वैश्विक खाद्य संकट के कारण लाखों बच्चों का जीवन ख़तरे में
संयुक्त राष्ट्र की पाँच एजेंसियों ने 15 देशों में रह रहे लाखों कुपोषित बच्चों की रक्षा की ख़ातिर, तत्काल कारवाई की पुकार लगाई है. ये बच्चे अभूतपूर्व खाद्य और पोषण संकट का सामना कर रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र की पाँच एजेंसियों ने 15 देशों में रह रहे लाखों कुपोषित बच्चों की रक्षा की ख़ातिर, तत्काल कारवाई की पुकार लगाई है. ये बच्चे अभूतपूर्व खाद्य और पोषण संकट का सामना कर रहे हैं.
श्रीलंका इस समय अपने इतिहास के बदतरीन सामाजिक-आर्थिक संकटों से गुज़र रहा है, और किसी समय विश्वसनीय रही स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था ढह जाने के निकट है, मरीज़ों को बिजली कटौती के जोखिम का सामना करना पड़ रहा है, दवाइयों का अभाव है, और उपकरणों की भी क़िल्लत है.
यूक्रेन की राजधानी कीयेफ़ में रहने वाली 25 वर्षीय महिला मारीया शोस्तक को 24 फ़रवरी को गर्भ का संकुचन शुरू हुआ, जिस दिन रूसी संघ ने यूक्रेन में एक सैन्य आक्रमण शुरू किया, और उन्होंने हवाई हमले के सायरन की आवाज़ के बीच अपने बच्चे को जन्म दिया.
अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल का मलालाई मातृत्व अस्पताल, देश के व्यस्ततम अस्पतालों में से एक है जो हर दिन, इस दुनिया में क़रीब 85 नवजात शिशुओं का स्वागत करता है. इनमें लगभग 20 बच्चे ऑपरेशन के ज़रिये पैदा होते हैं. मगर देश में मौजूदा संकट, मरीज़ों की देखभाल करने की चिकित्सा स्टाफ़ की क्षमता को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है.
अफ़ग़ानिस्तान में अगस्त में, तालेबान का नियंत्रण होने के बाद से बिगड़े हालात के कारण, जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य सेवाएँ व्यापक गम्भीर रूप से बाधित हुई हैं और इनमें शिशुओं को जन्म देना भी कठिनाइयों से भर गया है. संयुक्त राष्ट्र की प्रजनन व जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य एजेंसी – UNFPA, वास्तविक व ज़मीनी हालात में जीवनरक्षक सेवाएँ मुहैया कराने में सक्रिय है. एजेंसी के अनुसार, 36 वर्षीय नजाबा ऐसी माताओं में से एक हैं जिन्होंने गर्भावस्था के दौरान गम्भीर ख़तरों के साथ-साथ बढ़ती असुरक्षा के हालात का सामना किया है.
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संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों ने कहा है कि दक्षिण एशिया में, कोविड-19 के कारण, स्वास्थ्य सेवाओं में उत्पन्न हुए गम्भीर व्यवधान के परिणामस्वरूप, वर्ष 2020 के दौरान, जच्चा-बच्चा की अतिरिक्त दो लाख 39 हज़ार मौतें हुई हैं.
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युद्धग्रस्त देश यमन में मध्य मई में जब कोविड-19 महामारी पहुँची तो लगभग उसी समय प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के पास धनराशि भी ख़त्म हो गई. इस कारण एजेंसी को देश के 180 स्वास्थ्य केन्द्रों व अस्पतालों में से 140 में प्रजनन स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाएँ स्थगित करनी पड़ी हैं.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने अनुमान ज़ाहिर किया है कि कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद से अब तक लगभग 11 करोड़ 60 लाख बच्चों का जन्म हुआ है. संगठन ने इस संदर्भ में तमाम देशों की सरकारों से गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए जीवनदायी सेवाओं का संचालन सुनिश्चित करने का आहवान किया है क्योंकि उनके लिए पहले से ही दबाव में काम कर रही स्वास्थ्य सेवाओं और बाधित आपूर्ति श्रंखला के माहौल में ज़्यादा ख़तरा दरपेश है.