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अफ़ग़ानिस्तान: जच्चा-बच्चा का स्वास्थ्य सुनिश्चित करती दाइयाँ

सूडान में, यूएन जनसंख्या कोष द्वारा समर्थित एक अस्पताल में दाइयाँ. यह तस्वीर मौजूदा संकट से पहले की है.
© UNFPA
सूडान में, यूएन जनसंख्या कोष द्वारा समर्थित एक अस्पताल में दाइयाँ. यह तस्वीर मौजूदा संकट से पहले की है.

अफ़ग़ानिस्तान: जच्चा-बच्चा का स्वास्थ्य सुनिश्चित करती दाइयाँ

स्वास्थ्य

हुसुन, अपनी एक नन्हीं सी बच्ची को जन्म देने के एक सप्ताह बाद, उस पारिवारिक स्वास्थ्य गृह में वापिस पहुँचीं, जहाँ उनकी बच्ची का जन्म हुआ था. वो अपने साथ उस दाई के लिए खाने-पीने की कुछ चीज़ें भी लेकर आईं, जिन्होंने उनके प्रसव में उनकी मदद की थी. 

वहाँ पहुँचकर, हुसुन ने अपनी दाई दुरदाना समन्दर से कहा, “आपने मुझे जो जीवनरक्षक सहायता मुहैया कराई थी, ये उसके लिए मेरी तरफ़ से आपके लिए आभार है.” 

समन्दर की त्वरित सोच ने, एक ऐसी घड़ी को ख़ुशी में तब्दील कर दिया था, जो शायद मुसीबत की एक घड़ी हो सकती थी. हुसुन संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) द्वारा समर्थित सुविधा में गई थीं, उन्हें केवल ऐसा महसूस हुआ था जैसे कि उनके पेट में दर्द हो. हालाँकि वो जानती थीं कि वह गर्भवती हैं, मगर वो ये जानकर हैरान रह गईं कि उन्हें वास्तव में प्रसव पीड़ा हो रही थी.

संयुक्त राष्ट्र यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी द्वारा प्रशिक्षित दाई दुरदाना समन्दर याद करते हुए बताती हैं, “वो अपनी सास के साथ पेट दर्द की शिकायत लेकर, दवा लेने के लिए हमारे क्लीनिक पर आईं थी. लेकिन मैंने देखा कि वो गर्भवती थीं, इसलिए मैंने कुछ और जाँच की, तो मालूम हुआ कि वे उस समय प्रसव पीड़ा के अग्रिम चरण में थी.”

समन्दर, नवम्बर 2022 से पारिवारिक स्वास्थ्य गृह में काम कर रही हैं. 

हुसुन की सास ने दाई को बताया कि वे हुसुन को प्रसव के लिए अपने घर ले जाएंगी, ठीक उसी तरह जैसे उन्होंने अपने दो बच्चों को जन्म दिया था. लेकिन दाई ने उन्हें समझाया कि हुसुन को एक प्रशिक्षित दाई की देखभाल की तत्काल ज़रूरत है.

दाई समन्दर बताती हैं, “मैंने उन्हें उन सम्भावित जटिलताओं और जोखिमों के बारे में विस्तार से बताया जो तब उत्पन्न हो सकती थीं अगर वे क्लीनिक छोड़कर अपने घर के लिए चार घंटे पैदल चलकर जातीं. मैंने उन्हें समझाया कि स्वास्थ्य सुविधा सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है और मेरी यहाँ मौजूदगी से माताएँ और शिशु दोनों सुरक्षित हैं.”

हुसुन इस चीज़ के लिए शुक्रगुज़ार थीं कि उन्होंने दाई समन्दर की बात मानी. हुसुन के लिए यह पहला मौक़ा था जब उन्होंने अपने बच्चे को, किसी स्वास्थ्य सुविधा केन्द्र में जन्म दिया था, और उन्होंने जीवन रक्षा में, इस सुविधा की क्षमता देखी थी. 

उन्होंने कहा, “अगर हमने घर लौटने की ज़िद रखी होती तो स्थिति बहुत अलग हो सकती थी.”

महिलाओं और लड़कियों के लिए चुनौतियाँ

वर्षों के संघर्ष और असुरक्षा के कारण, अफ़ग़ानिस्तान की स्वास्थ्य प्रणाली गम्भीर रूप से प्रभावित हुई है. जिस तरह महिलाओं और लड़कियों के लिए आवागमन की स्वतंत्रता अधिक सीमित होती जा रही है, महत्वपूर्ण सेवाओं तक उनकी पहुँच भी कम हो रही है. विशेष रूप से अलग-थलग क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए निकटतम स्वास्थ्य सुविधा, दुर्गम रास्तों पर पैदल चलने से अक्सर घंटो दूर हो जाती है. 

दूरदराज़ और दुर्गम स्थानों पर रहने वाली गर्भवती महिलाओं के लिए, विशेष रूप से स्थिति बहुत चुनौतीपूर्ण है. उन दुर्लभ इलाक़ों में, हर महीने लगभग 20 हज़ार महिलाएँ अपने बच्चों को जन्म देती हैं. इन्हीं समुदायों में सबसे अधिक संख्या में जच्चा-बच्चा को बीमारियाँ व उनकी मौतें होती हैं.

अफ़ग़ानिस्तान में मातृ मृत्यु की दर विश्व में सबसे अधिक है, गर्भावस्था या प्रसव के दौरान, हर दो घंटे में एक महिला की मौत हो जाती है, मुख्य रूप से रोथाम योग्य कारणों से. 

इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में, महिला स्वास्थ्य कर्मियों को उनके समुदायों में उच्च सम्मान दिया जाता है और सराहना की जाती है, क्योंकि उनकी विशेषज्ञता से अनेक महिलाओं और नवजात शिशुओं को काफ़ी लाभ होता है.

हुसुन को उम्मीद है कि अन्य महिलाएँ भी इन स्वास्थ्य सुविधाओं का रुक़ करेंगे. वो यूएन एजेंसी - UNFPA से कहती हैं, "मुझे यह माताओं और नवजात शिशुओं के लिए एक सुरक्षित आश्रय लगा."

“प्रसव के बाद से, मैं एक भी दिन स्वस्थ नहीं रह पाई हूँ.”

सुदूर उत्तर के बड़ग़िस प्रान्त में रहने वाली एक महिला – जान को, अपने चौथे बच्चे को जन्म देने के बाद बुख़ार और शरीर में दर्द हो गया था. वो उस समय को याद करते हुए बताती हैं, “मैंने घर पर ही अपने बेटे को जन्म दिया. मेरी सास और मेरी एक पड़ोसन, जो परम्परागत रूप जच्चा-बच्चा सहायिका का काम करती रही थीं, उन्होंने मेरी मदद की. मेरा बहुत ख़ून बह गया था...”

लेकिन जल्द ही ख़तरे के संकेत सामने आने लगे. जान ने बताया, “बच्चे के जन्म के बाद से मैं एक दिन भी स्वस्थ नहीं रह पाई. मुझे शरीर में गम्भीर दर्द, सिरदर्द, पीठ दर्द रहने लगा और मैं अपने बच्चे को स्तनपान भी नहीं करा पाती थी, क्योंकि मेरे अन्दर पर्याप्त दूध नहीं बन रहा था.” 

एक महीने बाद भी अत्यधिक दर्द सहते हुए, जान को अपने जीवन के लिए डर लगने लगा. 

अफ़ग़ानिस्तान में एक मरीज़ का इलाज
© WHO/Kiana Hayeri

उन्होंने बताया, “मैं अपने बच्चे की देखभाल के लिए उठ भी नहीं सकती थी. मैंने अपने पति से, मुझे अस्पताल ले जाने को कहा, मुझे डर था कि अगर मुझे चिकित्सा सुविधा नहीं मिली तो शायद मैं उस दिन के अन्त तक भी जीवित नहीं रह पाऊंगी.”

जान ने बताया कि एक और भी समस्या थी. उन्होंने कहा, “लगभग चार घंटे की दूरी पर स्थित, निकटतम अस्पताल तक पहुँचने के लिए हमारे पास परिवहन का कोई साधन नहीं था.”

उनके पति ने, कोई अन्य विकल्प नहीं होने पर, जान को और उनके नवजात शिशु को एक खच्चर पर बिठाया, उन्हें कम्बल उढ़ाया, और अस्पताल की लम्बी यात्रा पर निकल पड़े.

जैसे ही वे अगले गाँव के निकट पहुँचे, उन्होंने मस्जिद से आने वाली एक घोषणा सुनी, जिसमें बताया गया कि वहाँ डॉक्टर और दाइयाँ मौजूद हैं, और स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के साथ, कोई भी लोग वहाँ उनसे मिलने आ सकते हैं.

मस्जिद में पहुँचने के बाद, जान को एक घर में ले जाया गया जहाँ दाइयाँ, एक सचल स्वास्थ्य सम्पर्क सुविधा में मरीज़ों की देखभाल कर रही थीं, जोकि संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) से समर्थित थी.

देश भर में लोगों की जान बचाती दाइयाँ

संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) की विकास सहायता एजेंसी – USAID से वित्त पोषित यह सचल क्लीनिक, पूरे अफ़ग़ानिस्तान में, यूएनएफ़पीए और साझीदार संगठनों द्वारा समर्थित 134 क्लीनिकों में से एक है.

ये टीमें दुर्गम समुदायों में रहने वाले लोगों को नि:शुल्क जच्चा-बच्चा देखभाल सेवाएँ मुहैया कराती हैं, मसलन बड़ग़िस के ये समुदाय, जहाँ तीन क्लीनिक सक्रिय हैं.

यूएन महिला स्वास्त्य एजेंसी – UNFPA इस तरह के लगभग 360 पारिवारिक स्वास्थ्य गृहों को समर्थन देते है, जिन्हें कैनेडा और इटली की सरकारों से वित्त सहायता मिलती है. 

वर्ष 2023 के पहले छह महीनों में, लगभग एक हज़ार 780 लोगों को, प्रजनन स्वास्थ्य और दाई सेवाएँ मुहैया कराई गई हैं.

अगस्त 2021 में तालेबान द्वारा देश की सत्ता पर नियंत्रण किए जाने के बाद, अन्तरराष्ट्रीय विकासात्मक समर्थन वापस ले लिया गया, ख़ासतौर से उसके बाद, अफ़ग़ानिस्तान में यूएनएफ़पीए की पहल विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो गई है.

इन सुविधाओं को मज़बूत करना संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) के लिए प्राथमिकता है क्योंकि ये स्वास्थ्य गृह, अफ़ग़ानिस्तान में बुनियादी प्रजनन स्वास्थ्य ज़रूरतों को पूरा करने और प्रसवपूर्व, मातृ और नवजात देखभाल तक पहुँच बढ़ाने का प्रयास करते हैं.

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