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अफ़ग़ान महिलाओं व लड़कियों पर पाबन्दियों से, तालेबान की वैधता पर असर - यूएन मिशन प्रमुख

अफ़ग़ानिस्तान के एक दूर-दराज़ के इलाक़े में महिलाओं व बच्चों का एक समूह.
© UNICEF/Mark Naftalin
अफ़ग़ानिस्तान के एक दूर-दराज़ के इलाक़े में महिलाओं व बच्चों का एक समूह.

अफ़ग़ान महिलाओं व लड़कियों पर पाबन्दियों से, तालेबान की वैधता पर असर - यूएन मिशन प्रमुख

शान्ति और सुरक्षा

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अधिकारी रोज़ा ओटुनबायेवा का कहना है कि महिलाओं और लड़कियों पर थोपी गई अनेक प्रकार की पाबन्दियाँ देश में बेहद अलोकप्रिय हैं जिसकी क़ीमत तालेबान प्रशासन को घरेलू और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी वैधता के रूप में चुकानी पड़ रही है. 

अफ़ग़ानिस्तान में यूएन की विशेष प्रतिनिधि ने बुधवार को सुरक्षा परिषद को देश में हालात और मौजूदा अन्तरराष्ट्रीय सहायता प्रयासों से अवगत कराया. 

ग़ौरतलब है कि अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान के आदेश के बाद यूएन महिला कर्मचारियों और ग़ैर-सरकारी संगठनों में महिलाओं के कामकाज पर रोक लगी हुई है.  

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उन्होंने कहा, “हम अपने कर्मचारियों को ख़तरे में नहीं डालेंगे और इसीलिए हमने उन्हें कार्यालय आने से मना किया है.”

संयुक्त राष्ट्र मिशन (UNAMA) ने स्पष्ट किया कि इन महिला कर्मचारियों के स्थान पर पुरुष स्टाफ़ को रखे जाने की फ़िलहाल कोई योजना नहीं है.

यूएन मिशन प्रमुख ने बताया कि तालेबान की ओर से अभी इस पाबन्दी के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है और ना ही इन्हें हटाए जाने का कोई आश्वासन मिला है.

रोज़ा ओटुनबायेवा ने कहा कि तालेबान नेतृत्व को सपाट शब्दों में बता दिया गया है कि उनकी पाबन्दियों से स्कूलों, पार्क समेत सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागेदारी प्रभावित हो रही है, और यह लगभग असम्भव है कि इन परिस्थितियों में उनकी सरकार को मान्यता मिलेगी. 

आधी आबादी पर संकट

विशेष प्रतिनिधि के अनुसार, यूएन मिशन ने पूरे देश में नागरिक समाज के साथ नज़दीकी सम्पर्क स्थापित किया है और यह स्पष्ट है कि अफ़ग़ान आबादी में ये आधिकारिक आदेश बहुत अलोकप्रिय हैं. 

इन आदेशों व पाबन्दियों से देश की आधी आबादी को पीड़ा भोगनी पड़ रही है, अर्थव्यवस्था को क्षति पहुँच रही है और घरेलू व अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर तालेबान की वैधता पर असर पड़ रहा है. 

यूएन मिशन प्रमुख ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से अफ़ग़ान अर्थव्यवस्था की स्थिरता के लिए और अधिक प्रयास किए जाने का अनुरोध किया है, चूँकि इस वर्ष मानवीय सहायता धनराशि में कमी आने की आशंका है.

रोज़ा ओटुनबायेवा के अनुसार तालेबान के शासन में अफ़ीम की खेती पर पाबन्दी समेत अन्य कुछ क्षेत्रों में कुछ सकारात्मक प्रगति हुई है मगर, महिला अधिकारों पर ध्यान केन्द्रित होने की वजह से वो धुंधली पड़ गई है. 

अर्थव्यवस्था की स्थिरता

बताया गया है कि देश में अर्थव्यवस्था फ़िलहाल स्थिर है, क़ीमतों में कमी आई है और विनिमय दर भी स्थिर है, जिसकी एक बड़ी वजह उच्च स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार में कमी है.

मगर, अर्थव्यवस्था की यह बड़ी तस्वीर, घर-परिवार में व्याप्त निर्धनता के साथ है और देश में 58 प्रतिशत आबादी को अपनी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.

चुनौतीपूर्ण सुरक्षा हालात

यूएन मिशन प्रमुख ने कहा कि समन्वित आतंकवाद-रोधी प्रयासों के बावजूद, आतंकी गुट आइसिल-ख़ोरासान प्रान्त ने तालेबान अधिकारियों और आम नागरिकों को निशाना बनाना जारी रखा है.

अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर तालेबान का वर्चस्व स्थापित होने के बाद, हताहत होने वाले आम नागरिकों की संख्या में बड़ी कमी आई है, लेकिन यूएन बारूदी सुरंग कार्रवाई सेवा के अनुसार, बिना विस्फोट हुई आयुध सामग्री की चपेट में आने से हर महीने 100 लोग हताहत होते हैं.

रोज़ा ओटुनबायेवा ने सुरक्षा परिषद में प्रतिनिधियों को कहा कि यूएन मिशन और यूएन प्रणाली, देश में तालेबान के साथ सम्पर्क व बातचीत जारी रखेगा और साथ मिलकर काम करने के लिए स्थापित, भरोसेमन्द माध्यमों को आगे बढ़ाया जाएगा. 

उन्होंने कहा कि मगर यह ध्यान रखना होगा कि यदि तालेबान ने महिला आबादी पर अपनी पाबन्दियों को वापिस लिया होता, तो और भी बहुत कुछ किया जाना सम्भव था