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महिलाओं की आर्थिक मज़बूती बढ़ाने के 5 तरीक़े

टकराव और जलवायु आपदाओं से प्रभावित चाड में, महिलाओं ने, ज़मीन को खेतीबाड़ी के लिए उपयुक्त बनाने का बीड़ा उठाया.
© WFP/Evelyn Fey
टकराव और जलवायु आपदाओं से प्रभावित चाड में, महिलाओं ने, ज़मीन को खेतीबाड़ी के लिए उपयुक्त बनाने का बीड़ा उठाया.

महिलाओं की आर्थिक मज़बूती बढ़ाने के 5 तरीक़े

महिलाएँ

अगर महिलाओं की मज़बूती और प्रगति के लिए संसाधन निवेश की मौजूदा दर की बात करें तो, वर्ष 2030 में, 34 करोड़ से अधिक महिलाएँ और लड़कियाँ, अत्यन्त निर्धनता में जीवन जी रही होंगी. जब दुनिया 8 मार्च को, महिलाओं में संसाधन निवेश की थीम के साथ अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रही है तो, आइए नज़र डालते हैं कि दुनिया भर में महिलाओं की आर्थिक स्थिति बेहतर बनाने के लिए, क्या किए जाने की आवश्यकता है...

अगर महिलाओं की मज़बूती और प्रगति के लिए संसाधन निवेश की मौजूदा दर की बात करें तो, वर्ष 2030 में, 34 करोड़ से अधिक महिलाएँ और लड़कियाँ, अत्यन्त निर्धनता में जीवन जी रही होंगी. जब दुनिया 8 मार्च को, महिलाओं में संसाधन निवेश की थीम के साथ अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रही है तो, आइए नज़र डालते हैं कि दुनिया भर में महिलाओं की आर्थिक स्थिति बेहतर बनाने के लिए, क्या किए जाने की आवश्यकता है...

“इस वर्ष की थीम – महिलाओं में संसाधन निवेश – हमें याद दिलाती है कि पुरुष प्रधान व्यवस्था की समाप्ति के लिए, धन की उपलब्धता ज़रूरी है.“ ये बात यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने, इस वर्ष अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर अपने सन्देश में कही है.

उन्होंने कहा है कि ये सब, टिकाऊ विकास के लिए धन की उपलब्धता बढ़ाने पर निर्भर करेगा ताकि देशों के पास, महिलाओं और लड़कियों की प्रगति व मज़बूती के लिए संसाधन निवेश करने के लिए, धन उपलब्ध रहे. 

यूएन प्रमुख ने महिलाओं के विरुद्ध हिंसा की समाप्ति और अर्थव्यवस्थाओं, डिजिटल प्रौद्योगिकियों, शान्तिनिर्माण व जलवायु कार्रवाई में महिलाओं की भागेदारी और उनके नेतृत्व को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों को समर्थन देने के लिए कार्रवाई का आहवान किया.

इस समय दुनिया को, विकासशील देशों को, 2030 के टिकाऊ विकास एजेंडा के तहत लैंगिक समानता पर ध्यान देने के लिए, सालाना अतिरिक्त $360 अरब की आवश्यकता है.

सम्पत्ति और वित्त में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाना, जहाँ उनकी आर्थिक मज़बूती के लिए महत्वपूर्ण है, वहीं ऐसे संस्थानों का निर्माण किया जाना भी उतना ही अहम है जो, सामाजिक कल्याण और टिकाऊ विकास में सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा दें.

यहाँ प्रस्तुत हैं पाँच ऐसे बिन्दु, जिनसे महिलाओं की आर्थिक मज़बूती को बढ़ावा मिलना पक्की बात है:

1. संसाधन: तेज़ी से बढ़ावा

महिलाओं को वित्तीय संसाधनों से जोड़ने से, उन्हें अपनी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने और व्यवसाय शुरू करने या उसे आगे बढ़ाने में मदद मिल सकती है, लेकिन महिला स्वामित्व वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के व्यवसायों में इस समय 1.7 ट्रिलियन डॉलर की कमी है.

महिलाओं के स्वामित्व वाले छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए, क़र्ज़ अन्तर को कम करने से, वर्ष 2030 तक वार्षिक आय में औसतन 12 प्रतिशत की वृद्धि होगी.

इसके अतिरिक्त, महिलाओं को भूमि, सूचना, प्रौद्योगिकी और प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता की भी ज़रूरत है. वर्ष 2022 में दो अरब 70 करोड़ लोगों के पास, इंटरनेट सुविधा नहीं थी, जबकि ये कोई रोज़गार हासिल करने या कारोबार करने के लिए, एक बुनियादी ज़रूरत है.

