पूर्वी एशिया और प्रशान्त क्षेत्र के बच्चों पर, जलवायु आपदाओं का सर्वाधिक जोखिम

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष - UNICEF ने बुधवार को जारी एक नई रिपोर्ट में कहा है कि पूर्वी एशिया और प्रशान्त क्षेत्र के बच्चे, अपने दादा-दादी की तुलना में, छह गुना अधिक जलवायु सम्बन्धित झटकों का सामना कर रहे हैं, जिससे उनकी सहनक्षमता कम होती जा रही है और असमानताएँ बढ़ रही हैं.
यूनीसेफ़ की नवीनतम क्षेत्रीय रिपोर्ट 'ओवर द टिपिंग प्वाइंट' के अनुसार, किसी भी अन्य क्षेत्र के मुक़ाबले, पूर्वी एशिया और प्रशान्त क्षेत्र के बच्चे, अनगिनत व परस्पर गुँथे हुए जलवायु एवं पर्यावरणीय ख़तरों व झटकों का अधिक सामना करते हैं.
इस रिपोर्ट में, बच्चों की सुरक्षा के लिए जलवायु-कुशल सामाजिक सेवाओं और नीतियों में निवेश करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र में जन्मे बच्चे, अपने दादा-दादी की तुलना में आज छह गुना अधिक जलवायु सम्बन्धित आपदाओं का अनुभव कर रहे हैं.
पिछले 50 वर्षों में, इस क्षेत्र में बाढ़ में 11 गुना वृद्धि देखी गई है; तूफ़ान 4 गुना बढ़े हैं; सूखे में 2.4 गुना की वृद्धि और भूस्खलन में 5 गुना बढ़ोत्तरी देखी गई है.
तापमान और समुद्री स्तर में वृद्धि और चरम मौसम की तूफ़ान, भयंकर बाढ़, भूस्खलन और सूखे जैसी घटनाओं के कारण, लाखों बच्चे जोखिम में हैं. बहुत से बच्चे व उनके परिवार विस्थापित हो गए हैं और स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, पानी एवं साफ़-सफ़ाई तक सीमित या नगण्य पहुँच के कारण, वो जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
पूर्वी एशिया और प्रशान्त स्थित यूनीसेफ़ कार्यालय की क्षेत्रीय निदेशक डेबोरा कॉमिनी ने बताया, "पूर्वी एशिया और प्रशान्त क्षेत्र में बच्चों के लिए स्थिति बेहद ख़तरनाक है. जलवायु संकट से उनके जीवन को जोखिम है, और वे अपने बचपन और जीवित रहने व ख़ुशहाल जीवन जीने के अधिकार से वंचित हो गए हैं. हमें आपदा जोखिम प्रबन्धन की कुछ प्रमुख बाधाओं को दूर करने और जलवायु-कुशल सेवाओं को अपनाने हेतु, सरकारों, व्यवसायों व दाताओं द्वारा तत्काल एवं एकजुट कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि बच्चे एक सुरक्षित एवं स्वस्थ वातावरण में बड़े हो सकें.”
बच्चों के जलवायु जोखिम सूचकांक (CCRI) पर आधारित इस नवीनतम विश्लेषण के अनुसार, पूर्वी एशिया और प्रशान्त क्षेत्र में, 21 करोड़ से अधिक बच्चे, चक्रवातों के अत्यधिक जोखिम में हैं; 14 करोड़ बच्चे पानी की अत्यधिक कमी से पीड़ित हैं; 12 करोड़ बच्चे, तटीय बाढ़ के अत्यधिक ख़तरे में रहते हैं; और 46 करोड़ बच्चे प्रदूषित वायु में जीने को मजबूर हैं.
इसके अलावा, अनगिनत बच्चे, एक से अधिक प्रकार के जलवायु और पर्यावरणीय आघात, तनाव या ख़तरे के सम्पर्क में रहते हैं.
ये परस्पर गुँथे झटके, खाद्य असुरक्षा, कुपोषण और संक्रामक रोगों जैसे अन्य संकटों से मिलकर, अधिक जटिल रूप ले लेते हैं. इसके कारण, सबसे कमज़ोर वर्ग के बच्चों के लिए, ख़ासतौर पर निर्धन एवं हाशिए पर रहने वाले समुदायों व विकलांगों के लिए, इन रोगों का सामना करना और पुनर्बहाली बेहद मुश्किल हो जाती है.
इसकी वजह से, पहले से ही व्याप्त असमानताएँ और अधिक बढ़ती हैं, और सबसे निर्धन लोग अत्यधिक ग़रीबी की ओर धकेले जाते हैं.
यूनीसेफ़ ने, सरकारों, व्यवसायों और दाताओं से, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल व जल आपूर्ति व स्वच्छता, प्रारम्भिक चेतावनी प्रणाली, नक़दी हस्तान्तरण जैसी जलवायु-प्रतिक्रियात्मक सामाजिक सुरक्षा और जलवायु-कुशल सामाजिक सेवाओं के सृजन में निवेश करने के लिए, तत्काल कार्रवाई का आहवान किया है.
प्रदूषण और वनों की कटाई जैसी जलवायु परिवर्तन व पर्यावरणीय चुनौतियाँ, बच्चों एवं युवाओं के जीवन और आजीविका पर, आजीवन व अपरिवर्तनीय असर डालती हैं, जिससे पूर्वी एशिया और प्रशान्त क्षेत्र का सतत एवं आर्थिक विकास ख़तरे में पड़ता है.