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मध्य पूर्व संकट पर सुरक्षा परिषद की बैठक, ‘हर दिन बीतने के साथ गहराती पीड़ा’

मध्य पूर्व में उपजे संकट पर सुरक्षा परिषद की बैठक में चर्चा.
UN Photo/Eskinder Debebe
मध्य पूर्व में उपजे संकट पर सुरक्षा परिषद की बैठक में चर्चा.

मध्य पूर्व संकट पर सुरक्षा परिषद की बैठक, ‘हर दिन बीतने के साथ गहराती पीड़ा’

शान्ति और सुरक्षा

ग़ाज़ा में जारी भीषण लड़ाई और मध्य पूर्व में गहराते संकट के बीच न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय फिर से कूटनैतिक गतिविधियों के केन्द्र में है. बुधवार को सुरक्षा परिषद की एक अहम बैठक हो रही है, जिसमें इसराइल पर जनसंहार को अंजाम देने के आरोपों पर अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के अन्तरिम आदेश पर चर्चा हो रही है. साथ ही, यूएन मानवतावादी कार्यालय के प्रमुख मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने सदस्य देशों को ग़ाज़ा में उपजे हालात से अवगत कराया है.

यह बैठक सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य देश अल्जीरिया ने बुलाई है, जिसमें दक्षिण अफ़्रीका द्वारा  इसराइल के विरुद्ध अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय में दायर किए गए मुक़दमे और आरम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट के अन्तरिम आदेश पर चर्चा होगी. 

आपात राहत मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र समन्वयक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों को बताया कि ख़ान यूनिस इलाक़े में अस्पतालों के इर्दगिर्द लड़ाई जारी है, जिससे वहाँ हजारों लोगों के लिए ख़तरा उत्पन्न हो गया है.

इन हालात में हज़ारों लोग दक्षिणी ग़ाज़ा के रफ़ाह की ओर जा रहे हैं, जहाँ पहले से ही लाखों लोगों ने शरण ली हुई है.

यूएन अवर महासचिव ने कहा कि, “हर दिन बीतने के साथ ग़ाज़ा में लोगों के लिए कष्ट और पीड़ा गहरी हो रही है, और निसन्देह, इसराइल में भी.”

ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अब तक मृतकों का आँकड़ा 26 हज़ार को पार कर गया है, जबकि 65 हज़ार से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिनमें अधिकाँश महिलाएँ व बच्चे हैं.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने बताया कि ग़ाज़ा में 60 प्रतिशत से अधिक आवासीय इकाइयाँ ध्वस्त या क्षतिग्रस्त, और 75 प्रतिशत से अधिक आबादी विस्थापित हुई हैं.

“स्वच्छ जल लगभग पूरी तरह से पहुँच से दूर हो गया है.”

आपात राहत मामलों के प्रमुख ने कहा कि ग़ाज़ा में विस्थापित हुए व्यक्तियों को स्वैच्छिक रूप से वापसी करने के अधिकार की गारंटी दी जानी होगी, जैसाकि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून में उल्लिखित है.

आपात राहत मामलों के लिए यूएन मानवतावादी कार्यालय में अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफ़िथ्स.
UN Photo/Manuel Elias
आपात राहत मामलों के लिए यूएन मानवतावादी कार्यालय में अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफ़िथ्स.

ज़रूरतमन्दों तक पहुँचना कठिन

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स के अनुसार, मानवतावादी समुदाय के लिए ग़ाज़ा में ज़रूरतमन्द आबादी तक पहुँचने में चुनौतियाँ पेश आ रही हैं, मगर जोखिमों के बावजूद खाद्य सामग्री, स्वच्छता किट, टैंट, तिरपाल व कम्बल, दवाओं समेत अन्य सामग्री के वितरण का कार्य जारी है.

उन्होंने कहा कि मानवीय सहायता की निर्बाध सुलभता के लिए तत्काल क़दम उठाने होंगे, जिसके लिए सुरक्षा आश्वासन, सहायता आपूर्ति के निश्चित प्रवाह और ज़रूरतमन्द लोगों तक पहुँच को सुनिश्चित किया जाना अहम है.