कामकाजी महिलाओं की लगभग एक तिहाई संख्या, कृषि आधारित उद्योगों में नियुक्त हैं, मगर फिर भी 87 देशों में उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार, उन महिलाओं के लिए, ज़मीन पर मालिकाना अधिकार हासिल करने की सम्भावना, पुरुषों की तुलना में कहीं कम है.

जब महिलाओं को संसाधनों तक पहुँच, उनके मालिकाना हक़ और उनका प्रयोग करने के समान अधिकार होते हैं तो वो अपना रहन-सहन, शिक्षा बेहतर बनाकर, कोई कारोबार शुरू करके और अपनी आय पर अपने अधिकार का प्रयोग करके, एक ऐसे समाज का निर्माण कर सकती हैं जो उनके लिए काम करे.

उदाहरण के लिए, कई सन्दर्भों में महिलाओं की मज़बूती से, लिंग आधारित हिंसा में भी कमी होती है, राजनैतिक और सामाजिक भागेदारी और नेतृत्व को बढ़ावा मिलता है और आपदा जोखिम में कमी आसान होती है.

 

2. ज़रूरत: रोज़गार की

जब महिलाएँ कामकाज की दुनिया में आगे बढ़ती हैं, तो वे अपनी एजेंसी का उपयोग करने और अपने अधिकारों का प्रयोग करने के लिए बेहतर स्थिति में होती हैं, लेकिन मगर ऐसा नहीं है कि कोई भी कामकाज उनके लिए सही साबित हो सकता है. कामकाज उत्पादक व रचनात्मक हो; और स्वतंत्रता, समानता, सुरक्षा और गरिमा के हालात में होना चाहिए.

वैश्विक स्तर पर लगभग 60 प्रतिशत महिला रोज़गार, अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में है, और कम आय वाले देशों में तो यह स्तर 90 प्रतिशत से अधिक है. यहाँ तक कि जब महिलाएँ कामकाज भी करती हैं, तब भी उन्हें पुरुषों की प्रत्येक डॉलर की आय की तुलना में, औसतन 80 सेंट का भुगतान किया जाता है यानि लगभग 20 प्रतिशत कम और कुछ महिलाओं के लिए तो ये स्तर इससे भी कम है, जिनमें भूरी और काली पृष्ठभूमि की महिलाएँ और माताएँ भी शामिल हैं.

वेतन पारदर्शिता, समान मूल्य के काम के लिए समान वेतन और देखभाल सेवाओं तक पहुँच जैसे उपाय, कार्यस्थलों में लैंगिक समानता के लिए वेतन में लैंगिक अन्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं. जब महिला उद्यमी सफल होती हैं, तो वे रोज़गार उत्पन्न कर सकती हैं और नवाचार को बढ़ावा दे सकती हैं.

दुनिया, रोज़गार में लैंगिक अन्तर को कम करके, सकल घरेलू उत्पाद में 20 प्रतिशत की वृद्धि हासल कर सकती है.

दुनिया को नारंगी रंग में रंगें: बांग्लादेश में महिला मज़बूती के लिए एक जुलूस.
© UN Women/Magfuzur Rahman Shan

3. समय: कार्य-जीवन सन्तुलन 

प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में अपनी देखभाल की आवश्यकता होती है. देखभाल का मौजूदा सामाजिक संगठन स्थिति और शक्ति की गहरी असमानताओं को दर्शाता है, और अक्सर महिलाओं और लड़कियों के श्रम का शोषण करता है. औसतन, महिलाएँ पुरुषों की तुलना में अवैतनिक यानि बिना किसी मेहनताने के ही देखभाल करने और घरेलू काम पर लगभग तीन गुना अधिक समय बिताती हैं.

अवैतनिक देखभाल कार्य में लैंगिक विषमताएँ, असमानता का बड़ा कारण हैं, जो महिलाओं और लड़कियों के लिए शिक्षा, अच्छे वेतन वाले काम, सार्वजनिक जीवन, आराम और अवकाश के समय और अवसरों को सीमित करती हैं.

देखभाल के काम को कम महत्व दिया जाता है और उनके लिए कम धन का भुगतान किया जाता है. वैश्विक स्तर पर महिलाओं के अवैतनिक देखभाल कार्य का मौद्रिक मूल्य सालाना कम से कम 10.8 ट्रिलियन डॉलर है, जो दुनिया के तकनीकी उद्योग के आकार का तीन गुना है.

देखभाल प्रणालियों को बदलने के लिए निवेश करना, एक तिहरी जीत है: यह महिलाओं को देखभाल क्षेत्र में आय वाले रोज़गार उत्पन्न करने और ज़रूरतमन्द लोगों के लिए देखभाल सेवाओं तक पहुँच बढ़ाने के साथ-साथ, अपने लिए समय निकालने की अनुमति भी देता है.

