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हर महीने, सूडान से हज़ारों लोग दक्षिण सूडान और चाड जैसे नज़दीकी देशों की ओर पलायन कर रहे हैं, और कोई नहीं जानता कि यह सब कब ख़त्म होगा.

बलात्कार, हत्या और भूख: सूडान में एक वर्ष से जारी टकराव की विरासत

Ala Kheir
हर महीने, सूडान से हज़ारों लोग दक्षिण सूडान और चाड जैसे नज़दीकी देशों की ओर पलायन कर रहे हैं, और कोई नहीं जानता कि यह सब कब ख़त्म होगा.

बलात्कार, हत्या और भूख: सूडान में एक वर्ष से जारी टकराव की विरासत

शान्ति और सुरक्षा

बलात्कार, हत्या, भूख से जूझ रहे लोग. सड़कों पर बिखरी हुई लाशों के बीच से गुज़रना दूभर. ठीक एक वर्ष पहले, 15 अप्रैल को सूडान एक ऐसे युद्ध के गर्त में धँस गया था, जो अब भी जारी है, और जिसमें अब तक क़रीब 15 हज़ार लोग अपनी जान गँवा चुके हैं. 80 लाख लोग विस्थापित हुए हैं, दो करोड़ 50 लाख लोगों को तात्कालिक सहायता की आवश्यकता है. वहीं, यूएन मानवतावादियों द्वारा अकाल की आशंका जताई जा रही है, राहत प्रयासों के मार्ग में बाधाएँ बरक़रार हैं और दोनों पक्षों द्वारा अंजाम दिए गए अत्याचार मामलों की सूची बढ़ती जा रही है.

सूडान में यूएन आपात राहत कार्यालय के प्रमुख, जस्टिन ब्रैडी ने यूएन न्यूज़ को बताया कि देश में वेदना बढ़ती जा रही है और इसके बद से बदतर होने की आशंका है.

उन्होंने कहा कि, “संसाधनों के अभाव में, न केवल हम अकाल रोकने में नाकाम होंगे, बल्कि सम्भवत: किसी को कोई भी मदद देने में असमर्थ हो जाएँगे.” 

“विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) जैसी संस्थाओं से मिलने वाले ज़्यादातर राशन की मात्रा को पहले ही घटाकर आधा किया जा चुका है, इसलिए हम इस अभियान को आगे बढ़ाने की कोशिश में अब और कटौती नहीं कर सकते हैं.”

उन्होंने कहा कि अप्रैल 2023 के मध्य में परस्पर विरोधी सैन्य बलों, सूडानी सेना और अर्द्धसैनिक बल (RSF) के बीच लड़ाई शुरू हो गई. 

हवाई व ज़मीनी हमले शुरू होने के बाद, स्थिति गम्भीर होकर आपात स्तर पर पहुँच गई. आज पूरे देश में हिंसा की सूनामी जारी है, जो राजधानी, ख़ारतूम से आरम्भ होकर अन्य इलाक़ों को अपनी चपेट में ले रही है.

उम्मीद का दामन

पोर्ट सूडान से ज़रूरतमन्दों को जीवनरक्षक सहायता पहुँचाने के प्रयास जारी हैं. जस्टिन ब्रैडी ने वहाँ से जानकारी देते हुए कहा, “हमारे लिए सबसे चिन्ताजनक, ख़ारतूम के आसपास स्थित संघर्षरत इलाक़े व दारफ़ूर प्रान्त हैं.”  

हिंसक टकराव के कारण स्थिति गम्भीर होने पर कुछ ही हफ़्तों में, मानवीय सहायता एजेंसियों को राजधानी छोड़कर दूसरे इलाक़ों में जाना पड़ा था. 

जस्टिन ब्रैडी के अनुसार, हाल ही में जारी हुई अकाल की चेतावनी में कहा गया है कि एक करोड़ 80 लाख सूडानी लोग भूख का सामना कर रहे हैं, और 2024 के लिए 2.7 अरब डॉलर की सहायता योजना में से केवल 6 प्रतिशत वित्त पोषण प्राप्त हुआ है. 

