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सूडान: विस्थापन व हिंसा के बीच, ढाई करोड़ लोगों को मानवीय राहत की तत्काल ज़रूरत

सूडान में युद्ध से प्रभावित देश के भीतर ही विस्थापितों के लिए, पश्चिमी दारफ़ूर इलाक़े में भी कुछ आश्रय बनाए गए हैं.
© UNOCHA/Mohamed Khalil
सूडान में युद्ध से प्रभावित देश के भीतर ही विस्थापितों के लिए, पश्चिमी दारफ़ूर इलाक़े में भी कुछ आश्रय बनाए गए हैं.

सूडान: विस्थापन व हिंसा के बीच, ढाई करोड़ लोगों को मानवीय राहत की तत्काल ज़रूरत

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने सोमवार को चेतावनी जारी की है कि सूडान में संकट, तेज़ी से गहरा रहा है और ढाई करोड़ लोगों को तत्काल मानवीय सहायता व समर्थन की आवश्यकता है, जिनमें 1.4 करोड़ बच्चे हैं.

सूडान में पिछले वर्ष अप्रैल में सशस्त्र सैन्य बलों और अर्द्धसैनिक बलों (RSF) के बीच हिंसक टकराव शुरू हुआ था, जिसमें कम से कम 13 हज़ार लोगों की जान जा चुकी है और 33 हज़ार घायल हुए हैं.

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यूएन विशेषज्ञों के अनुसार, 1.4 करोड़ बच्चों समेत ढाई करोड़ व्यक्तियों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है और पाँच साल के कम उम्र के 30 लाख बच्चे अचानक कुपोषण की मार झेल रहे हैं.

विशाल संकट

सूडान में बद से बदतर रूप धारण कर रहा मानवीय संकट के कारण अभूतपूर्व स्तर पर सामूहिक विस्थापन हुआ है. 90 लाख से अधिक लोगों के देश की सीमाओं के भीतर विस्थापित होने का अनुमान है, जोकि विश्व भर में कुल आन्तरिक विस्थापितों के आँकड़े का 13 प्रतिशत है.

लगभग 40 लाख विस्थापित बच्चों के साथ, सूडान विश्व में सबसे बड़ा बाल विस्थापन संकट है. देश में 170 से अधिक स्कूलों को आन्तरिक विस्थापितों के लिए आपात आश्रय स्थल में तब्दील किया गया है.

सूडान में क़रीब दो करोड़ बच्चे स्कूल जा पाने में असमर्थ हैं, और उनके सामने ख़रीद-फ़रोख़्त, यौन दुर्व्यवहार, शोषण, परिवार से अलग होने, अपहरण, तस्करी या हथियारबन्द गुटों में जबरन भर्ती कराए जाने का जोखिम है.

देश की क़रीब 37 प्रतिशत आबादी, 1.77 करोड़ लोगों के सामने भूख की समस्या गहरा रही है और सीमित संसाधनों व मानवीय सहायता की वजह से मेज़बान समुदायों और आन्तरिक विस्थापितों के बीच हिंसा का जोखिम बढ़ा है.

स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की सुलभता भी सीमित है और सूडान में फ़िलहाल कुल अस्पतालों में से 70-80 फ़ीसदी अस्पतालों में कामकाज नहीं हो पा रहा है, जिसकी वजह बिगड़ते सुरक्षा हालात या विस्थापन वाले इलाक़ों में चिकित्सा केन्द्रों की क़िल्लत है.

यूएन विशेषज्ञों ने युद्धरत पक्षों द्वारा अंजाम दिए जाने वाले अपराधों पर दंडमुक्ति की भावना, और अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी व मानवाधिकार क़ानून के प्रति बेपरवाही पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है. लड़ाई के दौरान आम नागरिकों के जीवन की रक्षा के लिए पर्याप्त सतर्कता नहीं बरती जा रही है.

अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अनुपालन पर बल

विशेष रैपोर्टेयर के समूह ने सभी युद्धरत पक्षों से टकराव रोकने, आम लोगों, चिकित्साकर्मियों व मानवीय सहायताकर्मियों, नागरिक प्रतिष्ठानों व सांस्कृतिक सम्पत्तियों की रक्षा करने का आग्रह किया.

साथ ही, ज़रूरतमन्द आबादी तक जल्द से जल्द सुरक्षित व बिना किसी अवरोध के मानवीय राहत पहुँचाई जानी होगी, और मानवाधिकार उल्लंघन के दोषियों की जवाबदेही तय की जानी होगी. 

यूएन विशेषज्ञों ने ज़ोर देकर कहा कि मानवाधिकार हनन के पीड़ितों को मुआवज़ा देना होगा और आन्तरिक रूप से विस्थापित लोगों के पास स्वैच्छिक रूप से अपने घर वापिस लौटने का अधिकार है.

उनके अनुसार, एक मानवतावादी युद्धविराम के साथ समावेशी राजनैतिक वार्ता को तत्काल शुरू किया जाना होगा, ताकि देश को एक नागरिक सरकार की दिशा में बढ़ाया जा सके.

उन्होंने सक्षी पक्षों से मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के कामकाज में समर्थन प्रदान करने और सूडान पर अन्तरराष्ट्रीय तथ्य-खोजी मिशन के साथ सहयोग करने की अपील की, जिसकी स्थापना मानवाधिकार परिषद द्वारा 2023 में की गई थी.

विशेष रैपोर्टेयर के समूह ने देश के नागरिक समाज के लिए सहायता धनराशि की अपील की है, ताकि भुक्तभोगियों की सहायता की जा सके और 2024 में ढाई करोड़ लोगों तक जीवनरक्षक मदद पहुँचाई जा सके.

मानवाधिकार विशेषज्ञ

विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र की विशेष मानवाधिकार प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं. 

उनकी नियुक्ति जिनीवा स्थिति यूएन मानवाधिकार परिषद, किसी ख़ास मानवाधिकार मुद्दे या किसी देश की स्थिति की जाँच करके रिपोर्ट सौंपने के लिये करती है. ये पद मानद होते हैं और मानवाधिकार विशेषज्ञों को उनके इस कामकाज के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.

इस वक्तव्य पर दस्तख़त करने वाले मानवाधिकार विशेषज्ञों के नाम यहाँ देखे जा सकते हैं.