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दक्षिण सूडान में महिलाएँ, एक पोषण केन्द्र पर अपने बच्चों को आहार दे रही हैं.

अकाल क्या है? कुछ अहम तथ्य

© WFP
दक्षिण सूडान में महिलाएँ, एक पोषण केन्द्र पर अपने बच्चों को आहार दे रही हैं.

अकाल क्या है? कुछ अहम तथ्य

स्वास्थ्य

हिंसक टकराव से प्रभावित समुदायों का भूख संकट से पीड़ित होना और पर्याप्त भोजन उपलब्ध ना होने की स्थिति का बद से बदतर होते जाना, एक गम्भीर चिन्ता का विषय है. खाद्य असुरक्षा की स्थिति के बिगड़ने से अकाल जैसे हालात उत्पन्न होने की आशंका बढ़ जाती है. अकाल क्या है और इसे कब वर्गीकृत किया जाता है, यूएन न्यूज़ ने इस विषय में अहम जानकारी जुटाई है...

युद्धग्रस्त ग़ाज़ा पट्टी में खाद्य असुरक्षा स्थिति पर एक नई रिपोर्ट जारी की गई है, जो बताती है कि स्थानीय आबादी किस स्तर पर खाद्य असुरक्षा से जूझ रही है. 

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के मुख्य अर्थशास्त्री आरिफ़ हुसैन ने, यूएन न्यूज़ के साथ एक बातचीत में इस प्रक्रिया के बारे में और जानकारी दी.

अकाल के लिए खाद्य असुरक्षा की सीमा क्या है?

अकाल मुख्य रूप से एक तकनीकी शब्द है, और यह उस स्थिति में इस्तेमाल में लाया जाता है, जब कोई आबादी व्यापक स्तर पर कुपोषण और भोजन की कमी की वजह से, भूख से होने वाली मौतों का सामना कर कर रही हो.

WFP के मुख्य अर्थशास्त्री आरिफ़ हुसैन ने बताया कि किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र (नगर, गाँव, शहर या देश) में जब तीन प्रकार की स्थिति एक साथ पनप जाएं, तो उसे वहाँ अकाल कहा जाता है. 

  • स्थानीय आबादी का कम से कम 20 फ़ीसदी हिस्सा चरम स्तर पर भूख का सामना कर रहा हो
  • उसी स्थान पर 30 प्रतिशत बच्चे नाटेपन का शिकार हों, या फिर अपनी लम्बाई की तुलना में बहुत पतले हों
  • मौतें या मृत्यु दर औसत से दोगुने हो गए हों, वयस्कों के लिए प्रति 10 हज़ार व्यक्तियों पर दो मौतों और बच्चों के लिए प्रति 10 हज़ार बच्चों पर दैनिक चार मौतों की संख्या को पार कर गई हो 

“आप स्पष्टता से देख सकते हैं कि अकाल, एक प्रकार से सामूहिक विफलता को स्वीकार करना है. हमें अकाल से बहुत पहले क़दम उठाने चाहिएँ, ताकि लोग भुखमरी से और बच्चे नाटेपन से ना जूझें, और भूख-सम्बन्धी कारणों से लोगों की मौत ना हों.”

इथियोपिया के बाटी के एक राहत केन्द्र में एक माँ, अपने नवजात शिशु के साथ.
UN Photo/John Isaac
इथियोपिया के बाटी के एक राहत केन्द्र में एक माँ, अपने नवजात शिशु के साथ.

भोजन क़िल्लत की निगरानी किस तरह की जाती है?

1970 या 1980 के दशकों में जिस तरह से अकाल का अनुभव किया गया, उसकी तुलना में आज स्थिति बदली है. उस दौर में इथियोपिया समेत अन्य देशों में सूखा, अकाल का मुख्य कारण था.

आरिफ़ हुसैन ने यूएन न्यूज़ को बताया कि वर्षों पहले, जब अकाल पड़ता था तो हम कह सकते थे कि, “मुझे दुख है. मुझे नहीं मालूम था. यदि मुझे मालूम होता, तो मैंने कुछ किया होता.”