उन्होंने कहा, “हालात बेहद ख़राब हैं, लेकिन मेरा मानना है कि अभी हम रसातल तक नहीं पहुँचे हैं.”

उन्होंने समझाया कि 2021 के तख़्तापलट के बाद से ही गिरती अर्थव्यवस्था और जातीय हिंसा के कारण, हिंसक टकराव से पहले भी हालात ख़राब ही थे.

वाड मदनी में आन्तरिक रूप से विस्थापित महिला, ख़दीजा.
Ala Kheir
वाड मदनी में आन्तरिक रूप से विस्थापित महिला, ख़दीजा.

फ़िलहाल पोर्ट सूडान में मानवीय सहायता सामग्री उपलब्ध है लेकिन सुरक्षित रूप से उसे ज़रूरतमन्दों तक पहुँचाना बड़ी चुनौती बन गई है. जगह-जगह राहत सहायता गोदाम लूटे जा रहे हैं, राह में लालफ़ीताशाही सम्बन्धी बाधाएँ है, असुरक्षा पसरी है और संचार व्यवस्था ठप हो चुकी है. 

उन्होंने कहा कि सूडान को अक्सर एक ‘भूला दिया गया संकट' क़रार दिया जाता है, लेकिन मेरा सवाल यह है कि भूलना तो बाद की बात है, इसके बारे में कितने लोगों को जानकारी थी.” 

युद्ध और बच्चे

जैसे-जैसे देश में भूख संकट पाँव पसार रहा है, समाचार माध्यमों के अनुसार, उत्तरी दारफ़ूर के ज़मज़म विस्थापित कैम्प में हर दो घंटों में एक बच्चे की मौत हो रही है. 

सूडान में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) की फ़ील्ड ऑपरेशन प्रमुख, जिल लॉलर ने यूएन न्यूज़ को बताया कि लगभग दो करोड़ 40 लाख बच्चे हिंसक टकराव संघर्ष से प्रभावित हैं और सात लाख 30 हज़ार बच्चे कुपोषण का शिकार हैं.

उन्होंने सूडान के दूसरे सबसे बड़े शहर ऑमदुरमान के लिए संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन के बारे में जानकारी देते हुए कहा, "बच्चों को ऐसे अनुभवों से नहीं गुज़रना चाहिए, बम धमाके या फिर कई-कई बार विस्थापित होने की त्रासदी," यह एक ऐसा "संघर्ष है जिसे ख़त्म करना बहुत ज़रूरी है."

एक करोड़ 90 लाख से अधिक बच्चे स्कूलों से बाहर हैं, और कई युवाओं के हाथों में हथियार देखे जा सकते हैं. इससे उन ख़बरों की पुष्टि होती है कि सशस्त्र गुटों द्वारा बच्चों की जबरन भर्ती की जा रही है.

स्तनपान कराने में असमर्थ

यूनीसेफ़ अधिकारी ने बताया कि युद्ध के शुरूआती महीनों में जिन महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार हुआ था, वो अब बच्चों को जन्म दे रही हैं. 

उनमें से कई इतनी कमज़ोर हो चुकी हैं कि उनके लिए अपने शिशुओं को स्तनपान करा पाना मुश्किल हो रहा है.

“एक माँ अपने तीन महीने के बच्चे का इलाज करवाने आई थी. दुर्भाग्यवश, वो अपने बेटे को दूध पिलाने में असमर्थ थीं, इसलिए उन्होंने उसे बकरी का दूध पिलाया, जिससे बच्चे को दस्त लग गए.”

उन्होंने कहा कि यह शिशु उन "भाग्यशाली लोगों" में से है, जिसे इलाज मिल सका. लाखों अन्य लोग देखभाल तक पहुँच से पूरी तरह वंचित हैं.

