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ग़ाज़ा में अस्पतालों या उनके निकट हमले बेतुके, निन्दनीय और तुरन्त रुकें, मार्टिन ग्रिफ़िथ्स

ग़ाज़ा में अल शिफ़ा अस्पताल का एक दृश्य. WHO ने आगाह किया है कि ग़ाज़ा में अस्पताल ठप हो जाने के निकट हैं.
WHO/Occupied Palestinian Territory
ग़ाज़ा में अल शिफ़ा अस्पताल का एक दृश्य. WHO ने आगाह किया है कि ग़ाज़ा में अस्पताल ठप हो जाने के निकट हैं.

ग़ाज़ा में अस्पतालों या उनके निकट हमले बेतुके, निन्दनीय और तुरन्त रुकें, मार्टिन ग्रिफ़िथ्स

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों ने शनिवार को कहा है कि किसी भी स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में या उसके आसपास किसी भी "युद्ध के कृत्य" का कोई औचित्य नहीं हो सकता है. यह बात इन ख़बरों के बीच कही गई है कि इसराइल ने फ़लस्तीनी चरमपंथियों के साथ लड़ाई के दौरान, ग़ाज़ा के सबसे बड़े अस्पताल पर हमले किए हैं.

इसराइली सेना ने एक वक्तव्य में इस बात से इनकार किया कि उसने ग़ाज़ा शहर में अल-शिफ़ा अस्पताल को निशाना बनाया है. इस अस्पताल के बारे में इसराइली सेना का दावा है कि इस अस्पताल के तहख़ाने में हमास का कमांड पोस्ट स्थित है मगर इसराइली सेना ने स्वीकार किया है कि उस अस्पताल के आपसास लड़ाई हो रही है.

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय आपदा राहत मामलों के प्रमुख, मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने ट्वीट सन्देश में कहा है कि "भयावह हमलों की ख़बरों” के मद्देनज़र, "स्वास्थ्य सुविधाओं में युद्ध के कृत्यों को किसी भी आधार पर न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता और स्वास्थ्य सेवाओं को बिना बिजली, भोजन या पानी के छोड़ देना व मरीज़ों व आम लोगों पर उस समय गोलीबारी करने का कोई औचित्य नहीं हो सकता है, जब वो सुरक्षित ठिकानों के लिए निकलने की कोशिश कर रहे हों.”

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“यह बिल्कुल अनुचित है, निन्दनीय है और इसे रोका जाना होगा. अस्पताल अधिक सुरक्षा के स्थान होते हैं और जिन लोगों को उनकी ज़रूरत है उनका यह अटूट भरोसा क़ायम रहना चाहिए कि वे आश्रय के स्थान हैं, न कि युद्ध के."

आनुपातिकता का सिद्दान्त

इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र के रैज़िडेंट और मानवतावादी समन्वयक, लिन हेस्टिंग्स ने तत्काल मानवीय युद्धविराम किए जाने की पुकार को रेखांकित किया है. उन्होंने साथ ही इस बात पर भी ज़ोर दिया है कि नागरिक बुनियादी ढाँचे का उपयोग "सैन्य अभियानों के लिए नहीं किया जा सकता है."

उन्होंने ट्वीट सन्देश में कहा है, "मरीज़ों, मेडिकल स्टाफ़ के साथ-साथ, आश्रय ले रहे विस्थापित लोगों की सुरक्षा की जानी होगी."

"आनुपातिकता, अन्तर करने के सिद्धान्तों का सम्मान किया जाना होगा."

डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक ग़ैर-सरकारी संगठन के हवाले से ख़बरों में कहा गया है कि अल शिफ़ा अस्पताल में अन्तिम जैनरेटर के भी, अस्पताल पर हवाई हमलों के दौरान क्षतिग्रस्त होने के बाद, अस्पताल में, समय से पहले पैदा होने वाले दो बच्चों की, पिछले कुछ घंटों के दौरान मौत हो गई है.

ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि अस्पताल में अब पानी, भोजन और बिजली ख़त्म हो गए हैं.

संयुक्त राष्ट्र की आपदा राहत समन्वय एजेंसी – OCHA ने, ग़ाज़ा में स्वास्थ्य मंत्रालय से प्राप्त के नवीनतम आँकड़ों में बताया गया है कि 7 अक्टूबर के हमास हमलों के बाद से, ग़ाज़ा सिटी में 10,800 से अधिक लोग मारे गए हैं और 26,900 से अधिक घायल हुए हैं. - संयुक्त राष्ट्र इन आँकड़ों को विश्वसनीय मानता है.

इसराइल ने 7 अक्टूबर को, हमास के चरमपंथी हमलों से होने वाली मौतों की संख्या को, गत शुक्रवार को संशोधित करके, 1,200 कर दिया, अभी तक ये संख्या 1,400 बताई जा रही थी.

एक धागे भर से लटकी ज़िन्दगियाँ

इससे पहले शनिवार को, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष - यूनीसेफ़ ने कहा था कि "लगभग पूर्ण नाकाबन्दी और चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवाओं पर हमलों ने, ज़िन्दगियाँ को, केवल एक धागे फर से लटका छोड़ दिया है, विशेष रूप में ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में."

यूनीसेफ़ ने रेखांकित किया है कि ग़ाज़ा पट्टी में, बच्चों के अल-रनतीसी और अल-नस्र अस्पतालों में चिकित्सा देखभाल "कथित तौर पर लगभग बन्द हो गई है, और गहन चिकित्सा इकाई को बिजली आपूर्ति करने के लिए केवल एक छोटा जनरेटर बचा है.

यूनीसेफ़ की मध्य पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका के लिए क्षेत्रीय निदेशक एडेल ख़ोदर ने कहा है, "बच्चों के जीवन और स्वास्थ्य के अधिकार को नकारा जा रहा है. अस्पतालों की सुरक्षा और जीवनरक्षक चिकित्सा सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित किया जाना, युद्ध के क़ानूनों के तहत एक दायित्व है, और इस समय इन दोनों की आवश्यकता है."

यूनीसेफ़ ने कहा है कि ग़ाज़ा पट्टी के मध्य और दक्षिणी क्षेत्रों में जो चिकित्सा सुविधाएँ पहले से ही उपचार की आवश्यकता वाले घायलों की भारी संख्या से जूझ रही थीं, अब उन्हें और भी अधिक संख्या में लाखों लोगों की ज़रूरतों का इलाज करने के अतिरिक्त दायित्व का भी सामना करना पड़ रहा है, इन लोगों के लिए स्थान अब और भी कम पड़ रहा है.

यूएन बाल एजेंसी ने कहा, "इन मौजूदा सेवाओं को, बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए, समर्थन और मजबूती दी जानी होगी."

एडेल ख़ोदर ने कहा, बच्चों का जीवन "धागे से लटका हुआ" है. ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में रहने वाले बच्चों के पास "कहीं अन्यत्र चले जाने का विकल्प नहीं है और वे अत्यधिक जोखिम में हैं."