“आज, हम संकटों को वास्तविक समय में घटित होते हुए देखते हैं, तो हम यह नहीं कह सकते कि हमें मालूम नहीं था.”

“अतीत के किसी भी समय की तुलना में आज दायित्व कहीं अधिक है.”

अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी एजेंसियाँ एक विस्तृत निगरानी प्रणाली के ज़रिये जलवायु सम्बन्धी खाद्य असुरक्षा पर अब क़रीबी नज़र रखती हैं, चाहे वे कहीं भी सक्रिय हों.

वर्तमान में, अकाल या उसके जोखिम मोटे तौर पर हिंसक टकराव की वजह से पनपते हैं, जैसाकि दक्षिण सूडान, यमन और अब क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े में देखा गया है.

21वीं सदी में, अचानक फैलने वाले खाद्य अभाव पर नज़र रखने के नवाचारी उपायों की मदद से जलवायु-सम्बन्धी अकाल की एक तरह से रोकथाम की जा चुकी है. वर्ष 2004 में खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने सोमालिया में संकट के दौरान इसे विकसित किया था, जिसे अब विश्व भर में मानवतावादी एजेंसियाँ इसे इस्तेमाल करती हैं. 

इस पहल को एकीकृत सुरक्षा चरण वर्गीकरण (Integrated Security Phase Classification / IPC) के रूप में जाना जाता है.

यमन में विश्व खाद्य कार्यक्रम से सहायता प्राप्त एक परिवार भोजन करते हुए.
© WFP/Saleh Hayyan
यमन में विश्व खाद्य कार्यक्रम से सहायता प्राप्त एक परिवार भोजन करते हुए.

एकीकृत सुरक्षा चरण वर्गीकरण या IPC क्या है?

IPC एक नवाचारी, अनेक साझीदारों की पहल है, जिसका उद्देश्य खाद्य सुरक्षा स्थिति को बेहतर बनाना, पोषण स्थिति का विश्लेषण और उसके अनुरूप निर्णय लेना है. 

इस व्यवस्था के ज़रिये देशों की सरकारों, यूएन एजेंसियों, ग़ैर-सरकारी संगठनों, नागरिक समाज और अन्य प्रासंगिक पक्षों को एक साथ मिलकर किसी देश में अन्तरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप खाद्य असुरक्षा स्थिति व कुपोषण की गम्भीरता व उसकी विशालता को समझने में मदद मिलती है.

खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा वर्ष 2004 में पहली बार सोमालिया के लिए इस्तेमाल की गई यह पहल, अब 30 देशों में मौजूद है. 19 संगठनों की एक वैश्विक साझेदारी, वैश्विक, क्षेत्रीय और देशीय स्तर पर IPC को विकसित करने व उसे लागू करने में अग्रणी भूमिका निभा रही है.

पिछले दो दशकों में, वैश्विक खाद्य सुरक्षा क्षेत्र में IPC एक सर्वोत्तम व्यवस्था साबित हुई है और इसे लातिन अमेरिका, अफ़्रीका व एशिया क्षेत्र के 30 देशों में रचनात्मक सहयोग के एक मॉडल के रूप में देखा जाता है. 

IPC के ज़रिये भूख सम्बन्धी स्थिति की निगरानी की जाती है, मगर अचानक, विशाल स्तर पर कुपोषण फैलने से पहले ही, यह ऐसी आशंका के प्रति ऐलर्ट भी जारी कर सकती है. यानि खाद्य असुरक्षा स्थिति के गम्भीर, जीवन पर जोखिम वाले हालात में तब्दील होने से पहले ही जानकारी मिल सकती है.

संयुक्त राष्ट्र इथियोपिया के टीगरे क्षेत्र में ज़रूरतमन्दों तक जीवनरक्षक सहायता पहुँचा रहा है.
© WFP/Claire Nevill
संयुक्त राष्ट्र इथियोपिया के टीगरे क्षेत्र में ज़रूरतमन्दों तक जीवनरक्षक सहायता पहुँचा रहा है.

IPC व्यवस्था किस तरह से काम करती है?

