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मध्य पूर्व में व्यापक होते संकट पर, सुरक्षा परिषद की बैठक

मध्य पूर्व की स्थिति पर विचार करने के लिए, सुरक्षा परिषद की बैठक (12 जनवरी 2024).
United Nations
मध्य पूर्व की स्थिति पर विचार करने के लिए, सुरक्षा परिषद की बैठक (12 जनवरी 2024).

मध्य पूर्व में व्यापक होते संकट पर, सुरक्षा परिषद की बैठक

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने, मध्य पूर्व में बदतर होते संकट पर विचार करने के लिए, शुक्रवार को एक बैठक की है. ग़ाज़ा में युद्ध से जबरन विस्थापन के कारण उत्पन्न हुए ख़तरों व जोखिमों और लाल सागर के इर्दगिर्द बढ़ते टकराव के बीच, ग़ाज़ा में युद्ध को 100 दिन हो गए हैं. यूएन राहत समन्वय एजेंसी - OCHA के मुखिया मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा है कि ग़ाज़ा से विस्थापित होने वाले हर एक व्यक्ति को वापिस लौटने का अधिकार है, जैसाकि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून की शर्त है.

उत्तरी ग़ाज़ा में 'बेहद भयावह हालात': मार्टिन ग्रिफ़िथ्स

संयुक्त राष्ट्र के आपातकालीन राहत समन्वयक मार्टिन ग्रिफिथ्स ने, सुरक्षा परिषद की इस बैठक को सबसे पहले सम्बोधित करते हुए, राजदूतों से कहा कि इसराइल और ग़ाज़ा में जो कुछ हो रहा है, वह नागरिकों पर पड़ने वाले प्रभाव की "लगभग बिल्कुल भी परवाह किए बिना" किया गया युद्ध है.

ग़ाज़ा में युद्ध लगातार जारी है, जिसमें हज़ारों लोग मारे गए और घायल हुए हैं - जिनमें अधिकांश महिलाएँ और बच्चे हैं.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा, "हम इस स्थिति की झलक 19 लाख लोगों के जबरन विस्थापन में देख सकते हैं, जो कि कुल आबादी का 85 प्रतिशत है."

"ये लोग, बार-बार बमों और मिसाइलों की बारिश के कारण सदमे में है, जान बचाकर भागने के लिए मजबूर है; और हम इन हालात को, ज़मीनी भयावह परिस्थितियों में देख सकते हैं: आश्रय स्थलों में क्षमता से अधिक भीड़ है, और भोजन व पानी ख़त्म हो रहे हैं, जिससे अकाल का ख़तरा दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है.”

स्वास्थ्य व्यवस्था तबाह

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा कि ग़ाज़ा में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. ग़ाज़ा में अब सर्दी आ गई है, जो अपने साथ कड़कड़ाती ठंड लेकर आई है, जिससे लोगों के जीवित रहने का संघर्ष और बढ़ गया है. 

उन्होंने कहा यह देखकर और भी गहरी निराशा होती है कि कि आम आबादी के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण सुविधाओं पर लगातार हमले हो रहे हैं.

कुल मिलाकर संयुक्त राष्ट्र राहत कार्य एजेंसी - UNRWA की 134 सुविधाएँ प्रभावित हुई हैं, और ग़ाज़ा में कम से कम 148 संयुक्त राष्ट्र कर्मी व ग़ैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के कर्मचारी मारे गए हैं.

इसराइली रक्षा बलों को उनकी पहचान और सूचना दिए जाने के बावजूद, मानवीय स्थलों पर कई मौक़ों पर हमले किए  हैं. पिछले कुछ दिनों में ही, ग़ैर-सरकारी संगठनों के दो परिसरों पर हमला किया गया है.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा कि इसराइल द्वारा लोगों को निकासी के आदेश लगातार जारी हैं. जैसे-जैसे ज़मीनी कार्रवाई, ग़ाज़ा के दक्षिणी इलाक़े की ओर बढ़ रही है, उन क्षेत्रों में हवाई बमबारी तेज़ हो गई है जहाँ आम लोगों को अपनी सुरक्षा के लिए स्थानान्तरित होने के लिए कहा गया था.

बहुत अधिक लोगों को ज़मीन के एक छोटे से टुकड़े में ठूँस दिया जा रहा है, जिससे उन्हें और अधिक हिंसा व अभाव, अपर्याप्त आश्रय और सबसे बुनियादी सेवाओं का लगभग पूर्ण अभाव देखने को मिल रहा है.

उन्होंने कहा, ''ग़ाज़ा में कोई सुरक्षित जगह नहीं है. सम्मानजनक मानव जीवन लगभग असम्भव है."

