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जच्चा-बच्चा

दक्षिण सूडान के जुबा में अल सब्बाह चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल में अफरा, उसकी मां थेरेसी द्वारा आयोजित कुपोषण के लिए जाँच की जा रही है
© UNICEF/Ilvy Njiokiktjien

वैश्विक खाद्य संकट के कारण लाखों बच्चों का जीवन ख़तरे में

संयुक्त राष्ट्र की पाँच एजेंसियों ने 15 देशों में रह रहे लाखों कुपोषित बच्चों की रक्षा की ख़ातिर, तत्काल कारवाई की पुकार लगाई है. ये बच्चे अभूतपूर्व खाद्य और पोषण संकट का सामना कर रहे हैं.

श्रीलंका में इस समय लगभग दो लाख 15 हज़ार महिलाएँ गर्भवती हैं और उनमें से लगभग एक लाख 45 हज़ार महिलाएँ, अगले छह महीनों के दौरान अपने शिशुओं को जन्म देंगी.
© UNFPA Sri Lanka/Ruvin De Silv

श्रीलंका: आर्थिक संकट के कारण, स्वास्थ्य व्यवस्था बिखराव के निकट

श्रीलंका इस समय अपने इतिहास के बदतरीन सामाजिक-आर्थिक संकटों से गुज़र रहा है, और किसी समय विश्वसनीय रही स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था ढह जाने के निकट है, मरीज़ों को बिजली कटौती के जोखिम का सामना करना पड़ रहा है, दवाइयों का अभाव है, और उपकरणों की भी क़िल्लत है.

यूक्रेन की एक गर्भवती महिला को अपनी माँ और छोटे बच्चे के साथ, अपना स्थान सुरक्षा की तलाश में छोड़कर, मोल्दोवा पहुँचना पड़ा है.
© UNFPA Moldova/Adriana Bîzgu

यूक्रेन: हवाई हमलों के सायरनों के बीच, बच्चे को जन्म देना, आपबीती

यूक्रेन की राजधानी कीयेफ़ में रहने वाली 25 वर्षीय महिला मारीया शोस्तक को 24 फ़रवरी को गर्भ का संकुचन शुरू हुआ, जिस दिन रूसी संघ ने यूक्रेन में एक सैन्य आक्रमण शुरू किया, और उन्होंने हवाई हमले के सायरन की आवाज़ के बीच अपने बच्चे को जन्म दिया.

काबुल के मलालाई मातृत्व अस्पताल में, मुख्य दाई एक नवजात शुशि की देखभाल करते हुए.
© UNFPA Afghanistan

अफ़ग़ानिस्तान: संकटग्रस्त देश में, जच्चा-बच्चा के लिये जीवनरक्षक सहायता

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल का मलालाई मातृत्व अस्पताल, देश के व्यस्ततम अस्पतालों में से एक है जो हर दिन, इस दुनिया में क़रीब 85 नवजात शिशुओं का स्वागत करता है. इनमें लगभग 20 बच्चे ऑपरेशन के ज़रिये पैदा होते हैं. मगर देश में मौजूदा संकट, मरीज़ों की देखभाल करने की चिकित्सा स्टाफ़ की क्षमता को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है.

अफ़ग़ानिस्तान के दाईकुण्डी में, एक पारिवारिक स्वास्थ्य केन्द्र में एक बच्चे की स्वास्थ्य जाँच-पड़ताल करते हुए एक दाई.
© UNFPA Afghanistan

अफ़ग़ानिस्तान में जच्चा-बच्चा की मदद के लिये संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता, नजाबा की कहानी

अफ़ग़ानिस्तान में अगस्त में, तालेबान का नियंत्रण होने के बाद से बिगड़े हालात के कारण, जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य सेवाएँ व्यापक गम्भीर रूप से बाधित हुई हैं और इनमें शिशुओं को जन्म देना भी कठिनाइयों से भर गया है. संयुक्त राष्ट्र की प्रजनन व जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य एजेंसी – UNFPA, वास्तविक व ज़मीनी हालात में जीवनरक्षक सेवाएँ मुहैया कराने में सक्रिय है. एजेंसी के अनुसार, 36 वर्षीय नजाबा ऐसी माताओं में से एक हैं जिन्होंने गर्भावस्था के दौरान गम्भीर ख़तरों के साथ-साथ बढ़ती असुरक्षा के हालात का सामना किया है.

अफ़ग़ानिस्तान के हेरात प्रान्त में, आन्तरिक विस्थापितों के लिये बनाए गए एक शिविर में, सामुदायिक शिक्षा केन्द्र में कुछ बच्चे.
UNICEF/Omid Fazel

दक्षिण एशिया: महामारी के कारण जच्चा-बच्चा मौतों में तीव्र बढ़ोत्तरी

संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों ने कहा है कि दक्षिण एशिया में, कोविड-19 के कारण, स्वास्थ्य सेवाओं में उत्पन्न हुए गम्भीर व्यवधान के परिणामस्वरूप, वर्ष 2020 के दौरान, जच्चा-बच्चा की अतिरिक्त दो लाख 39 हज़ार मौतें हुई हैं.

© Nobel Media Niklas Elmhed

यूएन न्यूज़ हिन्दी बुलेटिन 9 अक्टूबर 2020

इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...

  • इस वर्ष का नोबेल शान्ति पुरस्कार संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम WFP को
  • सभी के लिये बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की ख़ातिर , Universal health Coverage में संसाधन निवेश बहुत ज़रूरी
  • हर 16 सेकण्ड में होता है एक मृत बच्चे का जन्म, Stillbirth को रोकने के लिये प्रयासों की पुकार
  • कोविड-19 के कारण ऑनलाइन ख़रीदारी में हुए बड़े बदलाव, यही चलन रहने की सम्भावना, और
  • कोविड-19 अपडेट के साथ-साथ, कुछ अन्य समाचार भी.

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ऑडियो
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यमन में एक युद्धग्रस्त गाँव में जच्चा-बच्चा को स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया कराने के लिए एक दाई वहाँ जाती है. धन की कमी होने के कारण मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं में कटौती की जा रही है.
© UNFPA Yemen

यमन में धन की कमी के कारण लाखों महिलाओं व लड़कियों पर जोखिम

युद्धग्रस्त देश यमन में मध्य मई में जब कोविड-19 महामारी पहुँची तो लगभग उसी समय प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के पास धनराशि भी ख़त्म हो गई. इस कारण एजेंसी को देश के 180 स्वास्थ्य केन्द्रों व अस्पतालों में से 140 में प्रजनन स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाएँ स्थगित करनी पड़ी हैं.

भारत के राजस्थान प्रदेश में एक जच्चा-बच्चा केंद्र में एक महिला अपने दो दिन के शिशु के साथ.
© UNICEF/Prashanth Vishwanathan

स्वास्थ्य संकट में जच्चा-बच्चा के लिए गंभीर जोखिम

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने अनुमान ज़ाहिर किया है कि कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद से अब तक लगभग 11 करोड़ 60 लाख बच्चों का जन्म हुआ है. संगठन ने इस संदर्भ में तमाम देशों की सरकारों से गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए जीवनदायी सेवाओं का संचालन सुनिश्चित करने का आहवान किया है क्योंकि उनके लिए पहले से ही दबाव में काम कर रही स्वास्थ्य सेवाओं और बाधित आपूर्ति श्रंखला के माहौल में ज़्यादा ख़तरा दरपेश है.