देखभाल सेवाओं में मौजूदा खाई को पाटने और अच्छे कामकाजी कार्यक्रमों का विस्तार करने से, 2035 तक लगभग 30 करोड़ रोज़गार उत्पन्न होंगे.

4. सुरक्षा की दरकार

महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए बहुत से ख़तरों का सामना करना पड़ता है, जिनमें लिंग आधारित हिंसा, टकराव, खाद्य असुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा की कमी शामिल हैं. घर या कार्यस्थल पर हिंसा होना, महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है और उससे, उनकी आर्थिक भागेदारी में बाधा उत्पन्न होती है.

महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा की, वैश्विक लागत कम से कम 1.5 ट्रिलियन डॉलर या वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग दो प्रतिशत होने का अनुमान है.

टकराव से प्रभावित देशों में रहने वाली महिलाओं और लड़कियों की संख्या, 2022 में 61 करोड़ 40 लाख तक पहुँच गई, जो 2017 की संख्या से 50 प्रतिशत अधिक है. ऐसे संकट, पहले से मौजूद आर्थिक असमानताओं को और बढ़ा सकते हैं, जैसे अवैतनिक देखभाल कार्यों में महिलाओं की अनुपातहीन हिस्सेदारी की विवशता. 

संकट, महिलाओं के बीच असमानताओं को भी गहरा करता है; उदाहरण के लिए, प्रवासी महिलाओं में, ग़ैर-प्रवासियों की तुलना में, हिंसा का अनुभव किए जाने की सम्भावना दोगुनी होती है.

शोध से पता चलता है कि नक़दी हस्तान्तरण जैसी लिंग-उत्तरदायी सामाजिक सुरक्षा व्यवस्थाएँ, महिलाओं में मृत्यु दर को कम कर सकती हैं, जो आर्थिक मज़बूती और सुरक्षा के बीच सम्बन्धों को प्रदर्शित करती हैं.

इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि असुरक्षा किस रूप में सामने आती है, यह महिलाओं की आर्थिक मज़बूती में बाधा डालती है, उन्हें ग़रीबी के दलदल में फँसाती है और उन्हें अपने अधिकारों व क्षमता का प्रयोग करने से रोकती है. निजी क्षेत्र सहित विविध हितधारकों को एक साथ लाना और उन सामाजिक मानदंडों को चुनौती देना महत्वपूर्ण है, जो महिलाओं को आर्थिक कामगारों के रूप में पुरुषों से कमतर मानते हैं.

मैक्सिको सिटी में एक पेशेवर महिला पहलवान, अपनी सफलता की ख़ुशी व्यक्त करते हुए.
UNIC México/Luis Arroyo

5. अधिकारों की रक्षा

महिलाओं की आर्थिक मज़बूती की जड़ में मानवाधिकार हैं. अन्यायपूर्ण, पुरुष प्रधान आर्थिक प्रणालियाँ, लैंगिक असमानता को क़ायम रखती हैं, और भेदभावपूर्ण सामाजिक मानदंड, महिलाओं की सूचना, नैटवर्क, रोज़गार परक कामकाज और सम्पत्तियों तक पहुँच के रास्ते में अड़चनें पैदा करते हैं.

विश्व स्तर पर, औसतन, महिलाओं को पुरुषों की तुलना में, केवल 64 प्रतिशत ही क़ानूनी अधिकार हासिल हैं. आर्थिक मज़बूती की बात करें तो, महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने की प्रमुख रणनीतियों में, ऐसे क़ानूनों और नीतियों को अपनाया जाना शामिल है जो महिलाओं की आर्थिक मज़बूती का समर्थन करें और भेदभावपूर्ण क़ानूनों व कानूनी ढाँचे को ख़त्म करें.

महिलाओं की आर्थिक मज़बूती के अकूत मूल्य को स्वीकार करते हुए, समाज और अर्थव्यवस्थाओं पर, महिलाओं की आर्थिक मज़बूती के रास्ते में दरपेश बाधाओं की बड़ी लागत का हिसाब देना भी अहम है.

महिला मानवाधिकार रक्षकों के लिए सुरक्षा और समर्थन, व मानवाधिकारों के हनन के लिए भी जवाबदेही की आवश्यकता है. इसके लिए महिलाओं के अधिकारों के हनन का आलेखन करना, लिंग आधारित आँकड़े एकत्र करना और संयुक्त पैरोकारी कार्यक्रमों के लिए, साझेदारी विकसित करना आवश्यक है.

महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए जवाबदेही तंत्र विकसित करना और लागू करना आवश्यक है, और यह सुनिश्चित करना भी अहम है कि निर्णय लेने के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की आवाज़ को बढ़ाया जाए.