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बांग्लादेश से मानवाधिकार पैरोकारों का उत्पीड़न बन्द करने की पुकार

बांग्लादेश की राजधानी ढाका का एक दृश्य.
© Unsplash/Niloy Biswas
बांग्लादेश की राजधानी ढाका का एक दृश्य.

बांग्लादेश से मानवाधिकार पैरोकारों का उत्पीड़न बन्द करने की पुकार

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के कुछ स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने, बांग्लादेश सरकार सेमानवाधिकार संगठन – अधिकार (Odhikar) के प्रतिनिधियों के विरुद्ध उत्पीड़न की तमाम गतिविधियाँ बन्द करने और निर्धारित क़ानूनी प्रक्रिया का सम्मान सुनिश्चित करने का आहवान किया है.

इन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने, मंगलवार को जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में कहा है, “इस मामले में, अधिकार जैसे मानवाधिकार संगठनों और उनके प्रतिनिधियों को ख़ामोश करने के लिए, आपराधिक प्रक्रियाओं का दुरुपयोग किए जाने के लक्षण नज़र आते हैं, जिन्होंने जबरन गुमशुदगियों व न्यायेतर मौतों के मामलों दस्तावेज़ तैयार किए हैं, और इस सन्दर्भ में संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार प्रक्रियाओं के साथ सहयोग किया है.”

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा, “इस तरह की बदले की कार्रवाई के, बहुत गम्भीर प्रभाव होते हैं और ऐसा किए जाने से, अन्य पैरोकारों व संगठनों के लिए, मानवाधिकार मुद्दों पर रिपोर्टिंग करने और संयुक्त राष्ट्र, इसके प्रतिनिधियों व प्रणालियों के साथ सहयोग करने में बाधाएँ उत्पन्न हो सकती हैं.”

अधिकार नामक मानवाधिकार संगठन की अर्ज़ी, बांग्लादेश के NGO मामलों के ब्यूरो (NGOAB) के पास, वर्ष 2014 से जून 2022 तक लम्बित रही, जब इस संगठन का पंजीकरण समाप्त कर दिया गया.

प्रैस विज्ञप्ति में कहा गया है कि ब्यूरो ने पंजीकरण रद्द करने वाले पत्र में अधिकार संगठन पर, “भ्रामक जानकारी” प्रकाशित करने और “दुनिया के सामने देश की छवि गम्भीर रूप से ख़राब करने” व “बांग्लादेश के ख़िलाफ़ अनेक मुद्दे सृजित करने का आरोप लगाया था.

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है कि अधिकार संगठन का मामला, बांग्लादेश में मानवाधिकार पैरोकारों व संगठनों का लगातार उत्पीड़न किए जाने और उन्हें निशाना बनाने के चलन को उजागर करता है. “ये चलन, नागरिक व राजनैतिक अधिकारों पर अन्तरराष्ट्रीय सन्धि (ICCPR) के अनुच्छेद 22 के तहत गारंटीशुदा - संगठन बनाने के अधिकार की स्वतंत्रता का स्पष्ट उल्लंघन है.”

लगातार उत्पीड़न

बांग्लादेश की एक सांकेतिक तस्वीर.
© Unsplash/Safwan Mahmud

विशेषज्ञों ने कहा है कि अधिकार संगठन ने बांग्लादेश में दस वर्ष पहले, न्यायेतर मौतों के बारे में तथ्यान्वेशी रिपोर्ट प्रकाशित की थी, तब से संगठन के सचिव अदिलुर्रहमान ख़ान और निदेशक एएसएम नासिरुद्दीन ऐलान, ढाका स्थित साइबर न्यायाधिकरण में, न्यायिक उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं. उन पर कथित रूप से, “झूठी, भ्रामक और मानहानिकारक” जानकारी प्रकाशित करने का आरोप है.

यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों के अनुसार, यह मुक़दमा, क़ानूनी प्रक्रिया के उल्लंघन से प्रभावित रहा है.

इस क़ानूनी प्रक्रिया के अतिरिक्त, अधिकार संगठन को प्रिंट व इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के ज़रिए, संगठन व निजी दोनों ही स्तरों पर, सार्वजनिक बदनामी अभियानों का सामना भी करना पड़ रहा है.

बदनामी अभियान

यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा, “उच्च साख़ वाली हस्तियों द्वारा, बांग्लादेश में स्थित मानवाधिकार संगठनों की मानहानि किया जाना, उनकी साख़, प्रतिष्ठा व देश में उनके मानवाधिकार कार्य की अहमियत को कमज़ोर करने का स्पष्ट प्रयत्न है.”

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने सरकार से ये सुनिश्चत करने का आहवान किया कि समुचित क़ानूनी और निष्पक्ष मुक़दमे की प्रक्रिया का पालन किया जाए. 

उन्होंने बांग्लादेश सरकार से, अधिकार संगठन व उसके पदाधिकारियों और मानवाधिकार पैरोकारों – अदिलुर्रहमान ख़ान व एएसएम नासिरुद्दीन ऐलान के ख़िलाफ़ बदले की कार्रवाई, न्यायिक उत्पीड़न और बदनामी अभियान, तुरन्त बन्द किए जाने का भी आहवान किया.

प्रैस विज्ञप्ति में कहा गया है कि मानवाधिकार विशेषज्ञों ने, अधिकार संगठन के ख़िलाफ़ उत्पीड़न का मुद्दा, बांग्लादेश की सरकार के साथ उठाया है, और उनसे ये सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि मानवाधिकार पैरोकार, बदले की किसी कार्रवाई के डर के बिना और एक सुरक्षित व अनुकूल माहौल में अपना वैध कामकाज कर सकें.

बांग्लादेश में मानवाधिकार मुद्दे पर ये विचार व्यक्त करने वाले इन मानवाधिकार विशेषज्ञों के नाम यहाँ देखे जा सकते हैं.

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों की नियुक्ति, जिनीवा स्थित यूएन मानवाधिकार परिषद, किसी विशेष मुद्दे या किसी ख़ास देश में मानवाधिकार स्थिति पर जाँच-पड़ताल करके रिपोर्ट सौंपने के लिए करती है. ये मानवाधिकार विशेषज्ञ किसी संगठन या सरकार से स्वतंत्र होते हैं, ये अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं, और उन्हें उनके कामकाज के लिए, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं दिया जाता है.