IPC, अपने आप डेटा नहीं जुटाती है. यह सूचना ज़मीन पर मौजूद मानवतावादी संगठनों के ज़रिये हासिल की जाती है.

इसमें खाद्य सुरक्षा, पोषण, मृत्यु दर, लोगों की आजीविका, उन्हें मिलने वाली कैलोरी से जुड़ी जानकारी के अलावा यह भी पता लगाया जाता है कि भोजन की तलाश में लोग किस तरह के क़दम उठाने के लिए मजबूर हो रहे हैं. बच्चों की बाँह का नाप लिया जाता है ताकि कुपोषण की जाँच की जा सके.  

यूएन एजेंसी अधिकारी आरिफ़ हुसैन ने बताया कि डेटा जुटाने की प्रक्रिया रुकती नहीं है. यहाँ तक कि युद्धक्षेत्रों में भी यह जारी रहती है.

जब किसी स्थान पर पहुँचना मुश्किल साबित हो रहा हो, तो सूचना प्राप्त करने के लिए मोबाइल फ़ोन के ज़रिये सर्वेक्षण किए जाते हैं, और यदि यह सम्भव ना हो तो सैटेलाइट का सहारा लिया जाता है.

IPC के साझेदार संगठनों में तकनीकी विशेषज्ञ बड़ी मात्रा में डेटा का इस्तेमाल करते हैं ताकि निर्णय-निर्धारकों को बेहतर ढंग से सूचित किया जा सके. ज़मीन पर बद से बदतर होने वाली स्थिति को टालने के लिए प्रयासों में उनकी अहम भूमिका है.

विश्व खाद्य कार्यक्रम अपने छह साझेदार संगठनों के साथ मिलकर ग़ाज़ा पट्टी में परिवारों के लिए भोजन की व्यवस्था कर रहा है.
© WFP/Mostafa Ghroz
विश्व खाद्य कार्यक्रम अपने छह साझेदार संगठनों के साथ मिलकर ग़ाज़ा पट्टी में परिवारों के लिए भोजन की व्यवस्था कर रहा है.

इसके बाद IPC विशेषज्ञ डेटा का विश्लेषण करते हैं और आबादियों को पाँच हिस्सों में वर्गीकृत करते हैं:

  • पहला चरण, जहाँ कोई दबाव महसूस ना किया जा रहा हो
  • दूसरा चरण, जब लोगों को भोजन की तलाश में कठिनाई झेलनी पड़ रही हो
  • तीसरा चरण, यह खाद्य संकट की एक स्थिति है
  • चौथा चरण, आपात स्थिति
  • पाँचवा चरण, विनाशकारी हालात या अकाल 

इन पाँच चरणों में, आबादी के अनुपात के आधार पर भौगोलिक क्षेत्रों को भी गम्भीरता के नज़रिये से वर्गीकृत करते हुए, IPC मानचित्र में भिन्न-भिन्न रंगों से प्रस्तुत किया जाता है.

सबसे कम गम्भीर से सर्वाधिक गम्भीर चरण तक. (न्यूनतम, दबाव, संकट, आपात स्थिति व अकाल)

इन भौगोलिक क्षेत्रों के वर्गीकरण से यह जानने में मदद मिलती है कि किस स्थिति में कार्रवाई और किस प्रकार से उपाय किए जा सकते हैं, और इससे प्राथमिकताओं को तय करने में मदद मिलती है. 

अकाल समीक्षा समिति

अकाल पड़ने की आशंका होने पर, एक अतिरिक्त क़दम और उठाया जाता है, जिसमें IPC अकाल समीक्षा समिति की मदद ली जाती है.

इस समिति में, पोषण से लेकर स्वास्थ्य व खाद्य सुरक्षा विषयों पर विश्व के अग्रणी विशेषज्ञ शामिल हैं. किसी देश में 20 फ़ीसदी प्रभावित आबादी के IPC के पाँचवे चरण से जूझने, यानि अकाल या विनाशकारी हालात का सामना करने की स्थिति में इस समिति की बैठक होती है.

