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ग़ाज़ा संकट: भीषण क़िल्लत के बीच, बच्चों का जन्म 'नरक जैसे’ हालात में

ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में अल-शिफ़ा अस्पताल में कुछ शिशु. वहाँ बहुत से बच्चे मौत के जोखिम का भी सामना कर रहे हैं.
© UNICEF/Eyad El Baba
ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में अल-शिफ़ा अस्पताल में कुछ शिशु. वहाँ बहुत से बच्चे मौत के जोखिम का भी सामना कर रहे हैं.

ग़ाज़ा संकट: भीषण क़िल्लत के बीच, बच्चों का जन्म 'नरक जैसे’ हालात में

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता एजेंसियों ने शुक्रवार को चेतावनी दी है कि ग़ाज़ा में, इसराइल के साथ युद्ध के कारण, शिशुओं को "नरक जैसे हालात में जन्म दिया जा रहा है" और ग़ाज़ा पट्टी में गम्भीर होती स्थितियों के परिणामस्वरूप, बहुत से अन्य बच्चे व लोग, मौत के जोखिम का सामना कर रहे हैं. 

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने युद्धविराम के लिए तत्काल अन्तरराष्ट्रीय आहवान को दोहराते हुए कहा कि इसराइल में हमास के नेतृत्व वाले हमलों के जवाब में, व्यापक इसराइली बमबारी की शुरुआत के बाद से लगभग 20 हज़ार बच्चे पैदा हुए हैं.

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संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने कहा कि सहायता पहुँच सम्बन्धी पुरानी समस्याओं का मतलब है कि बच्चों को जन्म देने के लिए ऑपरेशन, बेहोशी की दवा दिए बिना ही किए गए हैं, जबकि अन्य महिलाएँ अपने मृत बच्चों को जन्म देने में असमर्थ हैं क्योंकि चिकित्सा कर्मचारियों पर भारी दबाव है और उनकी संख्या बहुत कम है.

यूनीसेफ़ की संचार विशेषज्ञ टेस इनग्राम ने कहा है, "माताओं को बच्चे के जन्म से पहले, उसके दौरान और बाद में पर्याप्त चिकित्सा देखभाल, पोषण और सुरक्षा प्राप्त करने में अकल्पनीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है."

“माँ बनना उत्सव का समय होना चाहिए. ग़ाज़ा में, यह एक और बच्चे को नरक में पहुँचाने जैसे हालात हैं.”

हैपेटाइटिस सदमा

संयुक्त राष्ट्र विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस ऐडहनॉम घेबरेयेसिस ने बिगड़ती मानवीय स्थिति पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए, ग़ाज़ा में हैपेटाइटिस ए संक्रमण की पुष्टि पर भी चिन्ता व्यक्त की है.

डॉक्टर टैड्रॉस ने गुरूवार को सोशल मीडिया मंच – एक पर अपने सन्देश में कहा है, "साफ़ पानी, साफ़ शौचालय और आसपास के वातावरण को साफ़ रखने की सम्भावना के अभाव वाली अमानवीय रहन-सहन स्थितियाँ, हैपेटाइटिस ए को और अधिक फैलने में सक्षम बनाएंगी और यह उजागर करेंगी कि बीमारी के प्रसार के लिए पर्यावरण कितना ख़तरनाक है."

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी - WHO के नवीनतम आँकड़ों से संकेत मिलता है कि औसतन 500 लोग एक शौचालय साझा कर रहे हैं और 2 हज़ार से अधिक लोगों को एक ही स्नानघर का उपयोग करना पड़ता है, जिससे बीमारी फैलने का ख़तरा बढ़ जाता है.

संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि ऊपरी श्वसन संक्रमण में तेज़ वृद्धि के अलावा, 2023 के आख़िरी तीन महीनों के दौरान, पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में, दस्त के मामले वर्ष 2022 में इसी अवधि की तुलना में 26 गुना अधिक थे.

डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता तारिक जसारेविक ने कहा है, "लोगों को छोटे स्थानों पर धकेला जा रहा है, वे साफ़ पानी की कमी, शौचालयों की कमी के कारण भीड़भाड़ वाले आश्रयों में रहने को मजबूर हैं."

डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा है, "ग़ाज़ा में आबादी के एक बड़े हिस्से यानि जो लोग घायल हैं बर बमबारी के शिकार हैं, उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि ख़ान यूनिस में नासिर चिकित्सा परिसर के आपातकालीन विभाग में केवल दो ही डॉक्टर बचे हैं, जबकि युद्ध शुरू होने से पहले 24 डॉक्टर थे. 

कुछ राहत

यूनीसेफ़ ने ग़ाज़ा में सबसे कमज़ोर हालात वाली महिलाओं और बच्चों की मदद करने के लिए, ऐसी माताओं के लिए दूध के फ़ॉर्मूले और पूरक खाद्य सामग्री का आपूर्ति सुनिश्चित की है जो अपने शिशुओं को स्तनपान कराने के लिए बहुत कमज़ोर हैं.साथ ही अत्यधिक दबाव में काम कर रही चिकित्सा टीमों के लिए चिकित्सा सामग्री की भी आपूर्ति की है मगर अभी और भी अधिक की ज़रूरत है.

यूनीसेफ़ प्रवक्ता टेस इनग्राम ने, दक्षिणी ग़ाज़ा से लौटने के बाद जॉर्डन की राजधानी अम्मान से बताया कि युद्ध शुरू होने के लगभग 105 दिन बाद, निरन्तर बमबारी और विस्थापन "सीधे नवजात शिशुओं को प्रभावित कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप कुपोषण, विकास सम्बन्धी समस्याएँ और अन्य स्वास्थ्य जटिलताएँ बढ़ गई हैं".

'अमानवीय' स्थितियाँ

टेस इनग्राम ने कहा कि अस्थाई आश्रय स्थलों, ख़राब पोषण और असुरक्षित पानी जैसी "अमानवीय" स्थितियों के बीच, माना जाता है कि इस समय, दो साल से कम उम्र के लगभग एक लाख 35 हज़ार बच्चे गम्भीर कुपोषण के ख़तरे में हैं.

उन्होंने कहा, "नवजात शिशुओं को कष्ट सहते हुए देखना, जबकि कुछ माताओं की अत्यधिक ख़ून बहने से मौतें भी हुई हैं, हम सभी नीन्दें उड़ाने वाली स्थिति हैं." 

"यह जानकर कि 7 अक्टूबर को अपहृत दो बहुत छोटे इसराइली बच्चों को भी अभी रिहा नहीं किया गया है, इस बात को भी हमारी नीन्द उड़ानी चाहिए."

मृतक संख्या 25,000 के निकट

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय -OHCHR ने इन चिन्ताओं को दोहराते हुए, ग़ाज़ा युद्ध में मृतक संख्या 25 हज़ार होने की ख़बर पर गहरी चिन्ता व्यक्त की. 

ग़ाज़ा के स्वास्थ्य स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराई गई इस संख्या में, कुल 70 प्रतिशत महिलाएँ और बच्चे हैं, और कम से कम 61 हज़ार 500 अन्य  लोग घायल हुए हैं. इनके अलावा "कई हज़ार लोग मलबे में दबे हैं, जिनमें से अनेक को मृत मान लिया गया है".

संयुक्त राष्ट्र सहायता समन्वय कार्यालय - OCHA ने इस संकट पर अपनी नवीनतम जानकारी में, गहरी चिन्ता दोहराते हुए कहा है कि "ग़ाज़ा में कहीं भी" सुरक्षित और प्रभावी राहत आपूर्ति के मिशन, इसराइली प्रतिबन्धों के कारण बहुत कमज़ोर बने हुए हैं. इनमें अति महत्वपूर्ण उपकरणों और उपयुक्त संचार उपकरणों के आयात पर लगी पाबन्दी भी शामिल है.

संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने कहा कि इसराइली सेना द्वारा वादी ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में पहुँच देने से इनकार करने के कारण "वहाँ जीवन रक्षक सहायता के प्रावधान को बढ़ाने के प्रयासों में भी बाधा उत्पन्न हुई है और समग्र प्रतिक्रिया में लागत बड़े पैमाने पर बढ़ गई है".