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भारत: एक और अवसर हाथ लगा, खुल गईं ख़ुशहाली की राहें

यूएन वीमेन का द्वीतीय अवसर कार्यक्रम से,मिला के लिए कौशल प्रशिक्षण लेकर पीढ़ीगत परिवर्तन लाना सम्भव हुआ.
UNWOMEN India
यूएन वीमेन का द्वीतीय अवसर कार्यक्रम से,मिला के लिए कौशल प्रशिक्षण लेकर पीढ़ीगत परिवर्तन लाना सम्भव हुआ.

भारत: एक और अवसर हाथ लगा, खुल गईं ख़ुशहाली की राहें

महिलाएँ

भारत में संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था (UNWomen) अपने भागीदारों के साथ मिलकर ‘द्वितीय अवसर शिक्षा कार्यक्रम’ के तहत, उन लड़कियों को शिक्षा व कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर रही है, जो किसी कारणवश स्कूल की शिक्षा पूरी नहीं कर पाईं या कोई विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने से वंचित रह गईं.

20 साल की कलाबती देहुरी, स्कूल की शिक्षा पूरी नहीं कर पाने या कोई पेशेवर कौशल हासिल नहीं कर पाने के कारण, पड़ोसियों और दोस्तों की मदद पर निर्भर होकर घर पर बेकार बैठी थीं.

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लेकिन दो साल पहले, उनकी क़िस्मत ने तब करवट बदली, जब उन्हें ओडिशा के ढेनकनाल ज़िले में आइना नामक एक स्थानीय एनजीओ भागीदार द्वारा कार्यान्वित व संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था, यूएनवीमेन द्वारा समर्थित ‘द्वितीय अवसर शिक्षा कार्यक्रम’ (Second Chance Education (SCE) और रोज़गार परक प्रशिक्षण कार्यक्रम में दाख़िला लेने के लिए प्रेरित किया गया. 

यहीं पर उन्होंने कपड़ा सिलाई का काम सीखा. जल्द ही उन्हें तमिलनाडु की एक कपड़ा इकाई में सिलाई ऑपरेटर के रूप में रोज़गार मिल गया. 

कलाबती आज न केवल बेहतर जीवन और भविष्य का सपना देख सकती हैं, बल्कि इन सपनों को साकार करने का कौशल भी उनके पास है.

कामकाज के अवसर

उनकी तरह, ख़ासतौर पर कमज़ोर वर्ग की कई अन्य लड़कियाँ भी, पेशेवर कौशल की कमी के कारण कामकाज के अवसर न मिलने की वजह से, घर पर बैठने को मजबूर हैं.

इन लड़कियों को अब ‘द्वितीय अवसर शिक्षा कार्यक्रम’ द्वारा सशक्त बनाने की कोशिश की जा रही है.

22 वर्षीय पूजा पात्रा ने, नर्सिंग सहायक का प्रशिक्षण लिया. उन्हें कोविड-19 महामारी के चरम पर, भुवनेश्वर के एक अस्पताल में प्रशिक्षण प्राप्त करने का अवसर मिला, और अब वह सात अन्य महिला साथियों के साथ, आंध्र प्रदेश के एक बड़े निजी अस्पताल में नर्स के रूप में काम करती हैं.

वहीं, लम्बे क़द की किशोरी, मिला नायक एक पुलिस अधिकारी बनने का सपना देख रही हैं.

कलाबती, पूजा और मिला, ओडिशा के आकांक्षी ज़िलों में से एक, ढेनकनाल के कामाख्यानगर ब्लॉक में सबसे पिछड़े और निर्धन समुदायों की युवा महिलाओं की पीढ़ी में से हैं, जिन्होंने ‘द्वितीय अवसर शिक्षा कार्यक्रम’ में दाख़िला लेकर या तो अपनी शिक्षा पूरी की या पेशेवर कौशल हासिल किया, या फिर दोनों हासिल करके, अपने जीवन में परिवर्तन लाने में सक्षम हुईं. 

उनमें से अनेक महिलाएँ अब ओडिशा से बाहर कारख़ानों और अस्पतालों में काम कर रही हैं. 

यह कार्यक्रम, महिलाओं को औपचारिक शिक्षा में फिर से प्रवेश करने, व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने, उद्यमशीलता कौशल सीखने और उन्हें रोज़गार एवं व्यवसाय के अवसरों से जोड़ने में मदद करता है.

बेहतर भविष्य, व्यापक समृद्धि एवं प्रसन्नता का कारक होता है.
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कामाख्यानगर में संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था यूएनवीमेन के ‘द्वितीय अवसर शिक्षा कार्यक्रम’ के लिए आइना संस्था के परियोजना समन्वयक, बिस्वा रंजन बेहरा कहते हैं, "उन्हें बस एक अवसर की ज़रूरत थी. जब उन्हें वो मिला, तो उन्होंने दोनों हाथों से उसे जकड़ लिया."

16 से 50 वर्ष की उम्र के बीच की 300 से अधिक महिलाओं ने, यूएनवीमेन के कार्यक्रम के तहत अपनी माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक परीक्षाओं के लिए नामांकन कराया और उत्तीर्ण कीं. 

मुंडो, जो, सहार, जुआंग, गौडा और दलित समुदायों की ग़रीब व कमज़ोर जनजातियों की लगभग 250 अन्य युवा महिलाओं ने, नए कौशल हासिल किए, और भारत भर में रोज़गार हासिल करके, आमदनी अर्जित करने के क़ाबिल बनीं, जिससे उन्हें प्रगति के अन्य अवसर प्राप्त हुए.

आज वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं और अपने परिवार का भरण-पोषण करने में पूर्णत: सक्षम. वे अपने नए जीवन में नए-नए प्रयोग कर रही हैं, सोशल मीडिया पर अपनी आपबीतियाँ सुना रही हैं, मनोरंजक लघु वीडियो पोस्ट कर रही हैं - जो आज की युवा आबादी के बीच बेहद लोकप्रिय हैं. साथ ही आइना स्टाफ़ द्वारा संचालित एक व्हाट्सएप समूह पर, उनके जीवन के प्रेरक वीडियो भी प्रकाशित किए जा रहे हैं.

वे अपने एक अन्य अवसर के हर पल को जी रही हैं और उससे बेहद प्रसन्न हैं.