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सूडान: सुरक्षा के लिए पलायन की लम्बी व ख़तरनाक राह

चाड के औउद्दाई क्षेत्र में हाल ही में पहुँचे सैकड़ों सूडानी शरणार्थी, यूएनएचसीआर की राहत किट प्राप्त करने के लिए एकत्र.
© UNHCR/Charlotte Hallqvist
चाड के औउद्दाई क्षेत्र में हाल ही में पहुँचे सैकड़ों सूडानी शरणार्थी, यूएनएचसीआर की राहत किट प्राप्त करने के लिए एकत्र.

सूडान: सुरक्षा के लिए पलायन की लम्बी व ख़तरनाक राह

प्रवासी और शरणार्थी

सूडान की राजधानी ख़ारतूम में जब अप्रैल में लड़ाई शुरू हुई, तब 25 वर्षीय आरफ़ा, अपने दो छोटे बच्चों के साथ घर पर अकेली थीं. कितने ख़तरों से भरा हुआ है, जान बचाने के लिए पलायन का सफ़र...

"चूँकि हर जगह लोग मारे जा रहे थे, मैंने पूरी रात अपने घर के अन्दर ही डर में काटी." वो चिन्तित थीं कि पाँच साल के अपने बेटे और तीन साल की बेटी की सुरक्षा कैसे करेंगी.

उन्होंने कामकाज पर गए अपने पति को, गोलीबारी और ऊपर उड़ते युद्धक विमानों की आवाज़ से घबराकर, वापस बुलाने की कोशिश की, लेकिन उनके दोस्तों से मालूम हुआ कि उन्हें तो गोली मार दी गई है.

शोक मनाने का समय नहीं था

उनके पास अपने पति की मौत पर न तो शोक मनाने का समय था, न ही आगे की कोई स्पष्ट योजना, वो सुरक्षा की ख़ातिर अपने दोनों छोटे बच्चों को लेकर, ख़ारतूम से भाग निकलीं. वो बस पर चढ़कर, ख़ारतूम से 135 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व क्षेत्र के शहर मदनी पहुँची, जहाँ एक स्थानीय व्यक्ति ने उन्हें देश से बाहर जाने में मदद की.

उन्हें पाँच अन्य लोगों के साथ, देश के मुख्य पूर्वी बन्दरगाह पोर्ट सूडान ले जाया गया. उन्होंने मिस्र की सीमा की ओर जाने हेतु कोई परिवहन खोजने के लिए, पूरे एक दिन पैदल सफ़र तय किया.

उन्होंने बताया कि उन्होंने 80 घंटे बिना भोजन व पानी के बिताए, "मैं डरी हुई, थकी हुई और आशाहीन थी. रास्ता कठिन था, और गोलीबारी की लगातार आवाज़ कान सुन्न कर रही थी. मुझे अपने जीवित बचने की कोई उम्मीद नहीं थी. मैं, युद्ध, आश्रय के लिए लम्बी यात्रा और भविष्य को लेकर मन में डर के साथ, अपने बच्चों को बाँहों में कसकर पकड़े हुई थी.”

कोई ठिकाना नहीं

सूडान में हिंसा के कारण, हज़ारों शरणार्थी देश की सीमा पार करके चाड में शरण ले रहे हैं.
© UNHCR/Aristophane Ngargoune

उन्हें सीमा पार करने के बाद, अन्ततः काहिरा ले जाया गया और उस अपरिचित शहर के एक चौक पर छोड़ दिया गया. यहाँ कोई ठिकाना न होने के कारण, आरफ़ा और उनके बच्चों ने सड़क पर ही रात बिताई.

आरफ़ा ने बताया कि अगली सुबह, उस रास्ते से गुज़रने वाली एक दक्षिण सूडानी महिला की नज़र उनपर पड़ी.

उन्होंने बताया, "उस महिला ने मुझे यूएन शरणार्थी एजेंसी - UNHCR के कार्यालय में जाने और उनके साथ पंजीकरण करने की सलाह दी."

