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​इसराइली बस्तियों के बाशिन्दों की हिंसा से, विस्थापित फ़लस्तीनियों की बढ़ती संख्या

फ़लस्तीनी पशुपालकों को बढ़ती हिंसक घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी आजीविका प्रभावित हुई है.
UNOCHA/Manal Massalha
फ़लस्तीनी पशुपालकों को बढ़ती हिंसक घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी आजीविका प्रभावित हुई है.

​इसराइली बस्तियों के बाशिन्दों की हिंसा से, विस्थापित फ़लस्तीनियों की बढ़ती संख्या

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र के एक नए विश्लेषण के अनुसार, इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र पश्चिमी तट में यहूदी बस्तियों के बाशिन्दों द्वारा हिंसा में निरन्तर वृद्धि हो रही है, जिसके कारण पिछले वर्ष से अब तक 1,100 से अधिक फ़लस्तीनी लोग विस्थापित हो चुके हैं.

मानवीय राहत मामलों में संयोजन के लिए यूएन कार्यालय (UN OCHA) ने गुरूवार को बताया कि वर्ष 2023 के पहले आठ महीनों के दौरान, बस्तियों के निवासियों की हिंसा से सम्बन्धित हर दिन औसतन तीन घटनाएँ हुईं, जिनसे फ़लस्तीनी प्रभावित हुए.

संयुक्त राष्ट्र ने 2006 में इस मुद्दे पर जानकारी जुटानी शुरू की थी, और उसके बाद से यह अब तक की अधिकतम दर है.
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पिछले महीने क़ाबिज़ पश्चिमी तट में 63 फ़लस्तीनी पशुपालक समुदायों की मानवीय सहायता आवश्यकताओं की समीक्षा की गई, जिनकी कुल आबादी 10 हज़ार से अधिक है.

यह आकलन दर्शाता है कि वर्ष 2022 के बाद से अब तक लगभग 12 फ़ीसदी आबादी विस्थापित हो चुकी है, जिसकी वजह बस्तियों के निवासियों द्वारा हिंसा और पशुपालकों को चारागाहों तक जाने से रोकना है.

इनमें से अधिकांश विस्थापित रामल्लाह, नबलूस और हेब्रॉन गवर्नरेट में हैं, जहाँ सबसे बड़ी संख्या में इसराली बस्तियों के लिए चौकियाँ बनी हुई हैं.

यूएन कार्यालय के अनुसार, लगभग चार समुदाय पूर्ण रूप से विस्थापित हो चुके हैं और अब वीरान हैं.
 
यूएन एजेंसी ने बताया कि फ़लस्तीन में पशुपालक समुदायों के जीवन व आजीविका को अनेक मुद्दे प्रभावित कर रहे हैं.

इनमें मवेशियों के लिए चारागाहों पर बस्तियों का विस्तार, बस्तियों के बाशिन्दों द्वारा ज़मीन हथियाना, फ़सलों की बर्बादी, भूमि को ज़ब्त किया जाना और जल स्रोतों को जानबूझकर दूषित करना समेत अन्य मुश्किलें हैं.

इसके मद्देनज़र, OCHA ने फ़लस्तीनी पशुपालकों को पारम्परिक तौर-तरीक़ों के आधार पर और अधिक आत्मनिर्भर बनाया जाना होगा.

मगर, बस्तियों के निवासियों द्वारा अंजाम दी जाने वाली हिंसा के कारण उन्हें मानवीय सहायता की आवश्यकता है, और इसराइली प्रशासन दोषियों की जवाबदेही तय कर पाने में विफल रहा है.

यूएन एजेंसी ने आगाह किया है कि इन हालात में फ़लस्तीनियों के विस्थापन को जबरन हस्तांरण की श्रेणी में रखा जा सकता है, जोकि अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून का एक गम्भीर उल्लंघन है.