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उत्तर कोरिया: बढ़ते सैन्यकरण से, मानवाधिकार हनन को ईंधन

उत्तर कोरिया में, एक स्वास्थ्यकर्मी, एक परिवार से मिलते हुए.
© UNICEF/Simon Nazer
उत्तर कोरिया में, एक स्वास्थ्यकर्मी, एक परिवार से मिलते हुए.

उत्तर कोरिया: बढ़ते सैन्यकरण से, मानवाधिकार हनन को ईंधन

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने गुरूवार को कहा है कि लोकतांत्रिक जन गणराज्य कोरिया (DPRK) की सरकार द्वारा अपने ही नागरिकों के मानवाधिकारों का अत्यन्त गम्भीर, व्यापक और दीर्घकालिक हनन किए जाने के मामले को, कोरिया प्रायद्वीप में वृहद शान्ति व सुरक्षा मुद्दों से अलग करके नहीं देखा जा सकता है.

वोल्कर टर्क ने सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए, मानवाधिकार हनन मामलों की एक लम्बी सूची पेश की और कहा कि इनमें से बहुत से मामले, देश में बढ़ते सैन्यकरण से, या उसके समर्थन में से निकलते हैं.

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ग़ौरतलब है कि डीपीआरके को उत्तर कोरिया के नाम से भी जाना जाता है.

वोल्कर टर्क की इस दलील को, संयुक्त राष्ट्र की एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ऐलिज़ाबेथ सैलमॉन ने भी दोहराया. 

उन्होंने सुरक्षा परिषद में बैठे राजदूतों को बताया कि उत्तर कोरिया के नेतृत्व ने, बार-बार अपने नागरिकों से, बहुत तंगी के हालात में रहने के लिए तैयार रहने की मांग की है, कुछ मामलों में तो भूखे पेट रहने तक, ताकि उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग, देश के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों के लिए किया जा सके.

अधिकारों पर हथियारों का तरजीह

मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने देश के हथियार निर्माण कार्यक्रम को सहारा देने के लिए, जबरन मज़दूरी के व्यापक दायरे की तरफ़ ध्यान दिलाया. 

इसमें राजनैतिक क़ैदियों के शिविर, बच्चों से जबरन फ़सलें इकट्ठी करने का काम, और विदेशी कामगारों का पारिश्रमकि ज़ब्त कर लेने जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं.

पूरे कोरिया प्रायद्वीप में चिन्ताजनक और अस्थाई स्थिति का आकलन करने के लिए, लगभग एक महीना पहले ही, सुरक्षा परिषद की बैठक हुई थी. 

उत्तर कोरिया द्वारा इस साल चार अन्तर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किए जाने के मद्देनज़र, जापान जैसे पड़ोसी देश भी प्रभावित हो रहे हैं.

सहायता ठुकराई

वोल्कर टर्क ने कहा कि उत्तर कोरिया अलबत्ता यह कह चुका है कि वो, खाद्य आपूर्ति और पोषण संकट को ख़त्म करने में मदद की ख़ातिर, अन्तरराष्ट्रीय सहयोग के लिए खुला है, मगर मानवीय सहायता की पेशकश, व्यापक तौर पर ठुकराई गई है.

उत्तर कोरिया में, संयुक्त राष्ट्र की टीम के साथ-साथ लगभग अन्य सभी विदेशी नागरिकों को, बन्द सीमाओं के बीच, देश से बाहर ही रखा गया है.

उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया के लोगों की तकलीफ़ों पर ध्यान देने की ख़ातिर समन्वित कामकाज को आगे बढ़ाने के लिए, संयुक्त राष्ट्र की टीम को, देश में दाख़िल होने देना, अति महत्वपूर्ण होगा. 

वोल्कर टर्क ने, मानवाधिकार उल्लंघन करने वालों को, अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय और सच बुलवाकर, शारीरिक अवशेषों को बरामद करके और मुआवज़ा कार्यक्रमों के माध्यम से, जवाबदेह ठहराए जाने की पुकार भी लगाई है.

उत्तर कोरिया में मानवाधिकार स्थिति के लिए, संयुक्त राष्ट्र की स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ऐलिज़ाबेथ सैलमॉन, सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Eskinder Debebe

शान्ति के लिए महिलाओं की भूमिका अहम

उत्तर कोरिया में, संयुक्त राष्ट्र की विशेष रैपोर्टेयर ऐलिज़ाबेथ सैलमॉन ने, देश में महिलाओं व लड़कियों की असहाय स्थिति की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया. इसमें भुखमरी के लिए नाज़ुक स्थिति शुरू होने से लेकर, बीमारियाँ और स्वास्थ्य देखभाल का अभाव भी शामिल है.

उन्होंने सुरक्षा परिषद में राजदूतों को बताया, “महिलाओं को अमानवीय परिस्थितियों में बन्दी बनाकर रखा जाता है और उनके साथ दुर्व्यवहार व उत्पीड़न किया जात है, उन्हें सरकारी अधिकारी जबरन मज़दूरी और लिंग आधारित हिंसा का शिकार भी बनाते हैं. ”

उन्हें “हिंसा की अनुपस्थिति और हिंसा के डर” से परे, शान्ति निर्माण पर विचार करने की आवश्यकता है.

“किसी भी सम्भावित शान्तिनिर्माण प्रक्रिया के लिए तैयारियों में, महिलाओं को निर्णय-निर्माताओं के रूप में शामिल किए जाने की आवश्यकता है, और ये प्रक्रिया बिल्कुल अभी शुरू होनी चाहिए.”