आरफ़ा बताती हैं कि उनका परिवार अब एजेंसी में सहायतार्थ पंजीकृत है और उसी दक्षिण सूडानी महिला के साथ रह रहा है.

'हम शरणार्थियों के साथ हैं'

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इस संघर्ष से प्रभावित सूडान के अन्य पड़ोसी देशों की ही तरह, मिस्र में भी पहले से ही बड़ी संख्या में शरणार्थी रहते हैं.

इन देशों में यूएनएचसीआर को कार्रवाई के लिए पहले ही धन की कमी पड़ रही है, ऐसे में शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि हिंसा से सुरक्षा की ख़ातिर पलायन कर रहे लोगों की मानवीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिए समर्थन में बढ़ोत्तरी ज़रूरी होगी.

इन ज़रूरतमन्द लोगों में, लगभग 60 हज़ार ख़ारतूम निवासी शामिल हैं, जो सुरक्षा के लिए शहर से पलायन करके आए हैं.

यूएनएचसीआर की एक सहायक क्षेत्र अधिकारी, रैंडा उसमान ने सूडान के पूर्वी क्षेत्र में स्थित शगारब शरणार्थी शिविर से ताज़ा जानकारी दी.

उन्होंने बताया, "लगातार जारी युद्ध के बावजूद, हम एकजुट हैं, हाथ से हाथ मिलाकर, शरणार्थियों के साथ, उनकी बात सुन रहे हैं, और उन लोगों के साथ खड़े हैं जिनकी हम, सूडान में हर तरह के हालात में सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं."

हवाई हमलों, सशस्त्र हमलों, और शहरी इलाक़ों में युद्ध के बीच, पहले से ही, एक लाख से अधिक सूडानी लोग, पड़ोसी देशों के लिए पलायन कर गए हैं. उनकी दु:खद कहानियों में हज़ारों अन्य लोगों की दुर्दशा झलक रहीं है, जो 15 अप्रैल को प्रतिद्वन्द्वी सैन्यगुटों के बीच भयंकर लड़ाई शुरू होने के बाद से पलायन कर रहे हैं.

ख़ाली हाथ भागना पड़ा

अब एक शरणार्थी बन चुके, हालिम इस्साक उमर का कहना था, "हम सूडान से चाड भाग आए. हम सुरक्षित रहना चाहते हैं. वहाँ कोई सुरक्षा नहीं है. हम कुछ भी लेकर नहीं आए हैं, यहाँ तक ​​कि खाने या पीने के लिए भी कुछ नहीं.”

हालिम इस्साक उमर की आपबीती उन 21 हज़ार सूडानी लोगों जैसी है जिन्होंने पड़ोसी देश चाड में शरण ली है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, अन्य 10 हज़ार सूडानी लोग, पलायन करके मध्य अफ़्रीकी गणराज्य पहुँचे हैं, और गुरूवार तक 47 हज़ार लोग, सुरक्षा के लिए मिस्र पहुँचे हैं.

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) और अन्य संयुक्त राष्ट्र संस्थाओं के अनुसार, इन देशों के साथ-साथ, हज़ारों पुरुष, महिलाएँ और बच्चे, ख़तरनाक सफ़र तय करके, पड़ोसी इथियोपिया और दक्षिण सूडान पहुँच रहे हैं.

शरणार्थियों की बढ़ती संख्या

शरणार्थियों की मेज़बानी करने वाले अफ़्रीका के दूसरे सबसे बड़े देश - सूडान में, 11 लाख 40 हज़ार से अधिक शरणार्थी बसते हैं. यूएनएचसीआर ने बताया कि हाल का युद्ध शुरू होने से पहले लगभग 37 लाख लोग देश के भीतर ही विस्थापित थे, और अब यह संख्या और भी बढ़ गई है.

