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ग़ाज़ा: इसराइल द्वारा भीषण बमबारी के बीच, हताशा व पीड़ा और गहराए

एक घायल फ़लस्तीनी बच्चे को, ग़ाज़ा के अल-शिफ़ा अस्पताल में ले जाए जाते हुए.
© WHO
एक घायल फ़लस्तीनी बच्चे को, ग़ाज़ा के अल-शिफ़ा अस्पताल में ले जाए जाते हुए.

ग़ाज़ा: इसराइल द्वारा भीषण बमबारी के बीच, हताशा व पीड़ा और गहराए

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी – WHO ने मंगलवार को कहा है कि ग़ाज़ावासियों के लिए स्थिति "समय के साथ बदतर होती जा रही है". एजेंसी का ये बयान, ग़ाज़ा में इसराइल द्वारा की जा रही अब की भीषणतम बमबारी के बीच आया है.

इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र में, विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉक्टर रिक पीपरकॉर्न ने, ग़ाज़ा के दक्षिणी शहर रफ़ाह से बात करते हुए, गत शुक्रवार को, युद्ध-ठहराव समाप्त हो जाने के बाद, फिर शुरू हुई इसराइली बमबारी से और अधिक रक्तपात का वर्णन किया.

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डॉक्टर पीपरकोर्न ने वीडियो लिंक के माध्यम से, जिनीवा में पत्रकारों को बताया, "स्थिति हर पल, बद से बदतर होती जा रही है. मेरा मतलब है... चारों ओर भीषण बमबारी हो रही है और यहाँ दक्षिणी क्षेत्रों - ख़ान यूनिस और यहाँ तक कि रफ़ाह में भी."

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में ऐसे लोगों की संख्या में विशाल वृद्धि हुई है जो ग़ाज़ा के मध्य इलाक़ों से विस्थापित हो रहे हैं और अब तो, दक्षिणी इलाक़ों में भी लोग अपनी जान जाने के डर में रह रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष -UNICEF के प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने इन चिन्ताओं को दोहराते हुए, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का हवाला दिया, जो सेनाओं को आम लोगों नागरिकों की सुरक्षा के लिए "सभी सम्भव उपाय करने" के लिए बाध्य करता है. 

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस तरह की एकतरफ़ा घोषणा करना स्वीकार्य नहीं है कि आम लोगों को "तथाकथित सुरक्षित क्षेत्रों" में चले जाना चाहिए, जबकि वहाँ वास्तव में पानी, आश्रय या स्वच्छता के बिना "पगडंडियाँ" या "आधी-निर्मित इमारतें" थीं.

जेम्स ऐल्डर ने कहा, "अगर यह इलाक़ा केवल बमबारी से मुक्त भी हो तो भी यह एक सुरक्षित क्षेत्र नहीं है..."

जानलेवा क़ीमत

इस बीच यूएन मानवीय राहत समन्वय कार्यालय – OCHA ने ग़ाज़ा में स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से बताया कि 3 दिसम्बर की दोपहर और 4 दिसम्बर की दोपहर के बीच की अवधि में युद्धक गतिविधियों में कम से 349 फ़लस्तीनी मारे गए और 750 घायल हो गए.

ओसीएचए ने अपनी नवीनतम आपातकालीन जानकारी में कहा है कि इसराइली सूत्रों के अनुसार, तीन इसराइली सैनिक भी मारे गए.

10 में से 8 गज़ावासी बेघर

ग़ाज़ा के युद्धग्रस्त इलाक़े ख़ान यूनिस में, ध्वस्त इमारतों के बीच, कुछ महिलाएँ खाना पकाते हुए.
© UNRWA/Ashraf Amra

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी - UNRWA के अनुसार, लगभग 19 लाख लोग यानि ग़ाज़ा की 85 प्रतिशत से अधिक आबादी, 7 अक्टूबर के बाद से विस्थापित बन गए हैं.

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने कहा कि लगभग 12 लाख आन्तरिक रूप से विस्थापित लोगों को, ग़ाज़ा के उत्तर और ग़ाज़ा सिटी सहित ग़ाज़ा पट्टी के सभी पाँच गवर्नरेट में, 156 एजेंसी के ठिकानों में आश्रय दिया गया है.

एजेंसी ने यह भी पुष्टि की कि हवाई हमलों के दौरान कम से कम 19 अतिरिक्त सहकर्मी मारे गए, जिससे 7 अक्टूबर के बाद, मारे गए यूएन कर्मियों की कुल संख्या 130 हो गई है. 

UNWRA ने जेहान नामक अपने एक काउंसलर के हवाले से कहा है, "हम चलते समय भी ख़तरे में हैं. हमारा जीवन रुका हुआ है…यहाँ मौत की गन्ध है. लेकिन हम जीने के लिए दृढ़ हैं.”

सहायता जीवन रेखा

ग़ौरतलब है कि 7 अक्टूबर को इसराइल में हमास के आतंकी हमले में 1200 लोग मारे गए थे और लगभग 240 लोगों को बन्धक बनाया गया था.

ग़ाज़ा में स्वास्थ्य अधिकारियों का अनुमान है कि उसके बाद हुए इसराइली हमलों में, ग़ाज़ा में कम से कम 15 हज़ार 523 फ़लस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें से 70 प्रतिशत संख्या महिलाओं और बच्चों की समझी जाती है. 

यूएनआरडब्ल्यूए ने कहा है, "बहुत से लोग लापता हैं, सम्भवतः मलबे के नीचे, राहत और बचाव की प्रतीक्षा कर रहे हैं."

OCHA ने सभी मानवीय सहायता सामग्रियों की भारी कमी के बीच बताया कि रविवार को, 69 हज़ार लीटर ईंधन के साथ, लगभग 100 सहायता ट्रक ग़ाज़ा पट्टी में पहुँचे. 

संयुक्त राष्ट्र सहायता कार्यालय ने कहा कि उतनी ही मात्रा शनिवार को ग़ाज़ा पहुँची, जबकि यह, 24 और 30 नवम्बर से लड़ाई में मानवीय-ठहराव के दौरान वितरित किए गए, 170 ट्रकों और 1 लाख 10 हज़ार लीटर ईंधन के दैनिक औसत से अब भी "काफ़ी कम" है.

डब्ल्यूएचओ के डॉक्टर पीपरकोर्न ने कहा, “यह बहुत कम है, यह बहुत कम है. ग़ाज़ा की “बढ़ती आपदा” के बीच, अधिक दवा, भोजन, पानी और ईंधन की आवश्यकता है.