अवर महासचिव ने कहा कि फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) के कर्मचारियों की जान गई है, वे घायल और विस्थापित हुए हैं, मगर इसके बावजूद वे सहायता प्रयासों के केन्द्र में हैं.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने 7 अक्टूबर को हमलों में UNRWA कर्मचारियों की संलिप्तता पर क्षोभ प्रकट किया और बताया कि त्वरित क़दम उठाए गए हैं और आरोपों की जाँच भी की जा रही है. 

उन्होंने सचेत किया कि ग़ाज़ा की तीन-चौथाई से अधिक आबादी के लिए जीवनरक्षक सेवाओं को केवल चंद व्यक्तियों के तथाकथित कृत्यों के लिए जोखिम में नहीं डाला जा सकता है.

UNRWA पर पूर्ण निर्भरता

अवर महासचिव ग्रिफ़िथ्स ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े में मानवतावादी प्रयास, पूर्ण रूप से UNRWA के पूर्ण वित्त पोषण और उसका कामकाज जारी रहने पर निर्भर हैं. 

इसके मद्देनज़र, उन्होंने UNRWA की वित्तीय सहायता रोके जाने के निर्णयों को वापिस लेने का आग्रह किया है.  

यूएन के शीर्ष अधिकारी ने युद्धविराम लागू किए जाने की अपील दोहराई और आगाह किया कि आम लोगों और नागरिक प्रतिष्ठानों की रक्षा सुनिश्चित की जानी होगी, और ग़ाज़ा में रखे गए सभी बंधकों को रिहा किया जाना होगा.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों से आग्रह किया कि ग़ाज़ा में इस त्रासदी पर विराम लगाने के लिए हरसम्भव प्रयास किया जाना होगा.

अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ), में, दक्षिण अफ़्रीका द्वारा इसराइल पर ग़ाज़ा में जनसंहार के आरोपों के मुक़दमे पर, 11 जनवरी 2024 को सुनवाई शुरू हुई.
ICJ-CIJ/ Frank van Beek
अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ), में, दक्षिण अफ़्रीका द्वारा इसराइल पर ग़ाज़ा में जनसंहार के आरोपों के मुक़दमे पर, 11 जनवरी 2024 को सुनवाई शुरू हुई.

ICJ आदेश से ‘बंधी आशा’

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने बुधवार को जारी अपने वक्तव्य में कहा है कि अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश से, ग़ाज़ा में विनाशकारी मानवीय परिस्थितियों का सामना कर रही आबादी की रक्षा के लिए पहली बार ठोस आशा बंधी है.

मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों के अनुसार, फ़लस्तीनी लोगों के अस्तित्व को सम्भवत: जनसंहारक कृत्यों से बचाने के लिए कोर्ट ने इसराइल को आदेश दिया है जोकि बेहद ज़रूरी है.

पिछले शुक्रवार को, अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय ने माना था कि ऐसा सम्भव है कि इसराइल के कृत्यों को जनसंहार की श्रेणी में रखा जा सकता है, जिसके मद्देनज़र छह अन्तरिम क़दमों पर केन्द्रित आदेश जारी किया गया था.

इनमें इसराइल को जनंसहार की रोकथाम करने व उसके लिए उकसावे को दंडित करने, ग़ाज़ा में फ़लस्तीनियों तक सहायता व सेवाएँ सुनिश्चित करने, और अपराधों के साक्ष्य संरक्षित रखने का आदेश दिया है.  

दक्षिण अफ़्रीका द्वारा इसराइल पर दिसम्बर 2023 में मुक़दमा दायर किए जाने के बाद, अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय ने यह आदेश जारी किया है.

विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र की विशेष मानवाधिकार प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं. 

उनकी नियुक्ति जिनीवा स्थिति यूएन मानवाधिकार परिषद, किसी ख़ास मानवाधिकार मुद्दे या किसी देश की स्थिति की जाँच करके रिपोर्ट सौंपने के लिये करती है. ये पद मानद होते हैं और मानवाधिकार विशेषज्ञों को उनके इस कामकाज के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.