युद्धरत सैन्य गुट जैसे-जैसे, बार-बार नाज़ुक युद्धविराम समझौतों को तोड़ रहे हैं, संयुक्त राष्ट्र की अनेक एजेंसियों का मानना है कि शरणार्थियों की संख्या बढ़ती रहेगी.

प्रवासन के लिए अन्तरराष्ट्रीय संगठन (IOM), वर्तमान में इथियोपिया में, हर रोज़ एक हज़ार से अधिक लोगों का आगमन दर्ज़ कर रहा है. अनमें से अधिकांश, यानि लगभग 39 प्रतिशत, इथियोपिया वापस लौटने वाले लोग हैं, 17 प्रतिशत सूडानी और 50 से अधिक अन्य देशों के नागरिक हैं.

2021 में भारत से सूडान चले गए रघुवीर शर्मा, संघर्ष की शुरुआत में ख़ारतूम के बाहर एक स्टील संयंत्र में काम कर रहे थे. भारत वापिस पहुँचने पर उन्होंने यूएन न्यूज़ को बताया कि हथियारबन्द गुट, पूरे एक सप्ताह तक रोज़ाना परिसर में घुसकर, लूटपाट और अन्धाधुन्ध गोलीबारी करते थे, व लोगों को बन्धक बनाकर, वाहनों और मोबाइल फ़ोन की मांग करते थे.

उन्होंने कहा, " हमने एक योजना बनाई कि जैसे ही ये लोग गेस्ट हाउस के अन्दर घुसें, तो उनको अन्दर नहीं आने दें. जब तक हमारे पास कारें, मोबाइल वगैरह हैं, तब तक हमारी जान सलामत रहेगी.”

रघुबीर शर्मा, वहाँ से बचकर निकाले जाने के लिए आभार प्रकट करते हुए सूडान में स्थिति जल्द ही सामान्य होने की उम्मीद भी करते हैं.

एक 'पूर्ण तूफ़ान'

महिलाएँ और बच्चे, चाड के एक गाँव में दाख़िल होने के बाद एक गाँव में, आराम करते हुए.
© UNICEF/Donaig Le Du

संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 4 करोड़ 80 लाख की आबादी वाले, अफ़्रीका के तीसरे सबसे बड़े देश सूडान से, दो2 लाख 70 हज़ार सूडानी लोग, सात अन्तरराष्ट्रीय सीमाएँ पार कर सकते हैं.

यूएनएचसीआर ने गुरुवार को कहा कि उन्हें सूडान से, 8 लाख 60 हज़ार शरणार्थियों और वापस लौटने वालों के बाहर जाने की आशंका है.

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने चाड में "एक पूर्ण तूफ़ान" की चेतावनी दी, जहाँ फ़सलों की कटाई के बीच कम बारिश के मौसम की शुरुआत से कुछ हफ़्तों पहले, शरणार्थियों की बाढ़ आ रही है, जिससे अनुमानित 19 लाख लोगों के गम्भीर रूप से खाद्य असुरक्षित होने की आशंका है.

एजेंसी ने कहा कि लगभग उसी समय तेज़ बारिश का ख़तरा होगा, और शरणार्थियों एवं अन्य संवेदनशील समूहों तक महत्वपूर्ण खाद्य सहायता पहुँचान मुश्किल हो जाएगा.

चाड में डब्ल्यूएफपी के देश निदेशक और प्रतिनिधि पियरे होन्नोरट ने कहा, "यह एक पूर्ण तूफ़ान है." "जून में मन्दी का मौसम, और बरसात का भी, जिससे सभी क्षेत्र अन्य इलाक़ों से कट जाएंगे."

‘पलक झपकते ही’ सब कुछ छिन गया

सूडानी लोगों की आपबीतियाँ इस बात की एक निराशाजनक तस्वीर पेश करती हैं कि युद्ध किस तरह, जीवन को पलक झपकते ही उलट-पलट कर सकता है.

एक 16 वर्षीय सूडानी लड़की, सुरक्षा की तलाश में चाड की सीमा पार आने में सफल रही.

