15 करोड़ लोग गम्भीर खाद्य असुरक्षा के पीड़ित, हिंसक संघर्ष हैं बड़ी वजह
हिंसक संघर्ष, चरम मौसम की घटनाओं और कोविड-19 से उपजे आर्थिक झटकों के कारण, वर्ष 2020 में कम से कम 15 करोड़, 50 लाख लोगों को संकट के स्तर पर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा है. संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने बुधवार को एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें प्रभावितों तक राहत पहुँचाने, व्यापक पैमाने पर मौतें टालने और आजीविकाएँ ढहने से बचाने के लिये तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया गया है.
खाद्य संकटों के विरुद्ध वैश्विक नैटवर्क (Global Network Against Food Crises) के इस अध्ययन में जिन 55 देशों में हालात की समीक्षा की गई है उनमें, भुखमरी का यह बदहाल स्तर पाँच वर्ष पहले दर्ज किया गया था.
Global Network Against Food Crises report is now out! Over 155 million people experienced acute food insecurity in 2020 – an increase of 20 million people compared to 2019.We need to tackle hunger and conflict together 👉https://t.co/z1Zj12W4tE#fightfoodcrises pic.twitter.com/UrOFezEfCA
FAO
रिपोर्ट दर्शाती है कि वर्ष 2019 की तुलना में पिछले साल, अतिरिक्त दो करोड़ लोगों को भूखे पेट रहना पड़ा.
बताया गया है कि अफ़्रीकी देश विषमतापूर्ण ढंग से प्रभावित हैं. हिंसक संघर्ष के कारण लगभग 10 करोड़ लोगों के पास खाने के लिये पर्याप्त भोजन नहीं है जिससे उनकी ज़िन्दगी व आजाविका पर जोखिम है.
आर्थिक झटकों की वजह से चार करोड़ और चरम मौसम जनित घटनाओं के कारण डेढ़ करोड़ से अधिक लोग खाद्य असुरक्षा से प्रभावित हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने आगाह किया है कि हिंसक संघर्ष और भुखमरी एक दूसरे को शह देते हैं.
“हमें भुखमरी और हिंसक संघर्ष में से किसी एक को सुलझाने के लिये, दोनों का एक साथ मुक़ाबला करने की आवश्यकता है... इस बुरे कुचक्र का अन्त करने के लिये हमें वो सब कुछ करना होगा, जो हम कर सकते हैं.”
“भुखमरी को दूर करना, स्थिरता व शान्ति के लिये एक नींव समान है.”
रिपोर्ट बताती है कि बुरकिना फ़ासो, दक्षिण सूडान और यमन सबसे अधिक प्रभावित देशों में हैं. इन देशों में सवा लाख से ज़्यादा लोग, सबसे अधिक ज़रूरतमन्दों में है.
प्रभावितों तक राहत पहुँचाने, व्यापक पैमाने पर मौतें टालने और आजीविकाएँ ढहने से बचाने के लिये तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया गया है.
स्वस्थ आहार का अभाव
38 देशों व क्षेत्रों में क़रीब दो करोड़, 80 लाख लोगों को पोषक आहार की गम्भीर कमी से जूझना पड़ रहा है और वे कुपोषण के सबसे ख़राब रूप का शिकार होने से बस एक ही क़दम दूर हैं.
अनुमान है कि वर्ष 2020 में, नौ करोड़ 80 लाख लोगों के पास खाने के लिये पर्याप्त भोजन नहीं था, जिससे उनके जीवन पर जोखिम मंडरा रहा है. हर तीन प्रभावितों में से दो व्यक्ति अफ़्रीकी महाद्वीप के देशों में हैं.
विश्व के अन्य हिस्सों में भी हालात ख़राब हैं, पिछले वर्ष सबसे ख़राब खाद्य संकटों का सामना करने वाले देशों में – यमन, अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया और हेती थे.
यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र, योरोपीय संघ और सरकारी व ग़ैर-सरकारी एजेंसियों ने तैयार की है. पिछले पाँच वर्षों 39 देशों व क्षेत्रों ने खाद्य संकटों का सामना किया है.
इन देशों व क्षेत्रों में, खाद्य असुरक्षा के ऊँचे स्तर से प्रभावित आबादी, वर्ष 2016 में नौ करोड़ 40 लाख से बढ़कर और 2020 में, 14 करोड़ से अधिक हो गई.
रिपोर्ट में जिन 55 देशों और क्षेत्रों का उल्लेख है, उनमें पाँच वर्ष से कम उम्र के साढ़े सात करोड़ से अधिक बच्चे, नाटेपन का शिकार हैं और कम से कम डेढ़ करोड़ बच्चों में 2020 में दुर्बलता के संकेत नज़र आए हैं.
बताया गया है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 ने वैश्विक खाद्य प्रणालियों की कमज़ोरियों को उजागर किया है और ज़्यादा न्यायसंगत, टिकाऊ व सुदृढ़ प्रणालियों की अहमियत को रेखांकित किया है.
यूएन प्रमुख ने मार्च 2020 में, अकाल की रोकथाम के लिये यूएन में आपात राहत मामलों के प्रमुख की अगुवाई में एक टास्क फ़ोर्स का गठन किया था.
इस टीम में खाद्य एवँ कृषि संगठन (FAO), विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और अन्य यूएन एजेंसियाँ व ग़ैर-सरकारी संगठन शामिल हैं.