है कि गर्भावस्था या प्रसव के दौरान जटिलताओं की वजह से, अफ़्रीकी महिलाओं की मौत होने की आशंका योरोप व उत्तरी अमेरिका क्षेत्र की महिलाओं की तुलना में 130 गुना अधिक है.

यूएन एजेंसी ने बुधवार को Interwoven Lives, Threads of Hope: Ending inequalities in sexual and reproductive health and rights, नामक रिपोर्ट प्रकाशित की है.

इसके अनुसार, 50 फ़ीसदी से अधिक रोकथाम योग्य मातृत्व मौतें ऐसे देशों में होती हैं, जोकि किसी संकट या कठिनाई से जूझ रहे हैं. 

रिपोर्ट में नस्लवाद, यौनवाद और भेदभाव के अन्य रूपों को भी रेखांकित किया गया है, जिनकी वजह से यौन व प्रजनन स्वास्थ्य मुद्दों पर प्रगति अवरुद्ध हो रही है.

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निर्धनता के गर्त में धंसी महिलाओं व लड़कियों की असामयिक मौत होने की सम्भावना कहीं अधिक है, चूँकि उन्हें पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ उपलब्ध नहीं हैं. विशेष रूप से अल्पसंख्यक समूहों में, या फिर वे हिंसक टकराव से ग्रस्त इलाक़ों में.  

यूएन एजेंसी की कार्यकारी निदेशक नतालिया कानेम ने यूएन न्यूज़ के साथ एक इंटरव्यू में बताया कि यौन व प्रजनन स्वास्थ्य मुद्दों के लिए, दुखद सच्चाई यह है कि एकजुट प्रयासों के बजाय, एक विभाजनकारी रवैया है, ध्रुवीकरण पैदा करने वाला सम्वाद है. 

उन्होंने क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों के मामले में उनके साथ दूसरे दर्जे के नागरिक जैसा रवैया अपनाया जाता है.

UNFPA का कहना है कि तीन दशक पहले वैश्विक टिकाऊ विकास में प्राथमिकता बनाए जाने के बाद, यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के क्षेत्र में ठोस प्रगति दर्ज की गई है.

एक पीढ़ी के भीतर, अनचाहे गर्भावस्था के मामलों में 20 फ़ीसदी की गिरावट लाने में सफलता मिली है, मातृत्व मौतों में एक तिहाई की कमी आई है और 160 देशों में घरेलू हिंसा के विरुद्ध क़ानून बनाए गए हैं.

प्रगति की सुस्त रफ़्तार

मगर, कई अहम क्षेत्रों में प्रगति की गति धीमी हो रही है या फिर उसके रास्ते में अवरोध हैं. एक ऐसी दुनिया में जहाँ एक चौथाई महिलाएँ अपने साथी को यौन सम्बन्धों को मना नहीं कर पाती हैं, और जहाँ हर 10 में से एक महिला की गर्भनिरोधक उपाय अपनाने में कोई आवाज़ नहीं है. 

हर दिन प्रसव के दौरान 800 महिलाओं की मौत होती है, और यह एक ऐसा चिन्ताजनक आँकड़ा है, जिसमें 2016 के बाद से कोई बदलाव नहीं आया है.

रिपोर्ट बताती है कि प्रतिदिन क़रीब 500 मौतें उन देशों में हो रही हैं, जोकि मानवीय संकट या हिंसक टकरावों से गुज़र रहे हैं. 

गर्भनिरोधक उपायों, सुरक्षित प्रसव सेवाओं, सम्मानजनक मातृत्व देखभाल और अन्य अहम सेवाओं के मामले में वैश्विक उत्तरी गोलार्द्ध और दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित देशों, उत्तर व दक्षिण, पूर्व व पश्चिम जगत के बीच स्पष्ट विसंगति है.