वो कहती हैं, "मैं अपने देश वापस जाना पसन्द करुंगी, लेकिन तभी, जब हम वहाँ सुरक्षित हों."

ऐसे में जबकि अनेक लोग युद्ध लड़ाई से बचने और सुरक्षा तक पहुँचने में कामयाब रहे हैं, आरफ़ा कहती हैं कि उन्हें अपने परिवार का भविष्य अभी सुरक्षित नहीं लगता.

आरफ़ा कहती हैं, "मुझे विश्वास नहीं होता है कि मैं अब यहाँ मिस्र में हूँ, मुझे अब भी हर चीज़ से डर लगता है. मुझे मदद की ज़रूरत है. मुझे भविष्य का डर है. मैंने पलक झपकते ही अपना घर, अपना पति और अपना देश खो दिया. मैं अपने बच्चों को भी खोना नहीं चाहती. मैं चाहती हूँ कि वे सुरक्षित रहें."

संयुक्त राष्ट्र कार्रवाई

सूडान से लगे सीमावर्ती शहरों में, संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियाँ ज़रूरतमन्द लोगों की मदद करने के लिए काम कर रही हैं. ज़मीन पर क्या स्थिति है, इसका लेखा-जोखा यहाँ दिया गया है:

  • संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ, ​​अपने वैश्विक भंडार से, 70 हज़ार से अधिक ज़रूरी राहत सामग्री चाड और सूडान भेज रही हैं.
  • मिस्र में संयुक्त राष्ट्र, सूडान से पलायन करके लोगों की ज़रूरतों के आकलन हेतु मिशन का संचालन कर रहा है.
  • संयुक्त राष्ट्र और मिस्र रैड क्रैसेंट, आने वाले नए लोगों के लिए पानी, भोजन, व्हीलचेयर, और स्वच्छता किटें वितरित कर रहे हैं.
  • UNHCR द्वारा संचालित एक सोशल मीडिया अकाउंट और वेबसाइट के ज़रिए, मिस्र में शरणार्थियों को नवीनतम जानकारी प्रदान की जा रही है.
  • यूएनएचसीआर ने, जल्द से जल्द तात्कालिक वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक प्रारम्भिक अन्तर-एजेंसी क्षेत्रीय शरणार्थी प्रतिक्रिया योजना शुरू की है, जिसके लिए अक्टूबर तक विस्थापितों का समर्थन करने के लिए साढ़े 44 करोड़ डॉलर की आवश्यकता होगी.
  • संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़), सीमा पार से आने वाले परिवारों को, आवश्यक वस्तुएँ और चिकित्सा सेवाएँ प्रदान कर रहा है.
  • आईओएम, उन सीमावर्ती क्षेत्रों में शरणार्थियों और वापस लौटने वाले लोगों को परिवहन एवं आवास जैसी सहायता सेवाएँ प्रदान कर रहा है, जहाँ एजेंसी ने पारगमन केन्द्र स्थापित किए हैं.
  • संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफ़पीए), जीवन रक्षक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने, सुरक्षित जन्म के लिए आपूर्ति वितरित करने और दाइयों के एक नैटवर्क के ज़रिए, प्रसूति सम्बन्धी आपात स्थितियों का प्रबन्धन करने के लिए भागीदारों का समर्थन करना जारी रखे हुए है.
  • WFP क्षेत्र में सहायता प्रदान करता है, और वो तत्काल आपातकालीन वित्त पोषण के लिए अपील कर रहा है, जिसमें कम से कम 14.56 करोड़ डॉलर की ज़रूरत, मेज़बान समुदायों के साथ-साथ, चाड में नए आने वाले और मौजूदा शरणार्थियों की मदद जारी रखने के लिए होगी.
सूडान की सीमा के निकट, चाड के भीतर एक सीमावर्ती गाँव में, यूनीसेफ़ की तरफ़ से शरणार्थियों को ज़रूरत की चीज़ें वितरित किए जाते हुए.
© UNICEF/Donaig Le Du