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पाकिस्तान: बाढ़ का पानी उतरने के बाद भी, बच्चों की तकलीफ़ें बरक़रार

2022 की बाढ़ में क्षतिग्रस्त, अपने घर की दीवार पर बैठी युवा लड़कियाँ.
© UNICEF/A. Sami Malik
2022 की बाढ़ में क्षतिग्रस्त, अपने घर की दीवार पर बैठी युवा लड़कियाँ.

पाकिस्तान: बाढ़ का पानी उतरने के बाद भी, बच्चों की तकलीफ़ें बरक़रार

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) ने शुक्रवार को चेतावनी दी है कि पाकिस्तान में पिछले साल आई विनाशकारी बाढ़ से उबरने व पुनर्बहाली प्रयासों के लिए पर्याप्त वित्त पोषण की कमी के कारण, लाखों बच्चे अब भी मानवीय सहायता पर निर्भर हैं. 

पाकिस्तान में यूनीसेफ़ के प्रतिनिधि अब्दुल्ला फ़ादिल ने, उस अभूतपूर्व आपदा के एक साल पूरे होने पर, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षित पानी के अभाव में रहने वाले लगभग 40 लाख बच्चों के सामने उत्पन्न नई चुनौतियों का उल्लेख किया.

उन्होंने कहा है, “बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले कमज़ोर वर्ग के बच्चों को एक भयावह वर्ष झेलना पड़ा है. उन्होंने अपने प्रियजन, घर और स्कूल तक को खो दिए. मानसून के मौसम में वर्षा के लौटने से, एक और जलवायु आपदा का डर सताने लगा है."

"पुनर्बहाली के प्रयास जारी हैं, लेकिन अब भी बहुत से लोगों तक पहुँच हासिल नहीं हो सकी है, और इससे ख़ासतौर पर पाकिस्तान के बच्चों के उपेक्षित होने का ख़तरा है.''

इस बार मानसून की बारिश से पहले ही, 87 बच्चों समेत 210 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, और देश भर में 4 हज़ार से अधिक घरों को नुक़सान पहुँचा है.

अभूतपूर्व आपदा

पाकिस्तान में, जलवायु परिवर्तन के कारण अधिक क़हर बरसाने वाली 2022 की ऐतिहासिक बाढ़ से, देश का एक तिहाई से अधिक हिस्सा जलमग्न हो गया था. इससे 3 करोड़ 30 लाख लोग प्रभावित हुए थे, जिनमें से आधी संख्या बच्चों की थी. 

इसके अलावा, 30 हज़ार स्कूलों, 2 हज़ार स्वास्थ्य सुविधाओं और 4 हज़ार 300 जल प्रणालियों समेत महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचों को क्षति पहुँची थी.

इस आपदा से, बच्चों और परिवारों के सामने पहले से मौजूद असमानताएँ अधिक गहन हो गई हैं. यूनीसेफ़ के अनुसार, बाढ़ से पहले भी एक तिहाई युवजन स्कूल से बाहर थे, कुपोषण आपातस्तर पर पहुँच चुका था और सुरक्षित पेयजल व स्वच्छता तक पहुँच की गम्भीर कमी थी.

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राहत सहायता प्रभावित

यूनीसेफ़ और उसके साझीदार संगठन अगस्त 2022 से ही , प्रभावित आबादी की सहायता के प्रयासों में लगे हैं. 36 लाख लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएँ, 17 लाख लोगों को सुरक्षित जल, और 5 लाख 45 हज़ार से अधिक बच्चों व देखभालकर्मियों को मानसिक स्वास्थ्य व मनोसामाजिक सहायता उपलब्ध कराई गई है.

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने गम्भीर कुपोषण के लिए 21 लाख बच्चों की जाँच की है और एक लाख 72 हज़ार बच्चों को, जीवनरक्षक उपचार के लिए भर्ती करवाया गया है. हालाँकि, जवाबी कार्रवाई के लिए उपलब्ध आवश्यक संसाधनों की तुलना में, ज़रूरतें लगातार बढ़ती जा रही हैं. 

44 लाख बच्चों सहित लगभग 64 लाख लोगों को जीवन-रक्षक सहायता मुहैया कराने के लिए, यूनीसेफ़ की 17.35 करोड़ डॉलर की अपील में से, केवल 57 प्रतिशत वित्तपोषण ही प्राप्त हुआ है.

जलवायु-सहनसक्षम निवेश

अब्दुल्ला फ़ादिल ने सरकार के साथ-साथ साझेदारों से भी, बच्चों और परिवारों के लिए सामाजिक सेवाओं में निवेश बढ़ाने का आहवान किया.

उन्होंने कहा, “हमें जलवायु-सहनसक्षम प्रणालियों का निर्माण करना चाहिए जो समता का अन्तराल पाट सके और जलवायु झटकों के प्रति संवेदनशीलता घटाएँ. बाढ़ का पानी उतर गया है, लेकिन इस जलवायु अस्थिर क्षेत्र में [बच्चों की] समस्याएँ बरक़रार हैं.''