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने इसराइल के मंत्रियों द्वारा हाल ही में, ग़ाज़ा की आबादी को किन्हीं अन्य देशों में भेजे जाने सम्बन्धी बयानों पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा, "मैं ज़ोर देना चाहता हूँ कि ग़ाज़ा से विस्थापित हर एक व्यक्ति को वापिस लौटने की इजाज़त होनी चाहिए, जैसाकि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून मांग करता है."

ग़ाज़ा की आबादी का जबरन स्थानान्तरण एक युद्धापराध होगा

संयुक्त राष्ट्र की सहायक मानवाधिकार महासचिव इल्ज़े ब्रैंड्स केहरिस ने, मध्य पूर्व संकट पर सुरक्षा परिषद की बैठक को सम्बोधित किया (12 जनवरी 2024).
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संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार सहायक महासचिव इल्ज़े ब्रैंड्स केहरिस ने ग़ाज़ा में संकट गहराने के बीच, ऐसी गतिविधियों को रेखांकि किया जो "रोके जाने योग्य" हैं, उन्होंने साथ ही, पीड़ा के व्यापक स्तर के बारे में चेतावनी भी दी.

उन्होंने 7 अक्टूबर को, इसराइली नागरिकों पर आतंकवादी हमलों के लिए जवाबदेही की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए कहा, "इसकी भयावहता को भुलाया नहीं जाएगा."

इल्ज़े ब्रैंड्स केहरिस ने कहा कि ग़ाज़ा की स्थिति केवल टकराव का उप-उत्पाद नहीं है, बल्कि युद्ध के आचरण का प्रत्यक्ष परिणाम है. 

उन्होंने 12 अक्टूबर को शुरू हुए विस्थापन का ज़िक्र किया, जिसमें इसराइलली अधिकारियों ने ग़ाज़ा वादी के उत्तर में फ़लस्तीनियों को दक्षिण की ओर जाने का आदेश दिया था.

इसराइल के यह दावा करने के बावजूद कि यह आदेश सुरक्षा के लिए था, इल्ज़े केहरिस ने अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अनुपालन के बारे में चिन्ता जताई, जिसमें युद्धापराधों का आकलन भी शामिल है.

उन्होंने कहा, "ऐसी जबरन निकासी, वैधानिकता के लिए आवश्यक शर्तों को पूरा करने में विफल होने पर, सम्भावित रूप से जबरन स्थानान्तरण, एक युद्धापराध की श्रेणी में आती है.”

‘भ्रमित करने वाले’ निकासी आदेश

मानवाधिकार अधिकारी ने करहा, "वास्तव में, ये आदेश अक्सर भ्रमित करने वाले रहे हैं, जिससे नागरिकों को तथाकथित 'मानवीय क्षेत्रों' या 'ज्ञात आश्रयों' में जाने की आवश्यकता हुई है, इस तथ्य के बावजूद कि ऐसे अनेक क्षेत्रों पर बाद में इसराइली सैन्य हमले हुए हैं...”

इल्ज़े केहरिस ने सुरक्षा परिषद में मौजूद राजदूतों को, पूर्वी येरूशेलम सहित पश्चिमी तट में इसराइली निवासियों और इसराइली सुरक्षा कर्मियों द्वारा हिंसा में "नाटकीय" वृद्धि; और इसराइल सरकार की कुछ नेतृत्व हस्तियों द्वारा, विदेशों में फ़लस्तीनियों के स्थाई पुनर्वास परक ज़ोर देने वाले बयानों की जानकारी दी.

उन्होंने कहा, "इस तरह के बयानों से यह आशंका व्याप्त हो गई है कि फ़लस्तीनियों को जानबूझकर ग़ाज़ा से बाहर निकाला जा रहा है और वे वापस नहीं लौट पाएंगे... ऐसा किए जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए."

टिकाऊ समाधान की ज़रूरत

इल्ज़े केहरिस ने युद्धविराम की तत्काल आवश्यकता और बन्धकों की बिना शर्त रिहाई को, टिकाऊ समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण क़दम बताया.

उन्होंने कहा, “हमें यह भी देखना होगा कि आगे क्या होगा. इस वर्तमान हिंसा का, दशकों के मानवाधिकार उल्लंघनों का एक सन्दर्भ."

उन्होंने कहा कि संकट के किसी भी स्थाई समाधान के लिए, अन्तर्निहित मूल कारणों का समाधान निकाला जाना चाहिए, जिनमें "7 अक्टूबर और उसके बाद व पूर्व के अनेक वर्षों के दौरान किए गए मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए जवाबदेही" शामिल है”.

यूएन मानवाधिकार अधिकारी ने कहा, "न्याय सुनिश्चित करना और सभी लोगों - फ़लस्तीनियों व इसराइलियों दोनों - के अधिकारों का सम्मान व सुरक्षा सुनिश्चित करना ही एकमात्र ऐसी बुनियाद है, जिस पर स्थाई शान्ति का निर्माण किया जा सकता है."