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UNODC: अफ़ीम की खेती में, म्याँमार ने अफ़ग़ानिस्तान को पीछे छोड़ा

म्याँमार के पूर्वी शान प्रान्त में, एक किसान अफ़ीम के खेत में.
© UNODC
म्याँमार के पूर्वी शान प्रान्त में, एक किसान अफ़ीम के खेत में.

UNODC: अफ़ीम की खेती में, म्याँमार ने अफ़ग़ानिस्तान को पीछे छोड़ा

क़ानून और अपराध रोकथाम

अभी तक अफ़ग़ानिस्तान को, अफ़ीम की खेती में सबसे आगे माना जाता था, मगर अब म्याँमार ने, अफ़ीम की खेती में, अफ़ग़ानिस्तान को पीछे छोड़ दिया है.

 

म्याँमार वर्तमान में, 1,080 मीट्रिक टन की सम्भावित अफ़ीम उपज, 2001 के बाद के अपने उच्चतम स्तर पर है. अफ़ग़ानिस्तान में अफ़ीम की खेती में हाल ही में आई गिरावट के बाद, म्याँमार अब दुनिया में अफ़ीम का सबसे बड़ा स्रोत बन गया है.

संयुक्त राष्ट्र की मादक पदार्थ व अपराध नियंत्रण एजेंसी (UNODC) के दक्षिण-पूर्व क्षेत्र पर जारी नवीनतम अफ़ीम सर्वेक्षण में बताया गया है कि Golden Triangle यानि स्वर्णिम त्रिभुज क्षेत्र में, अफ़ीम की खेती, वर्ष 2022 से लगातार बढ़ रही है, और ख़ासतौर पर म्याँमार में इसमें उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है.

मंगलवार को जारी, “Southeast Asia Opium Survey 2023: Cultivation, Production and Implications” नामक इस रिपोर्ट में, म्याँमार में, सैन्य तख़्तापलट के बाद उपजी दूसरी फ़सल के समय एकत्र आँकड़ों का विश्लेषण किया गया है, जो 40 हज़ार100 से 47 हज़ार100 हैक्टेयर यानि 18% की वृद्धि दर्शाते हैं. 

UNODC के क्षेत्रीय प्रतिनिधि जेरेमी डगलस का कहना है, “फ़रवरी 2021 के सैन्य अधिग्रहण के बाद, आर्थिक, सुरक्षा एवं शासन सम्बन्धी व्यवधानों के कारण दूरदराज़ के इलाक़ों में किसानों ने आजीविका के लिए अफ़ीम का रुख़ किया है. शान और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में संघर्ष की तीव्रता से इस प्रवृत्ति में तेज़ी आने की सम्भावना है."

सर्वेक्षण में, 2015 के बाद से लाओ पीडीआर में एकत्र किए गए पहली खेती के आँकड़ों की भी जाँच की गई है. हालाँकि आँकड़ों से स्पष्ट होता है कि खेती का स्तर 5 हज़ार हैक्टेयर पर अपेक्षाकृत स्थिर रहा है, लेकिन हाल ही में देश के सामने उपजी आर्थिक चुनौतियों के प्रभाव को समझने के लिए अधिक नियमित अनुमानो की आवश्कता होगी.

म्याँमार में, सबसे महत्वपूर्ण वृद्धि, शान राज्य में दर्ज की गई, जहाँ अफ़ीम खेती में 20% की वृद्धि हुई. इसके बाद चिन और काचिन में, जहाँ इसमें क्रमशः 10% और 6% की वृद्धि हुई. 

एक लक्षित मूल्यांकन में भारत के साथ लगी म्याँमार की सीमा पर सागांग में, पर्याप्त मात्रा में अफ़ीम की खेती के संकेत मिले हैं. 

UNODC के क्षेत्रीय प्रतिनिधि,जेरेमी डगलस.
UN News/Runa A

हालाँकि अफ़ग़ानिस्तान में अफ़ीम प्रतिबन्ध से दक्षिण पूर्व एशिया की स्थिति पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में निष्कर्ष निकालना अभी जल्दबाज़ी होगी, लम्बे समय तक प्रतिबन्ध से क़ीमतों में निरन्तर बढ़ोत्तरी और खेती में अधिक वृद्धि होने का अनुमान है.

अवैध अर्थव्यवस्था को बढ़ावा

अफ़ीम की खेती का विस्तार, मेकांग में बढ़ती अवैध अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है, जो निरन्तर उच्च स्तर के सिंथेटिक ड्रग उत्पादन और ड्रग तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग व जुआघरों एवं घोटाला संचालन जैसी ऑनलाइन आपराधिक गतिविधियों का एक संयोजन लाता है. 

कुल मिलाकर इन सभी गतिविधियों से क्षेत्र में संगठित अपराध समूहों के लिए लाभ की एक महत्वपूर्ण स्थिति पैदा होती है. 

UNODC के प्रतिनिधि जेरेमी डगलस ने कहा, “म्याँमार में संकट के कारण क्षेत्र में अपराध और शासन सम्बन्धी चुनौतियाँ और बढ़ गई हैं. दक्षिण पूर्व एशिया को पारम्परिक और उभरते, दोनों प्रकार के ख़तरों का समाधान खोजने के लिए एकजुट होने की ज़रूरत है.

देश के भीतर समाधान के लिए अफ़ीम की खेती वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के सामने मौजूद जटिल वास्तविकताओं और कमज़ोरियों को ध्यान में रखना होगा. 

UNODC, दीर्घकालिक आय सृजन हेतु सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार करने के लिए किसानों एवं समुदायों के साथ सीधे काम करता है, जिससे संघर्ष व आर्थिक व्यवधानों के प्रति सहनसक्षमता बनाने में मदद मिलती है.

UNODC के उप क्षेत्रीय प्रतिनिधि बैनेडिक्ट हॉफ़मैन ने कहा, "मौजूदा स्थिति में, कृषक समुदाय असुरक्षा और आर्थिक कठिनाइयों के बीच जद्दोजहद कर रहे हैं."

"क़ानून के शासन के अभाव में अगर कोई विकल्प नहीं है, तो और भी अधिक लोग अफ़ीम को एक व्यवहार्य फ़सल के रूप में देखने लगेंगे. परिणामस्वरूप म्याँमार और लाओस में इन समुदायों के बीच हमारा काम पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है.”