यह प्रक्रिया आम सहमति पर आधारित है और इसमें सभी साझीदारों का एक निष्कर्ष पर सहमत होना ज़रूरी होता है, जिसकी फिर अकाल समीक्षा समिति के ज़रिये पुष्टि की जाती है. 

सोमालिया में सूखे के कारण 20 लाख से अधिक लोगों को भोजन व जल की गम्भीर क़िल्लत से जूझना पड़ रहा है.
UNDP Somalia
सोमालिया में सूखे के कारण 20 लाख से अधिक लोगों को भोजन व जल की गम्भीर क़िल्लत से जूझना पड़ रहा है.

इस समिति की बैठक में सभी उपलब्ध डेटा और IPC साझेदारों के विश्लेषण की जाँच की जाती है, ताकि उनकी विश्वसनीयता को निर्धारित किया जा सके और यह देखा जा सके कि मौजूदा डेटा के ज़रिये खाद्य असुरक्षा स्थिति को अकाल में वर्गीकृत करना सही है या नहीं. 

इसके बाद, विशेषज्ञों द्वारा मौजूदा स्थिति को प्रस्तुत किया जाता है, और अगले तीन या छह महीनों के लिए अनुमान व्यक्त किए जाते हैं, जैसाकि दिसम्बर 2023 में ग़ाज़ा पर IPC रिपोर्ट में किया गया था.

भोजन क़िल्लत सम्बन्धी ऐलर्ट के बाद सहायता एजेंसियों की क्या भूमिका है?

मानवतावादी एजेंसियाँ, इस महत्वपूर्ण IPC वर्गीकरण का इस्तेमाल संकट स्तर की खाद्य असुरक्षा स्थिति (तीसरा चरण) और चौथे व पाँचवे चरण के लिए सहायता योजनाएँ बनाने और लोगों तक मदद पहुँचाने में करती है. उनका लक्ष्य अकाल की स्थिति को टालना है.

WFP अधिकारी आरिफ़ हुसैन ने बताया कि लोगों तक पहुँचने की कोशिश की जाती है, ताकि अकाल जैसी स्थिति, या IPC के पाँचवे चरण का सामना करने की नौबत ही ना आए.

“हम संकट स्तर पर और निश्चित रूप से आपात स्तर पर बहुत, बहुत मेहनत करते हैं, ताकि लोगों की ज़िन्दगियों की रक्षा की जा सके और वे IPC के पाँचवे चरण में ना पहुँचे, जिसे अकाल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है.”

इसमें खाद्य सहायता के स्तर को बढ़ाना भी है. “जब हम ऐसा करते हैं, तो हम ज़िन्दगियों की रक्षा कर सकते हैं.”

हेती की राजधानी पोर्त-ओ-प्रिन्स में गैंग हमलों के कारण विस्थापित लोगों ने एक स्कूल में शरण ली हुई है.
© IOM/Antoine Lemonnier
हेती की राजधानी पोर्त-ओ-प्रिन्स में गैंग हमलों के कारण विस्थापित लोगों ने एक स्कूल में शरण ली हुई है.

‘हम अकाल शब्द से बचना चाहते हैं’

यूएन खाद्य एजेंसी के अनुमान के अनुसार, आवश्यकताएँ विशाल स्तर पर बरक़रार हैं. 72 देशों में 30.9 करोड़ लोग, संकट या उससे बदतर खाद्य अभाव के संकट से जूझ रहे हैं.

WFP के आरिफ़ हुसैन ने बताया कि अकाल एक ऐसा शब्द है, जिसके इस्तेमाल को वो टालना चाहते हैं, और उनका अन्तिम लक्ष्य रोकथाम करना है. 

उन्होंने कहा कि यदि हम अकाल से बचना चाहते हैं तो उसका सबसे आसान रास्ता, हिंसक टकराव को रोकना है. मगर, यदि उसमें समय लग रहा हो तो यह हमारा दायित्व है कि हम मासूम लोगों का पेट भर पाएं, उन्हें जल व दवा समेत अन्य आवश्यक सामान मुहैया कराएं, जो या तो ऐसे स्थानों पर फँसे हुए हैं या फिर वहाँ से विस्थापित हुए हैं. 

