वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

प्रवासी

भूमध्य सागर क्षेत्र में, प्रवास के लिए निकले बहुत से लोग, अक्सर दुर्घटनाओं के शिकार हो जाते हैं.
© SOS Méditerranée/Flavio Gasperini

ट्यूनीशिया से चली नौका दुर्घटनाग्रस्त होने से, बच्चों समेत 40 प्रवासियों की मृत्यु

संयुक्त राष्ट्र प्रवासन एजेंसी- IOM ने कहा है कि ट्यूनीशिया के तट पर एक नौका दुर्घटना में कम से कम 40 अफ़्रीकी प्रवासियों की मौत हो गई है जिसने योरोप जाने वाले रास्तों पर, अनियमित समुद्री यात्राओं के घातक जोखिमों को एक बार फिर उजागर कर दिया है.

विदेशों में रहने वाले हज़ारों इराक़ी नागरिक, स्वदेश वापसी कर रहे हैं.
© IOM

इराक़: देश के भीतर व बाहर बसे नागरिकों की वापसी के लिए ऐतिहासिक योजना

इराक़ ने विदेशों में रह रहे अपने नागरिकों की स्वदेश वापसी और देश के भीतर ही रहने वाले और काम करने वाले लगभग 3 लाख 70 हज़ार शरणार्थियों की, घरों को सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित वापसी को बढ़ावा देने के लिए, अपनी प्रथम राष्ट्रीय प्रवास योजना तैयार की है.

अफ़ग़ानिस्तान में लड़कियों को माध्यमिक स्तर की शिक्षा से दूर कर दिया गया है.
© UNICEF/Osman Khayyam

अफ़ग़ानिस्तान वापिस लौट रही महिलाओं के लिए बढ़ते ख़तरों की चेतावनी

ईरान और पाकिस्तान से, अफ़ग़ानिस्तान वापिस लौट रहीं महिलाओं और लड़कियों को अनेक तरह के गम्भीर ख़तरों का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें तुरन्त व दीर्घकालिक सहायता की सख़्त ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया है. 

सूडानी शरणार्थी चाड के सीमा नगर आद्रे पहुंच रहे हैं (फाइल फोटो)
© UNHCR/Andrew McConnell

13 लाख सूडानी स्वदेश लौटे, फिर से बसने के लिए हालात जर्जर

युद्धग्रस्त देश सूडान में कुछ इलाक़ों में सुरक्षा स्थिति बेहतर होने के माहौल में, 13 लाख से ज़्यादा सूडानी लोग, स्वदेश लौट आए हैं. इनमें देश के भीतर ही विस्थापित हुए दस लाख लोग, और 3 लाख से अधिक शरणार्थी शामिल हैं. मगर देश में उनके पुनर्वास के लिए परिस्थितियाँ बहुत कमज़ोर है.

अफ़ग़ानिस्तान को वापिस लौटने वाले लोगों में, बहुत से लोग विकलांग, महिलाएँ, बच्चे और बुज़ुर्ग भी हैं.
Mehrab Afridi

अफ़ग़ानिस्तान लौटने वाली महिलाओं व बच्चों को सीमा पर ही मदद की पुकार

विश्व स्वास्थ्य संगठन – WHO ने ईरान और पाकिस्तान से अफ़ग़ानिस्तान वापिस लौटने वाले लोगों, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की स्वास्थ्य ज़रूरतों के बारे में गहरी चिन्ता व्यक्त की है और उन्हें सीमा पर ही मदद मुहैया कराए जाने का आहवान किया है.

