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UNICEF: दक्षिण एशिया में तीव्र गर्मी और ताप लहरों से, बच्चों पर जोखिम

पंजाब प्रांत के ज़िला राजनपुर  में यूनीसेफ़ केन्द्र के बाहर एक बच्चा खड़ा है.
© UNICEF/Juan Haro
पंजाब प्रांत के ज़िला राजनपुर में यूनीसेफ़ केन्द्र के बाहर एक बच्चा खड़ा है.

UNICEF: दक्षिण एशिया में तीव्र गर्मी और ताप लहरों से, बच्चों पर जोखिम

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने सोमवार को कहा कि दक्षिण एशिया में तीन-चौथाई बच्चे, तीव्र गर्मी की चपेट में हैंजबकि वैश्विक स्तर पर तीन में से एक बच्चा ही, अत्यधिक तापमान से प्रभावित है. उन्होंने देशों की सरकारों से, गर्मी से बच्चों की रक्षा करने के लिए अधिकाधिक क़दम उठाने का आग्रह किया है.

यूनीसेफ़ का अनुमान है कि क्षेत्र में, 18 साल से कम उम्र के 76 प्रतिशत यानि लगभग 46 करोड़ बच्चे, अत्यधिक उच्च तापमान वाले क्षेत्रों में रहते हैं, जहाँ साल के 83 दिनों से ज़्यादा समय तापमान, 35 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहता है.

वैश्विक स्तर पर जुलाई अब तक का सबसे गर्म महीना दर्ज किया गया है. इससे दक्षिण एशिया में रहने वाले बच्चों सहित, उन सभी बच्चों के भविष्य के बारे में चिन्ताएँ बढ़ गई हैं, जिन्हें जलवायु परिवर्तन के कारण बारम्बार, गम्भीर गर्म लहरों का सामना करना पड़ सकता है.

दक्षिण एशिया के लिए यूनीसेफ़ के क्षेत्रीय निदेशक संजय विजेसेकेरा ने कहा, "वैश्विक तापमान उबाल पर है, और आँकड़े स्पष्ट रूप से दिखा रहे हैं कि दक्षिण एशिया में लाखों बच्चों का जीवन और कल्याण, ताप लहरों एवं उच्च तापमान के कारण जोखिम में है."

दुनिया का सबसे गर्म शहर

यूनीसेफ़ के 2021 बाल जलवायु जोखिम सूचकांक (CCRI) के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, भारत, मालदीव और पाकिस्तान के बच्चे, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से विशेष रूप से 'अत्यन्त उच्च जोखिम' में हैं.

संजय विजेसेकेरा ने कहा, "हम विशेष रूप से शिशुओं, छोटे बच्चों, कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं के बारे में चिन्तित हैं, क्योंकि वे हीट स्ट्रोक व अन्य गम्भीर प्रभावों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं."

2022 में दुनिया के सबसे गर्म शहर - जैकबाबाद सहित, पाकिस्तान के दक्षिणी प्रान्त - सिन्ध के कुछ हिस्सों में, जून में तापमान 40 डिग्री के पार था, जिससे 18 लाख लोगों को, गम्भीर अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ा.

अगस्त 2022 में आई विनाशकारी बाढ़ से दक्षिणी सिन्ध के अधिकांश हिस्से पानी में डूब गए थे. उसके एक साल से भी कम समय बाद अब यह इलाक़ा झुलसती गर्मी की चपेट में हैं. 

जीवन-घातक ख़तरे

बरसात के मौसम में भी गर्मी से बच्चों की हालत ख़राब हो सकती है. चूँकि बच्चे तापमान परिवर्तन के प्रति तेज़ी से अनुकूलन नहीं कर पाते हैं, इसलिए वे अपने शरीर से अतिरिक्त गर्मी को बाहर निकालने में सक्षम नहीं होते हैं.

इससे, छोटे बच्चों में उच्च शारीरिक तापमान, तेज़ दिल की धड़कन, ऐंठन, गम्भीर सिरदर्द, भ्रम, अंग निष्क्रिय होना, निर्जलीकरण, बेहोशी व गहरी बेहोशी; शिशुओं में ख़राब मानसिक विकास; और तंत्रिका की शिथिलता जैसी विकास सम्बन्धी समस्याएँ एवं हृदय के रोग जैसी बीमारियाँ व लक्षण, सामने आ सकते हैं.

इसके अलावा, ख़ासतौर पर गर्मी के प्रति संवेदनशील गर्भवती महिलाओं में प्रारम्भिक संकुचन, उच्च रक्तचाप, दौरे, समय से पहले जन्म और मृत जन्म के मामले सामने आ सकते हैं.

बर्फ़ से सिकाई करने, पंखा चलाने या पानी का छिड़काव करने से, छोटे बच्चों के शरीर का तापमान कम करने में मदद मिलती है, जबकि बड़े बच्चों को ठंडे पानी में बैठाने से मदद मिल सकती है.

गर्मी को मात देने के उपाय

यूनीसेफ़, अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं, माता-पिता, परिवारों, देखभाल कर्ताओं और स्थानीय अधिकारियों से, तीव्र गर्मी के दौरान निम्नलिखित B.E.A.T. उपाय अपनाकर, बच्चों  की सुरक्षा करने का आग्रह करता है.

BE AWARE: ताप आघात के प्रति जागरूक रहें और अपनी व अपने बच्चों की सुरक्षा करें. निवारक उपाय करें व गर्मी से बढ़ते शारीरिक तनाव को पहचानने एवं उससे निपटने के क़दमों के बारे में जानकारी रखें;

EASILY IDENTIFY : गर्मी से सम्बन्धित विभिन्न बीमारियों के लक्षण पहचानें, ख़ासतौर पर देखभाल करने वालों, समुदायों और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को इसके बारे में पूर्ण जानकारी होना आवश्यक है;

 ACT IMMEDIATELY:  तुरन्त सुरक्षात्मक कार्रवाई करें. देखभाल करने वाले और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता, अल्पावधि में शरीर का तापमान सन्तुलित करने वाली प्राथमिक चिकित्सा क्रियाओं के बारे में जानकारी हासिल करें; और

TAKE to a health facility:  ज़रूरत पड़ने पर तुरन्त स्वास्थ्य सुविधा केन्द्र पर ले जाएँ. अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं, परिवारों और देखभाल कर्ताओं को, गर्मी के गम्भीर प्रभाव, विशेष रूप से हीट स्ट्रोक के लक्षणों को तुरन्त पहचान कर, प्रभावित लोगों को स्वास्थ्य सुविधा तक ले जाने में मदद करनी चाहिए.

 अन्ततः, सबसे कमज़ोर बच्चों, किशोरों और महिलाओं को ही चरम मौसम की घटनाओं का सबसे अधिक ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ता है.

संजय विजेसेकेरा कहते हैं, "छोटे बच्चे गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाते. अगर हम तुरन्त कार्रवाई नहीं करेंगे, तो आने वाले वर्षों में ये बच्चे, अपनी ग़लती न होने के बावजूद, बारम्बार अत्यधिक गम्भीर ताप लहरों का क़हर झेलते रहेंगे."