वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

‘रूस सरकार सिविल सोसायटी को दिन ब दिन ध्वस्त कर रही है’

रूस की राजधानी मॉस्को का एक दृश्य
UN Photo/Paulo Filgueiras
रूस की राजधानी मॉस्को का एक दृश्य

‘रूस सरकार सिविल सोसायटी को दिन ब दिन ध्वस्त कर रही है’

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र की एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ मैरी लॉलर ने बुधवार को रूस सरकार से, मानवाधिकार पैरोकारों पर दमनकारी कार्रवाई बन्द करने का आहवान किया है. उन्होंने कहा है कि रूस सरकार, दिन ब दिन, सिविल सोसायटी को ध्वस्त कर रही है.

स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ मैरी लॉलर ने रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के मद्देनज़र, दोनों देशों के अधिकारियों से, “प्रतिबन्धकारी और भेदभावपूर्ण क़ानूनों” को रद्द करने का आग्रह किया, और उन सहित अन्य मानवाधिकार विशेषज्ञों द्वारा जुलाई में की गई वो पुकार दोहराई, जो रूस में सिविल सोसायटी पर व्यापक पाबन्दियों के ख़िलाफ़ लगाई गई थी.

मैरी लॉलर ने एक वक्तव्य में कहा है, “मैं...यूक्रेन पर आक्रमण शुरू होने के तत्काल बाद, आलोचक आवाज़ों को निशाना बनाने के इरादे से शुरू किये गए आपराधिक प्रावधानों के प्रयोग पर लगातार चिन्तित हूँ. ‘नक़ली युद्ध समाचार’ क़ानून 4 मार्च 2022 को लागू होने के बाद, उसके अन्तर्गत पहले ही 114 लोगों पर मुक़दमे चलाए जा चुके हैं.” 

मानवाधिकार पैरोकारों के विरुद्ध क़ानून

मैरी लॉलर ने कहा कि ये बेहद चिन्ताजनक है कि अधिकारियों ने मानवाधिकार पैरोकारों पर लक्षित, अतिरिक्त दंडात्मक क़ानून लागू किये हैं, जिनके, सिविल सोसायटी पर दमघोंटू प्रभाव हुए हैं.

उन्होंने आगे बताया कि रूसी संसद ने, किसी अन्य देश, अन्तरराष्ट्रीय या विदेशी संगठन के साथ “गुप्त रूप से सहयोग करने” के आरोप में दोषी क़रार दिये जाने वाले लोगों के लिये, आठ वर्ष तक की क़ैद की सज़ा का प्रावधान करने के लिये, 14 जुलाई को, अपराध दंड प्रक्रिया में, संशोधन किया है.

विदेशी संगठनों पर दबाव

संयुक्त राष्ट्र की विशेष रैपोर्टेयर मैरी लॉलर ने ऐसे क़ानूनों का विस्तार किये जाने पर भी चिन्ता व्यक्त की है जो “विदेशी एजेंटों” और “अवांछित संगठनों” पर लक्षित हैं, और मैरी लॉलर के अनुसार, सरकार वर्षों से मानवाधिकार पैराकारों पर पाबन्दियाँ लगाने, उन्हें बदनाम करने व उनके विरुद्ध भेदभाव करने के तरीक़े अपनाती रही है.

वर्ष 2015 के बाद से, 65 विदेशी और अन्तरराष्ट्रीय ग़ैर-सरकारी संगठनों को, “अवांछित” घोषित किया गया है और उन पर रूस के भीतर प्रतिबन्ध लगाए गए हैं, जिन्हें किसी अदालत में चुनौती देने की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है.

उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि उनमें से अनेक संगठन मानवाधिकार व मानवीय सहायता कार्यक्रम चला रहे थे. जो लोग इन संगठनों की गतिविधियों में शिरकत करना जारी रखेंगे, उन्हें वित्तीय सहायता मुहैया कराएंगे या उनकी गतिविधियों के आयोजन में मदद करेंगे, उनके लिये, 6 वर्ष तक की क़ैद का प्रावधान है.

मैरी लॉलर ने बताया कि मानवाधिकारों के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिये काम करने वाले 276 लोगों को “विदेशी एजेंट” के रजिस्टर पर रखा गया है जिससे उनकी गतिविधियाँ सीमित कर दी गई हैं. 
साथ ही, 1 दिसम्बर को लागू होने वाले एक ऐसे ही नए क़ानून से, अधिकारियों को नियमों का विस्तार करने की अनुमति मिल जाएगी.

रूसी पत्रकार दिमित्री मुरातोव, नोवाया गेज़ेटा अख़बार के मुख्य सम्पादक हैं और उन्हें वर्ष 2021 का नोबल शान्ति पुरस्कार संयुक्त रूप से मिला था.
Novaya Gazeta
रूसी पत्रकार दिमित्री मुरातोव, नोवाया गेज़ेटा अख़बार के मुख्य सम्पादक हैं और उन्हें वर्ष 2021 का नोबल शान्ति पुरस्कार संयुक्त रूप से मिला था.

आवाज़ों को दबाना

स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने खेद के साथ रेखांकित किया कि रूस सरकार ने, आलोचक आवाज़ों को ख़ामोश करने और सिविल सोसायटी को ध्वस्त करने के व्यापक प्रयास जारी रखे हुए हैं.

उन्होंने, युद्ध विरोधी प्रदर्शनों के सम्बन्ध में बन्दी बनाए गए 16 हज़ार 400 लोगों के मामलों का सन्दर्भ दिया. साथ ही ट्विटर, फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम पर लगी पाबन्दियों का ज़िक्र करते हुए बताया कि यूक्रेन पर हमला शुरू होने के बाद से, एक लाख 38 हज़ार वेबसाइट्स भी बन्द की गईं.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि अधिकतर स्वतंत्र मीडिया संगठनों का कामकाज या तो स्थिगत कर दिया गया है, या बन्द कर दिया गया है.

उन्होंने इस सन्दर्भ में नोवाया गैज़ेटा का प्रकाशन लाइसेंस रद्द किये जाने का उदाहरण दिया. ध्यान रहे कि ये ये समाचार पत्र, 2021 के नोबेल शान्ति पुरस्कार का संयुक्त विजेता रहा है और रूस में मानवाधिकार मुद्दों व अन्य खोजी पत्रकारिता सम्बन्धी विषयों पर, देश के प्राचीनतम अख़बारों में गिना जाता है.

मैरी लॉलर ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से रूस में और निर्वासन में रहने वाले मानवाधिकार पैरोकारों को समर्थन देने का आग्रह किया है.

उन्होंने कहा, “रूसी सरकार, हर दिन सिविल सोसायटी को ध्वस्त कर रही है और अगर दुनिया ने इस समय रूसी मानवाधिकार पैरोकारों के समर्थन में हाथ नहीं बढ़ाया तो, आने वाले अनेक दशकों तक, मानवाधिकार सम्बन्धी परिणाम भुगतने पड़ेंगे.”

यूएन विशेष रैपोर्टेयर्स की नियुक्ति, जिनीवा स्थित यूएन मानवाधिकार परिषद, किसी देश की स्थिति या किसी अन्य विषयों की जाँच करने और रिपोर्ट करने के लिये करती है.

ये मानवाधिकार विशेषज्ञ अपनी व्यक्तिगत हैसियत में काम करते हैं, वो ना तो संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी होते हैं और ना ही उन्हें उनके काम के लिये संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन मिलता है.