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ग़ाज़ा: हिंसा समाप्ति व बातचीत फिर शुरू किए जाने की अपील

ग़ाज़ा पट्टी के दक्षिणी इलाक़े में स्थित ख़ान यूनिस में अल नासिर अस्पताल में, महिलाएँ अपने परिजनों की मौत पर शोक सन्तप्त.
©UNICEF/UNI472270/Zaqout
ग़ाज़ा पट्टी के दक्षिणी इलाक़े में स्थित ख़ान यूनिस में अल नासिर अस्पताल में, महिलाएँ अपने परिजनों की मौत पर शोक सन्तप्त.

ग़ाज़ा: हिंसा समाप्ति व बातचीत फिर शुरू किए जाने की अपील

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने, रविवार को कहा है कि फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में, युद्धक गतिविधियाँ फिर भड़कने और आम लोगों पर उनके अति विनाशकारी व हृदय विदारक प्रभावों ने, हिंसा को रोके जाने और एक दीर्घकालीन राजनैतिक समाधान की ज़रूरत को और भी प्रबल रूप में उजागर किया है.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने रविवार को एक बयान में इस पर गहरी चिन्ता व्यक्त की पिछले सप्ताह के युद्ध-ठहराव को जारी रखने के बारे में हो रही बातचीत कथित तौर पर रुक गई है.

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उन्होंने कहा,“बन्दूकें शान्त करें और बातचीत की तरफ़ वापिस लौटें – आम लोगों पर टूट रहे क़हर की पीड़ा सहन करने की सीमाओं से बहुत परे है. और अधिक हिंसा, इसका जवाब नहीं है. इससे न तो शान्ति लौटेगी और न ही सुरक्षा,''

उन्होंने ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय का हवाला देते हुए कहा कि लड़ाई गत शुक्रवार को फिर से भड़क उठी जिसमें इसराइली बमबारी में सैकड़ों फ़लस्तीनी मारे गए हैं.

मिस्र के साथ लगने वाली रफ़ार सीमा चौकी से, शुक्रवार को कोई भी सहायता क़ाफ़िला, ग़ाज़ा पट्टी में में प्रवेश नहीं कर पाया, और शनिवार को भी, सहायता सामग्री का वितरण प्रतिबन्धित कर दिया गया, जिससे भोजन, पानी, ईंधन और अन्य बुनियादी आवश्यक चीज़ों की कमी के बीच, लाखों लोगों की सहायता के लिए मानवीय कार्यों पर असर पड़ा है.

कोई सुरक्षित जगह नहीं

वोल्कर टर्क ने भय व्यक्त किया कि फिर शुरू हुई और सघन युद्धक गतिविधियों से, और भी अधिक मौतें होंगी, बीमारी फैलेगी और अधिक विनाश होगा.

उन्होंने कहा, “इसराइल द्वारा युद्धक गतिविधियाँ जारी रखने और लोगों को ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े और दक्षिण के भी कुछ हिस्सों से निकलकर अन्यत्र चले जाने का आदेश जारी करने के परिणामस्वरूप, लाखों लोगों को उचित स्वच्छता, पर्याप्त भोजन, पानी और स्वास्थ्य आपूर्ति तक पहुँच के बिना दक्षिणी ग़ाज़ा में छोटे क्षेत्रों में सीमित किया जा रहा है. जबकि उनके आसपास बम भी बरसाए जा रहे हैं.” 

मानवाधिकार प्रमुख ने कहा, ''ग़ाज़ा में कोई सुरक्षित जगह नहीं है.''

उन्होंने ज़ोर देते हुए कि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून और मानवाधिकार क़ानून के तहत, नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और जरूरतमन्द लोगों तक, निर्बाध मानवीय सहायता सामग्री की पहुँच की सुविधा को क़ायम रखा जाए.

उत्तरी ग़ाज़ा के लिए चिन्ता

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने इस बात को भी रेखांकित किया कि उत्तरी ग़ाज़ा में बचे हज़ारों लोगों पर, किस तरह बमबारी का खतरा मंडरा रहा है और वे भोजन व अन्य आवश्यक चीज़ों से वंचित हैं.

उन्होंने कहा कि इस भयावह स्थिति और इसराइल द्वारा लोगों को, दक्षिणी ग़ाज़ा की ओर जाने के आदेश दिए जाने का मतलब है कि लोगों को अनिवार्य रूप से वहाँ से निकल जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जो उत्तरी ग़ाज़ा को फ़लस्तीनी लोगों से ख़ाली करने का प्रयास प्रतीत होता है.

उन्होंने कहा, “इस नवीनतम संकट के शुरू होने के बाद से दुनिया ने सप्ताह-दर-सप्ताह भयावहता देखी है, जिसमें नागरिकों की जानबूझकर हत्या, अन्धाधुन्ध रॉकेटों की गोलाबारी, आबादी वाले क्षेत्रों में व्यापक प्रभाव वाले विस्फोटक हथियारों का उपयोग करके ताबड़तोड़ हमले, सामूहिक दंड दिए जाने के तरीक़े, मानवीय सहायता में बाधा, और लोगों को बन्धक बनाया जाना, ये सभी अन्तरराष्ट्रीय कानून के तहत निषिद्ध हैं, और इन पर गम्भीर चिन्ताएँ भी व्यक्त की गई हैं. ''

वोल्कर टर्क ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के बहुत से और गम्भीर उल्लंघनों के बेहद गम्भीर आरोपों की पूरी जाँच की जानी चाहिए और उनके लिए ज़िम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. ऐसे मामलों में अगर राष्ट्रीय अधिकारी ऐसी जाँच किए जाने और मुक़दमे चलाने में अनिच्छुक या असमर्थ साबित होते हैं, तो उनमें अन्तरराष्ट्रीय जाँच आवश्यक है.

अब चलन बदला जाए

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उन्होंने सदस्य देशों से यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी शक्ति में सब कुछ करने का आग्रह किया कि सभी पक्ष अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत अपने दायित्वों का पालन करें और अन्तरराष्ट्रीय अपराध होने से रोकें.

मानवाधिकार प्रमुख ने कहा, “अब चलन बदलने का समय आ गया है. जो लोग या पक्ष, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन करने का विकल्प चुनते हैं, उनके लिए ये चेतावनी जारी है कि जवाबदेही निर्धारित की जाएगी. कोई भी जन या पक्ष, क़ानून से ऊपर नहीं है.”

WHO ने लगाई युद्ध-विराम की पुकार

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने भी, शनिवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में ग़ाज़ा में युद्ध-विराम का आहवान किया.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि चल रहे युद्ध और बमबारी की ख़बरें भयावह हीं.

उन्होंने कहा कि संगठन की एक टीम ने शुक्रवार को दक्षिणी ग़ाज़ा में अल-नासेर चिकिस्ता अस्पताल का दौरा किया, जहाँ अनगिनत लोगों ने पनाह ली हुई है मरीज़ों को फ़र्श पर ही चिकित्सा देखभाल मुहैया करानी पड़ रही थी.

उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने सन्देश में लिखा है, "ये हालात, स्वास्थ्य देखभाल के प्रावधान के लिए अपर्याप्त-अकल्पनीय हैं. हम जो देख रहे हैं उस पर अपनी चिन्ता व्यक्त करने के लिए मुझे पर्याप्त शब्द नहीं मिल रहे हैं. युद्ध-विराम लागू हो, बिल्कुल अभी."