ग़ाज़ा पर नई IPC रिपोर्ट: अकाल ने दी दस्तक

IPC की नई अकाल समीक्षा समिति की नई रिपोर्ट 18 मार्च को जारी की गई है, जिसमें ग़ाज़ा में बद से बदतर होती स्थिति पर ध्यान केन्द्रित किया गया है.

ज़मीन पर मौजूद यूएन टीमों ने लम्बे समय से अकाल की आशंका के प्रति आगाह किया है. 7 अक्टूबर को इसराइल पर हमास के हमलों में 1,200 लोग मारे गए थे और 250 को बंधक बना लिया गया था.

इसके बाद, इसराइल की जवाबी सैन्य कार्रवाई में अब तक 31 हज़ार फ़लस्तीनियों की मौत हो चुकी है, मानवीय सहायता के प्रवेश पर सख़्ती बरती गई है, जिससे बड़े पैमाने पर लोगों को भूख की मार झेलनी पड़ रही है और भुखमरी के कारण मौतें हो रही हैं. 

फ़रवरी 2024 तक, ग़ाज़ा की पूरी आबादी, 22 लाख लोग, IPC के तीसरे चरण, संकट स्तर पर या उससे बदतर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे थे.

बताया गया है कि IPC पहल पर अमल किए जाने के बाद, यह पहली बार है जब किसी एक देश या क्षेत्र में लोगों का इतना बड़ा हिस्सा अचानक खाद्य असुरक्षा से जूझ रहा है.

इसराइल द्वारा अक्टूबर महीने में ग़ाज़ा में आक्रमण किए जाने के कुछ ही समय बाद, यूएन एजेंसियों और साझेदार संगठनों ने सहायता की पुकार लगाई थी. 

इसके बाद, IPC की अकाल समीक्षा समिति ने पिछले साल के अन्तिम दिनों में ग़ाज़ा पर अपनी पहली रिपोर्ट जारी की. खाद्य असुरक्षा की वजह बनने वाले हालात अब भी जारी हैं, जिसके मद्देनज़र, मार्च 2024 में दूसरी रिपोर्ट प्रकाशित की गई है.

ग़ाज़ा के अनेक बच्चों में तेज़ी से वज़न घटने और कुपोषण का शिकार होने के लक्षण दिखाई दे रहे हैं.
© UNICEF/Eyad El Baba
ग़ाज़ा के अनेक बच्चों में तेज़ी से वज़न घटने और कुपोषण का शिकार होने के लक्षण दिखाई दे रहे हैं.

रिपोर्ट के कुछ अहम निष्कर्ष

  • अकाल की रोकथाम के लिए ज़रूरी शर्तों को फ़िलहाल पूरा नहीं किया गया है. नवीनतम तथ्य दर्शाते हैं कि उत्तरी इलाक़े में अकाल की स्थिति बेहद नज़दीक है और मध्य-मार्च से मई 2024 तक यह इलाक़े को अपनी चपेट में ले सकती है.
     
  • ग़ाज़ा में 88 फ़ीसदी लोग अब IPC वर्गीकरण के आधार पर, चौथे चरण या उससे बदतर खाद्य असुरक्षा हालात (आपात स्तर या उससे बदतरीन) का सामना कर रहे हैं. 
     
  • इस आबादी में, क़रीब 50 फ़ीसदी (11 लाख लोग), विनाशकारी स्थिति से जूझ रहे हैं, जोकि IPC वर्गीकरण में पाँचवा चरण है.
     
  • उत्तरी ग़ाज़ा में अचानक कुपोषण का स्तर, अकाल की दहलीज़ (30 फ़ीसदी) को पार करने की सम्भावना है. पिछले कुछ महीनों में नाटेपन के मामलों में भी वृद्धि हुई है.
     
  • बच्चों, गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं और वृद्धजन की बढ़ती पोषण सम्वेदनशीलता विशेष रूप से चिन्ता का विषय है.
     
  • मार्च से जुलाई 2024 के अनुमान दर्शाते हैं कि ग़ाज़ा की 100 फ़ीसदी आबादी, 22 लाख लोगों को संकट स्तर पर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ेगा.