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COP28: महिलाएँ और जलवायु पैरोकार, परिवर्तन के लिए हुए एकजुट

कॉप28 में, लिंग मुद्दा व जलवायु विषय पर सोमवार को चर्चा के बाद, कुछ महिला हस्तियाँ तस्वीर खिंचाने के लिए एकत्र हुईं.
© COP28/Christophe Viseux
कॉप28 में, लिंग मुद्दा व जलवायु विषय पर सोमवार को चर्चा के बाद, कुछ महिला हस्तियाँ तस्वीर खिंचाने के लिए एकत्र हुईं.

COP28: महिलाएँ और जलवायु पैरोकार, परिवर्तन के लिए हुए एकजुट

जलवायु और पर्यावरण

दुबई में चल रहे यूएन जलवायु सम्मेलन - COP28 के पैरोकारों ने सोमवार को कहा कि महिलाओं पर जलवायु परिवर्तन के असंगत प्रभावों का मुक़ाबला करने के लिए, निर्णयकर्ताओं को न केवल ऐसी अधिक नीतियाँ बनानी चाहिए जो उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करती हों, बल्कि महिलाओं के अद्वितीय ज्ञान और विशेषज्ञता को भी पहचानना चाहिए जिसका उपयोग प्रभावी जलवायु कार्रवाई का समर्थन करने के लिए किया जा सकता है.

संयुक्त अरब अमीरात के सबसे बड़े शहर दुबई में चल रहे इस वर्ष के संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन ने अपने दूसरे सप्ताह का आरम्भ, महिला नेत्रियों और कार्यकर्ताओं के विविध वर्गों की बात सुनने के साथ किया, और मौजूदा लैंगिक अन्तर को समाप्त करने और महिलाओं व लड़कियों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए अपनी आवाज़ बुलन्द की. 

प्रचलित लिंग मानदंड, मौजूदा असमानताएँ और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में महिलाओं की असमान भागेदारी, अक्सर उन्हें जलवायु समाधान में पूर्ण योगदान देने से रोकती है.

चिन्ता की बात यह है कि संयुक्त राष्ट्र महिला (UN Women) ने सोमवार को जो रिपोर्ट जारी की है वो बताती है कि 2050 तक, जलवायु परिवर्तन 15.8 करोड़ और महिलाओं और लड़कियों को, निर्धनता में धकेल सकता है, और 23.6 करोड़ अतिरिक्त लोगों को खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ सकता है.

अलबत्ताआशा भी है कि महिलाएँ जलवायु समाधानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं - और निभाती हैं, जैसा कि COP28 में 'लैंगिक समानता दिवस' पर उजागर किया गया था, जहाँ महिला परिवर्तनकारियों ने दिखाया कि वे कार्रवाई को किस तरह आगे बढ़ा रही हैं.

‘क्रिएटर हब’ में संयुक्त राष्ट्र साझेदारी कार्यालय द्वारा 'सभी के लिए महिलाओं का उदय' मंच पर एक पैनल चर्चा आयोजित की गई, जिसमें पेरिस समझौते के अनुरूप स्थाई समाधानों को आगे बढ़ाने में, महिलाओं के नेतृत्व को रेखांकित किया गया.

महिलाएँ जलवायु कार्रवाई की रहबर

संयुक्त राष्ट्र उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद ने अपनी वीडियो टिप्पणी में कहा, “जलवायु लड़ाई में महिलाएँ सबसे आगे खड़ी हैं. चाहे वैज्ञानिक हों, विधायक हों, आदिवासी नेत्री हों, युवा कार्यकर्ता हों, वे 1.5 डिग्री सैल्सियस के लक्ष्य को जीवित रखने के लिए लड़ रही हैं.”

संयुक्त राष्ट्र महिला में आर्थिक सशक्तिकरण प्रमुख जेमिमा नजूकी ने इसी भावना को प्रतिध्वनित करते हुएकहा, "उनके पास संसाधन नहीं होने के बावजूद, हम, महिलाओं और लड़कियों के नेतृत्व में बहुत सारे कार्य देख रहे हैं, और अगर हम उन्हें अधिक कार्रवाई करने के लिए संसाधन दे सकते हैं - जिसमें वित्तीय संसाधन शामिल हों - तो मुझे लगता है कि हमारी दुनिया इसके लिए बेहतर होगी.”

चर्चा में शिरकत करने वाली महिला प्रतिभागियों ने बताया कि वे COP28 में जलवायु वार्ता में प्रगति पर बारीक़ी से नज़र रखेंगी, विशेष रूप से ऊर्जा परिवर्तन के लिए वित्त पोषण, ईंधन को 'चरणबद्ध तरीक़े से बाहर करने' और स्वच्छ ऊर्जा को 'चरणबद्ध करने' के मुद्दे पर.

संयुक्त राष्ट्र उप प्रमुख आमिना जे मोहम्मद ने रेखांकित किया, "महिलाएँ अपने समुदायों, शहरों, देशों और क्षेत्रों सहित, हर जगह से अधिक महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई को आगे बढ़ा रही हैं."

दिवस की थीम के अनुरूप, कार्यक्रमों में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि महिलाएँ किस तरह समाधान ला रही हैं, जीवन रक्षा कर रही हैं और आजीविकाओं की रक्षा कर रही हैं, और इनमें से कुछ महिलाएँ तो, समाधान सम्मेलन स्थल से हज़ारों मील दूर बदलाव ला रही हैं.

संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था की कार्यकारी निदेशक सीमा बाहौस ने कहा, “महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को, COP28 सहित जलवायु कार्रवाई के केन्द्र में रखा जाना होगा. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि महिलाओं को निर्णय लेने की मेज़ पर एक सीट मिले."

उन्होंने कहा, "हमें समावेशी निर्णय लेने की प्रक्रिया को मज़बूत करना होगा ताकि नारीवादियों, युवाओं, आदिवासी और ज़मीनी स्तर के अन्य आन्दोलनों की आवाज़ को, स्थानीय से वैश्विक स्तर तक ज़ोर से और स्पष्ट रूप से सुना जा सके."

यूएन महिला संस्था (UN Women) की कार्यकारी निदेशक सीमा बहौस, कॉप28 की एक उच्च स्तरीय चर्चा में शिरकत करते हुए.
© COP28/Christophe Viseux