ईरान से अफ़ग़ानिस्तान लौट रहे अफ़ग़ान शरणार्थी, इस्लाम क़ला सीमा पर पहुँचे हैं.
© UNHCR/Faramarz Barzin

ईरान से अफ़ग़ानिस्तान के लिए, विशाल निर्वासन से बच्चों पर मुसीबतें

जून 2025 में ईरान से अफ़ग़ानिस्तान लौटने वालों की संख्या में अचानक तेज़ उछाल आया, जहाँ केवल हेरात के पास इस्लाम-क़ला सीमा से ही 2 लाख  56 हज़ार से अधिक अफ़ग़ान नागरिकों की वापसी दर्ज की गई. अभी तक वापिस लौटने वालों में अधिकतर अकेले युवा पुरुष होते थे, मगर अब बड़ी संख्या में परिवार और छोटे बच्चे भी लौट रहे हैं - जो एक चिन्ताजनक रुझान है. (वीडियो)

अडेन की खाड़ी में नाव पलटने से बचे प्रवासियों को जिबूती के ओबॉक में लाया गया.
© IOM/Olivia Headon

मानव तस्करों ने प्रवासियों को नाव से कूदने के लिए किया मजबूर, 8 लोगों की मौत

जिबूती के तट से दूर लाल सागर जल क्षेत्र में तस्करी का शिकार और उफनती लहरों में किसी तरह से जान बचाने वाले पीड़ितों ने अपनी व्यथा को साझा किया है. उन्होंने बताया कि मानव तस्करों ने नाव में सवार अनेक प्रवासियों को जबरन, तट से दूर समुद्र में कूदने के लिए मजबूर किया, जिससे कई लोगों की डूबने की वजह से मौत हो गई. कुछ लोगों ने तैर कर किसी तरह अपनी जान बचाई, लेकिन अनेक अन्य अब भी लापता हैं.

लीबिया के तटीय क्षेत्र से, प्रवासियों को सुरक्षित बचाते हुए. उस क्षेत्र में बहुत से प्रवासी, समुद्र में ही जान गँवा देते हैं.
© SOS Méditerranée/Flavio Gasperini

प्रवासियों की सामूहिक क़ब्रगाह बनने से रोका जाना होगा, सुरक्षा परिषद से आग्रह

संयुक्त राष्ट्र की दो एजेंसियों ने सोमवार को सुरक्षा परिषद को आगाह करते हुए कहा है कि सहारा रेगिस्तान और भूमध्यसागर क्षेत्रों को, प्रवासियों के लिए सामूहिक क़ब्रगाह” बनने से रोकने के लिए बिल्कुल अभी ठोस कार्रवाई करनी होगी.

लेबनान में इसराइली बमबारी से बचने के लिए, हज़ारों लोग, सीरिया की तरफ़ भी जा रहे हैं.
© UNHCR/Vadim Makheev

लेबनान संकट: घातक युद्ध हुआ तेज़, 700 लोगों की मौत, व्यापक विस्थापन भी

मध्य पूर्व में इसराइल और लेबनान के सशस्त्र गुट – हिज़बुल्लाह के बीच युद्ध में अचानक और व्यापक तेज़ी ने, आने वाले दिनों में हालात और भी भीषण होने का भय उत्पन्न कर दिया है. अभी तक लगभग 700 लोगों के मारे जाने और हज़ारों अन्य लोगों के घायल होने की ख़बरें हैं. हज़ारों लोग सुरक्षा की तलाश में, सीरिया की तरफ़ भी भाग रहे हैं.

वापस लौटे प्रवासी घरेलू कामगारों की समिति की बैठक.
© ILO India/Akriti Paracer

भारत: देश से बाहर महिलाओं के विस्थापन का कड़वा सच, बेहतरी की राह भी

भारत में बेहतर जीवन की तलाश में, हज़ारों महिलाएँ घरेलू कामगार के तौर रोज़गार पाने के लिए विदेशों की ओर प्रवास करती हैं. लेकिन उन्हें अक्सर दलालों की धोखाधड़ी में फँसकर, बेहद अमानवीय हालात में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है. अन्तरारष्ट्रीय श्रम संगठन, ILO के ‘Work in Freedom’ कार्यक्रम के ज़रिए, प्रवासी कामगारों को अपने अधिकारों के प्रति सचेत करते हुए, विदेशो में कामकाज के लिए एक सुरक्षित तरीक़े से भेजने में मदद की जा रही है.