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ग़ाज़ में, मानवीय त्रासदी से, समाज 'बिखराव' के निकट

ग़ाज़ा में लाखों लोग, शरणार्थी शिविरों में पनाह लिए हुए हैं.
© WHO
ग़ाज़ा में लाखों लोग, शरणार्थी शिविरों में पनाह लिए हुए हैं.

ग़ाज़ में, मानवीय त्रासदी से, समाज 'बिखराव' के निकट

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता एजेंसियों ने शुक्रवार को कहा है कि फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में इसराइल की भीषण बमबारी और फ़लस्तीनी सशस्त्र गुटों के साथ युद्ध ने सहायता अभियानों को ठप करना जारी रखा है. साथ ही बच्चों द्वारा पानी की भीख मांगने और लोगों द्वारा गर्माहट बनाए रखने के लिए, बिजली के लकड़ी-खम्भों को काटे जाने से, संकेत मिलता है कि "समाज बिखर जाने के निकट" है.

संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी - WHO के प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमियर ने कहा है कि 7 अक्टूबर को इसराइल में, हमास के हमले के प्रतिशोध में, इसराइल द्वारा ग़ाज़ा पट्टी की आबादी के ख़िलाफ़ "क्रूर युद्ध" में, वहाँ के लोगों को "भयानक परिस्थितियों में धकेला" जा रहा है. 

प्रवक्ता ने कहा, "ग़ाज़ा में स्थिति विश्वास से परे है", ग़ाज़ा एक और ऐम्बुलेंस या अस्पताल "खोने का जोखिम नहीं उठा सकता". 

WHO ने 7 अक्टूबर के बाद से, ग़ाज़ा में स्वास्थ्य सेवा पर 212 हमलों का विवरण एकत्र किया है, जिससे 56 सुविधाएँ और 59 ऐम्बुलेंस प्रभावित हुएई हैं.

इस बीच, न्यूयॉर्क में इसराइल-फ़लस्तीन संकट पर चर्चा के लिए, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक आपातकालीन बैठक स्थानीय समयानुसार शुक्रवार सुबह होने वाली है.

ट्रॉमा वॉर्ड युद्धक्षेत्र की तरह

प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमीयर ने कहा कि ग़ाज़ा में स्वास्थ्य कर्मियों के पास भोजन या पानी नहीं है, मरीज़ों का अस्पताल के फ़र्श पर ख़ून बह रहा है और ‘ट्रॉमा वार्ड’ युद्ध के मैदान जैसे नज़र आ रहे हैं.

उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि आमतौर पर "किसी भी शरणार्थी शिविर की स्थिति में" प्रति व्यक्ति प्रति दिन कम से कम सात लीटर पानी होगा, मगर ग़ाज़ा में यह संख्या वर्तमान में एक से दो लीटर के बीच है. WHO के, चिकित्सा सामान लाने की कोशिश करते समय, क़ाफ़िलों को सड़क पर बार-बार रोका गया है, हताश लोग "उनमें से भोजन और पानी निकालने की जबरन कोशिश कर रहे हैं".

WHO के प्रवक्ता ने यह भी बताया कि शुक्रवार को ग़ाज़ा के उत्तर में अल-अहली अस्पताल के लिए, चिकित्सा सामग्री के एक क़ाफ़िले को, सुरक्षा स्थिति के कारण निलम्बित करना पड़ा. उस क़ाफ़िले का लक्ष्य ग़ाज़ा के दक्षिणी हिस्से में, 12 मरीज़ों को निकालना भी था.

'बहुत कुछ की ज़रूरत'

ग़ाज़ा में एक शरणार्थी शिविर पर हमलों के बाद तबाह हुई इमारतों के मलबे में, लोग अपने सामान की तलाश करते हुए.
© UNRWA/Ashraf Amra

WHO ने एक सकारात्मक घटनाक्रम में, गुरूवार को, 4,500 रोगियों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए, ग़ाज़ा के दक्षिणी इलाक़े में स्थित ख़ान यूनिस में योरोपीय ग़ाज़ा अस्पताल और नासेर चिकित्सा परिसर में आपातकालीन चिकित्सा सामग्री पहुँचाई है. 29 नवम्बर के बाद यह इस तरह का पहला आपूर्ति मिशन था.

एजेंसी के प्रमुख डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेब्रेयेसस ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि बहुत कुछ की ज़रूरत है. उन्होंने इस वास्तविकता का निन्दा भी की कि सघन युद्ध के कारण, कोई भी स्वास्थ्य अभियान चलाना अत्यधिक कठिन होता जा रहा है.

उन्होंने कहा कि WHO, ग़ाज़ा पट्टी के हज़ारों मरीज़ों और स्वास्थ्य कर्मियों के बारे में "बेहद चिन्तित" है.

उन्होंने कहा है, “उनकी सुरक्षा का एकमात्र तरीक़ा युद्धविराम है, जिसे तत्काल लागू किया जाए''.

मानवीय सहायता कार्यों में बाधाएँ

मानवीय सहायता एजेंसियों ने ग़ाज़ा पट्टी के दक्षिण में सीमित सहायता वितरण जारी रखा, जबकि शुक्रवार को इस बात पर ज़ोर भी दिया कि "कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है".

संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय – UNOCHA ने कहा कि गुरूवार को इस तरह के सीमित सहायता वितरण रफ़ाह गवर्नरेट में हुए.

OCHA ने ध्यान दिलाया है कि निकटवर्ती ख़ान यूनिस गवर्नरेट में, उपर्युक्त चिकित्सा आपूर्ति वितरण के अलावा, "अन्य सहायता वितरण, युद्ध की तीव्रता के कारण काफ़ी हद तक बन्द हो गया".

संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि चूँकि हज़ारों अतिरिक्त विस्थापित लोगों को दक्षिण की ओर धकेला जा रहा है और संकुचित स्थानों में धकेल दिया गया है, इसलिए उनका अस्तित्व ख़तरे में है. 

ओसीएचए प्रमुख और संयुक्त राष्ट्र आपातकालीन राहत प्रमुख मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने गुरूवार को चेतावनी दी कि ग़ाज़ा पट्टी के दक्षिण में इसराइली सैन्य हमले की गति के कारण "हमारे पास दक्षिणी ग़ाज़ा में ऐसा कोई मानवीय अभियान नहीं बचा है जिसे अब उस नाम से बुलाया जा सके".

'क़ानून-व्यवस्था ख़राब'

ओसीएचए ने बताया कि रफ़ाह में आन्तरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों का आना जारी है और "लोगों के आश्रय के लिए कोई ख़ाली जगह नहीं बची है, यहाँ तक कि सड़कों और अन्य खुले इलाकों में भी नहीं".

ओसीएचए ने कहा, ''बुनियादी चीज़ों की कमी वाले हज़ारों लोग सहायता वितरण केन्द्रों के आसपास, घंटों इन्तेजार करते रहे और ''इन परिस्थितियों में क़ानून-व्यवस्था बिगड़ने की चिन्ता है.''