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‘ऐल नीन्यो’ प्रभाव के कारण तापमान वृद्धि की सम्भावना, खाद्य सुरक्षा पर ख़तरा

इथियोपिया में ऐल नीन्यो प्रभाव के कारण सूखा पड़ा है, जिससे हर परिवार प्रभावित हुआ है.
OCHA/Charlotte Cans
इथियोपिया में ऐल नीन्यो प्रभाव के कारण सूखा पड़ा है, जिससे हर परिवार प्रभावित हुआ है.

‘ऐल नीन्यो’ प्रभाव के कारण तापमान वृद्धि की सम्भावना, खाद्य सुरक्षा पर ख़तरा

जलवायु और पर्यावरण

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने सचेत किया है कि इस वर्ष, प्रशान्त महासागर में ‘ऐल नीन्यो’ जलवायु रुझान विकसित होने की सम्भावना है, जोकि तापमान में भारी उछाल और चरम मौसम घटनाओं क वजह बन सकता है.

यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी के अनुसार ‘ऐल नीन्यो’ और ‘ला नीन्या’, पृथ्वी पर जलवायु प्रणाली के मुख्य वाहक हैं.

‘ला नीन्या’ प्रभाव के कारण महासागरों के तापमान में कमी आती है, और तीन वर्षों से जारी इसके प्रभाव के बाद, इस वर्ष जुलाई से सितम्बर महीने के दौरान ऐल नीन्यो प्रभाव का सामना करने की सम्भावना 80 प्रतिशत है.

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इसके प्रत्यक्ष संकेत, मध्य व पूर्वी उष्णकटिबन्धीय प्रशान्त महासागर में महासागरों की सतह के गर्म होने के रूप में नज़र आएंगे. कुछ हद तक इसके जल्द विकसित होने की सम्भावना भी हो सकती है.

यूएन एजेंसी के महासचिव पेटेरी टालस ने बताया कि वर्ष 2015 से 2022 के दौरान, आठ वर्ष अब तक रिकॉर्ड पर सबसे गर्म साल साबित हुए हैं.  

यह तब हुआ, जब इनमें से तीन वर्षों के दौरान, ‘ला नीन्या’ का प्रभाव रहा जोकि तापमान में कमी लाता है, और इस वजह से वैश्विक तापमान में वृद्धि के रुझान पर अस्थाई तौर से रोक लग गई.

यूएन एजेंसी प्रमुख ने आगाह किया है कि ‘ऐल नीन्यो’ के विकसित होने से वैश्विक तापमान में नए सिरे से वृद्धि हो सकती है और तापमान का रिकॉर्ड तोड़ने की सम्भावना भी बढ़ेगी.

‘ऐल नीन्यो’ के लिए तैयारी

‘ऐल नीन्यो’ का शक्तिशाली प्रभाव 2014-2015 के दौरान देखा गया, जिसके साथ ही ग्रीनहाउस गैस की वजह से वातावरण भी गर्माया था.

इसके परिणामस्वरूप, वर्ष 2016 ने सर्वाधिक गर्म साल साबित होने का रिकॉर्ड स्थापित किया, और अब वैश्विक तापमान पर आगामी ‘ऐल नीन्यो’ के प्रभाव सबसे अधिक वर्ष 2024 में नज़र आने की सम्भावना है.

महासचिव टालस ने ज़ोर देकर कहा कि दुनिया को ‘ऐल नीन्यो’ के लिए तैयार रहना होगा, जिसके कारण ज़्यादा चरम मौसम व जलवायु घटनाएं सामने आ सकती हैं. जैसेकि भीषण वर्षा, सूखा, और यह क्षेत्र पर निर्भर करेगा.

उन्होंने समय पूर्व चेतावनी सेवाओं की अहम भूमिका को भी रेखांकित किया है, जिसकी मदद से सामयिक कार्रवाई और चरम मौसम के दुष्प्रभावों को टालने में मदद मिल सकती है.

यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी के अनुसार, फ़िलहाल विश्व में लगभग 100 देशों के पास मौसमी जानकारी के लिए पर्याप्त सेवाएँ नहीं हैं.

सूखा या बाढ़

मौसम विज्ञान विशेषज्ञों के अनुसार, अभी तक आगामी ‘ऐल नीन्यो’ की ताक़त या उसकी अवधि के सम्बन्ध में कोई स्पष्ट संकेत नहीं है, और आम तौर पर इसके प्रभाव भी कभी एक जैसे नहीं रहते हैं.

इसके मद्देनज़र, उसके प्रभावों के अनुरूप तैयारी के लिए नज़दीक से निगरानी पर बल दिया गया है.

यूएन एजेंसी ने बातया कि ‘ऐल नीन्यो’ घटनाओं को आम तौर पर भारी वर्षा से जोड़ कर देखा जाता है, जोकि दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी हिस्सों में, दक्षिणी अमरिका, मध्य एशिया और हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका में बाढ़ की वजह बन सकता है.

WMO का कहना है कि ‘ऐल नीन्यो’ के प्रभाव, हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका में लम्बे समय से जारी सूखे से कुछ राहत प्रदान कर सकते हैं, मगर इसके कारण ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, और दक्षिणी एशिया के कुछ हिस्सों में गम्भीर सूखा पड़ सकता है.  

खाद्य सुरक्षा पर असर

खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार, विश्व में रिकॉर्ड संख्या में लोगों को खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहा है, जिसके मद्देनज़र उन इलाक़ों का विशेष रूप से अध्ययन किया जा रहा है, जोकि ‘ऐल नीन्यो’ प्रभाव के प्रति विशेष रूप से सम्वेदनशील हैं.

जोखिम का सामना कर रहे देशों के लिए समर्थन सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाएंगे.

ने सचेत किया है कि दक्षिणी अफ़्रीका, मध्य अमेरिका व कैरीबियाई क्षेत्र और एशिया के कुछ हिस्सों में हालात के प्रति विशेष रूप से चिन्ता है.

यहाँ पहले से ही बड़ी संख्या में लोग खाद्य असुरक्षा का शिकार हैं, और बुआई का मौसम, ‘ऐल नीन्यो’ मौसमी रुझानों के दौरान होंगे, जोकि मुख्यत: शुष्क परिस्थितियों की वजह बनता है.

यूएन एजेंसी ने आगाह किया है कि अनाज के बड़े उत्पादक व निर्यातक देशों, जैसेकि ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील और दक्षिण अफ़्रीका, में शुष्क परिस्थितियाँ उपज सकती हैं.

वहीं, बड़े अनाज निर्यातक देशों जैसेकि अर्जेन्टीना, तुर्कीये और अमेरिका में अत्यधिक वर्षा से भी फ़सल प्रभावित होने की आशंका है.