हिंसा से भाग रहे लोग, दक्षिण सूडान के उत्तर में रेन्क के एक पारगमन केंद्र से गुज़र रहे हैं.
© UNHCR/Ala Kheir

मृत्यु और विनाश का सिलसिला

अपनी जान बचाने के लिए दूसरे देशों में शरण लेने वाले सूडानी नागरिक, आन्तरिक रूप से विस्थापित और अन्य पीड़ितों ने अपनी आपबीती सुनाई.

संयुक्त राष्ट्र की एक पूर्व कर्मचारी, फ़ातिमा* ने यूएन न्यूज़ को बताया, "मैंने अपना सब-कुछ खो दिया. लड़ाकों ने हमारा घर लूटा और सब कुछ ले गए, यहाँ तक ​​कि दरवाज़े भी."

उन्होंने बताया कि जब लड़ाके व्यवस्थित रूप से लोगों को उनकी जातीयता के आधार पर निशाना बनाकर मार रहे थे, तो 57 दिनों तक, वह और उनका परिवार पश्चिम दारफ़ूर के एल जेनिना में अपने घर के अन्दर फँसा रहा.

उन्होंने कहा कि उनसे बचकर भाग निकलने की कोशिश करते समय "सड़कों पर इतने शव दिखे कि चलना भी मुश्किल हो गया था."

समाधान के कोई आसार नहीं

एक साल पहले ख़ारतूम में हुई हिंसक झड़पों के बाद से ही फ़ोटोग्राफ़र अला खैर, इस संघर्ष की कवरेज कर रहे हैं. उनका कहना है कि इस "संकट का स्तर" मीडिया में दिए जा रहे अनुमान से कहीं अधिक है.

उन्होंने एक इंटरव्यू में ज़ोर देकर कहा कि आम लोग इस घातक संघर्ष का सर्वाधिक ख़ामियाज़ा भुगत रहे हैं. उन्होंने यूएन न्यूज़ को बताया, "यह युद्ध बहुत अजीब है, क्योंकि दोनों ही पक्ष जनता से नफ़रत करते हैं, और वे पत्रकारों से भी नफ़रत करते हैं." 

उन्होंने कहा, "एक साल बाद भी, सूडान में भीषण युद्ध जारी है और लाखों सूडानी लोगों का जीवन पूरी तरह ठप हो चुका है. किसी भी तरह के समाधान के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं."

पूर्वी सूडान में पानी इकट्ठा करते, महिलाएँ और बच्चे.
© UNICEF/Ahmed Elfatih Mohamdee

अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह

OCHA के जस्टिन ब्रैडी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने रमज़ान के पवित्र महीने के दौरान युद्धविराम का आह्वान किया था, जो पिछले सप्ताह ही समाप्त हुआ है, लेकिन लड़ाई जारी है.

उन्होंने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को किनारे पर बैठने के बजाय, दोनों पक्षों को सम्वाद के लिए साथ बैठाने की ज़रूरत है, क्योंकि यह संघर्ष सूडान के लोगों के लिए एक दु:स्वपन बन चुका है."

इस बीच, अकाल की रोकथाम की योजना पर काम चल रहा है, और इसके लिए आवश्यक धनराशि जुटाने के इरादे से, युद्ध का एक साल पूरा होने पर सोमवार को पेरिस में एक संकल्प सम्मेलन शुरू हुआ.

उन्होंने कई सहायता एजेंसियों की पुकार दोहराते हुए कहा कि गोलीबारी के बीच फँसे सूडानी लोगों का यह दुःस्वप्न अब ख़त्म होना चाहिए.

* पहचान गुप्त रखने के लिए नाम बदल दिया गया है.

सूडान में विश्व खाद्य कार्यक्रम और वर्ल्ड रिलीफ़ नामक साझेदार संगठन, पश्चिमी दारफ़ूर में ज़रूरतमन्दों को खाद्य सहायता प्रदान कर रहे हैं.
© WFP/World Relief