वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

गर्भवती महिलाएँ

सर्बिया के बेलग्रेड स्थित एक अस्पताल में एक महिला अपने शिशु को स्तनपान कराते हुए. माँ के दूध को शिशु की रोग प्रतिरोधी क्षमता विकसित करने के लिये बहुत कारगर बताया गया है.
© UNICEF/Kate Holt

स्तनपान सप्ताह: जच्चा-बच्चा और समाज के बेहतर भविष्य में निवेश की पुकार

हर साल अगस्त के पहले सप्ताह में 'विश्व स्तनपान सप्ताह' मनाया जाता है. इस सप्ताह, स्वास्थ्य, विकास और समानता की नींव के रूप में स्तनपान के महत्व पर प्रकाश डाला जा रहा है, जिसमें स्तनपान को समाज के बेहतर भविष्य में एक निवेश बताया गया है.

तंज़ानिया के म्बेया में एक किशोर माँ को बच्चे के साथ गहन चिकित्सा इकाई में रखा गया है.
© UNICEF/Reinier van Oorsouw

जलवायु संकट: मातृत्व व बाल स्वास्थ्य की रक्षा के लिए, तत्काल कार्रवाई की पुकार

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने बद से बदतर हो रहे जलवायु संकट के कारण, गर्भवती महिलाओं, शिशुओं और बच्चों के लिए उपजते स्वास्थ्य जोखिमों के मद्देनज़र, तुरन्त ठोस क़दम उठाए जाने की पुकार लगाई है.

सूडान में, यूएन जनसंख्या कोष द्वारा समर्थित एक अस्पताल में दाइयाँ. यह तस्वीर मौजूदा संकट से पहले की है.
© UNFPA

अफ़ग़ानिस्तान: जच्चा-बच्चा का स्वास्थ्य सुनिश्चित करती दाइयाँ

हुसुन, अपनी एक नन्हीं सी बच्ची को जन्म देने के एक सप्ताह बाद, उस पारिवारिक स्वास्थ्य गृह में वापिस पहुँचीं, जहाँ उनकी बच्ची का जन्म हुआ था. वो अपने साथ उस दाई के लिए खाने-पीने की कुछ चीज़ें भी लेकर आईं, जिन्होंने उनके प्रसव में उनकी मदद की थी. 

सूडान में, यूएन जनसंख्या कोष द्वारा समर्थित एक अस्पताल में दाइयाँ. यह तस्वीर मौजूदा संकट से पहले की है.
© UNFPA

UNFPA: सूडान के संघर्षरत इलाक़ों में मातृ स्वास्थ्य सेवाओं के लिए प्रयास

यूएन प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी – UNFPA नेपोर्ट सूडान के एक मात्र प्रसूति अस्पताल मेंविस्थापित गर्भवती महिलाओं के लिएविभिन्न चिकित्सा सेवाएँ मुहैया कराने के प्रयास किए हैं.

दक्षिण सूडान में यूनिसेफ़ समर्थित प्रसूति वार्ड के बाहर इन्तेजार करती एक गर्भवती महिला और उसकी बेटी.
© UNICEF/Mark Naftalin

मातृ दिवस: माँ के समर्थन में, सदैव साथ खड़े रहने का अवसर

विश्व भर में, मई का महीना एक ऐसा वार्षिक अवसर है जब जीवन के हर दिन, हर क़दम पर माँ की असाधारण भूमिका व उनके योगदान के लिए उनका सम्मान व आभार प्रकट किया जाता है.

भारत के मुट्टक के एक अस्पताल में एक गर्भवती महिला की प्रसव के पूर्व जाँच होते हुए. है
© UNICEF/Prashanth Vishwanathan

हर सात सेकेंड में एक गर्भवती महिला या नवजात शिशु की मौत

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंगलवार को जारी एक नई रिपोर्ट में कहा है कि पिछले आठ वर्षों के दौरान, गर्भवती महिलाओं, माताओं और शिशुओं की असमय होने वाली मौतों में कमी लाने के प्रयासों में, वैश्विक प्रगति थम गई है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने मातृत्व और नवजात शिशुओं के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में घटते निवेश को इसकी वजह बताया है.

© UNOCHA/Matteo Minasi

यूएन न्यूज़ हिन्दी बुलेटिन, 24 फ़रवरी 2023

 इस सप्ताह के बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...

  • यूक्रेन में रूसी आक्रमण का एक वर्ष, युद्ध पर तत्काल विराम लगाए जाने की पुकार.
  • सीरिया व तुर्कीये में भीषण भूकम्प के बाद भोजन, दवाओं समेत महत्वपूर्ण राहत सामग्री की आपूर्ति जारी.
  • इसराइल व उसके क़ब्ज़े वाले वाले फ़लस्तीनी इलाक़ों में बढ़ती हिंसा पर चिन्ता, तनाव तत्काल कम करने का आग्रह.
  • गर्भावस्था या प्रसव के दौरान, हर दो मिनट में हो जाती है एक महिला की मौत – WHO की रिपोर्ट.
  • मौजूदा दौर में, महात्मा गांधी के न्यासिता सिद्धान्त की प्रासंगिकता पर यूएन मुख्यालय में हुई एक विचार गोष्ठी.
ऑडियो
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जसबीर कौर अपनी बेटियों के साथ.
©UNFPA/Arvind Jodha

प्रजनन हिंसा - एक पुरानी समस्या से निपटने के लिए एक नई शब्दावली

विश्व जनसंख्या 8 अरब का आँकड़ा पार कर चुकी है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष - UNFPA ने ‘2022 की विश्व जनसंख्या स्थिति रिपोर्ट’ से स्पष्ट है कि  दुनिया भर में लोगों को - विशेष रूप से महिलाओं और हाशिए पर धेकेले गए समुदायों को, अक्सर भागीदारों, रिश्तेदारों, स्वास्थ्यकर्मियों और यहाँ तक ​​​​कि सरकारों द्वारा, ये फ़ैसले लेने या उन फ़ैसलों को दृढ़ता से प्रभावित करने के विकल्पों से वंचित रखा जाता है.

कोलम्बो के कुप्पियावाट्टा में एक सरकारी क्लिनिक में भोजन वाउचर प्राप्त करने के लिये अपनी बारी का इन्तज़ार करती महिलाएँ.
@ WFP/Parvinder Singh

श्रीलंका: आसमान छूती महंगाई से गर्भवती महिलाओं का जीवन अस्त-व्यस्त

श्रीलंका गम्भीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है - खाद्य क़ीमतों में 90 प्रतिशत का उछाल आया है और ईंधन की कमी से आजीविका एवं प्रमुख सुरक्षा-जाल कार्यक्रम बाधित हुए हैं, जिससे खाद्य-असुरक्षा के शिकार लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है. ख़ासतौर पर, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं, पाँच साल से कम उम्र के बच्चों और विकलांगों पर इसका सबसे गहरा असर पड़ा है...