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जलीय चक्र में बढ़ता असन्तुलन, बेहतर निगरानी व्यवस्था का आग्रह

अमेरिका में कोलोराडो नदी की एक तस्वीर.
UN News/Anton Uspensky
अमेरिका में कोलोराडो नदी की एक तस्वीर.

जलीय चक्र में बढ़ता असन्तुलन, बेहतर निगरानी व्यवस्था का आग्रह

जलवायु और पर्यावरण

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने अपनी एक रिपोर्ट में आगाह किया है कि जलवायु परिवर्तन और मानव गतिविधियों के परिणामस्वरूप, जलीय चक्र असन्तुलित होता जा रहा है और बाढ़ व सूखे समेत चरम मौसम की घटनाएँ गम्भीर रूप धारण कर रही हैं. इसके मद्देनज़र इस रिपोर्ट में वैश्विक जल संसाधनों की विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत की गई है और जल संसाधनों के बेहतर प्रबन्धन पर ज़ोर दिया गया है.. 

संयुक्त राष्ट्र के एक अनुमान के अनुसार, विश्व भर में साढ़े तीन अरब से अधिक लोगों के पास साल में कम से कम एक महीने के लिए पर्याप्त जल उपलब्ध नहीं होता है. वर्ष 2050 में यह आँकड़ा बढ़कर पाँच अरब से अधिक पहुँच जाने की सम्भावना है. 

गुरूवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, अत्यधिक वर्षा और सूखे की घटनाओं के कारण ज़िन्दगियों और अर्थव्यवस्थाओं पर भीषण असर हो रहा है. 

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बर्फ़, जमे हुए पानी और हिमनद के पिघलने से बाढ़ आने के ख़तरे बढ़े हैं और लाखों-करोड़ों लोगों के लिए दीर्घकालिक जल सुरक्षा पर जोखिम मंडरा रहा है.

यूएन एजेंसी की नवीनतम रिपोर्ट WMO State of Global Water Resources 2022 के अनुसार, मौजूदा चुनौतियों के बावजूद, विश्व  में ताज़ा जल के संसाधनों की वास्तविक स्थिति के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है. 

यूएन विशेषज्ञों का मानना है कि बिना स्पष्ट जानकारी के अभाव में इन संसाधनों का समुचित प्रबन्धन सम्भव नहीं है, और इसलिए नीतियों में बुनियादी बदलावों की अहमियत को रेखांकित किया गया है.

इस क्रम में, निगरानी क्षमता बढ़ाने, डेटा साझा करने, सीमा-पार सहयोग को मज़बूती प्रदान करने और जल सम्बन्धी चरम घटनाओं के प्रबन्धन में निवेश पर बल दिया गया है.

यूएन मौसम विज्ञान संगठन के महासचिव पेटेरी टालस ने कहा कि यह रिपोर्ट व्यापक तौर पर, विश्व भर में जल संसाधनों का एक सुसंगत आकलन प्रस्तुत करती है. इसमें जलवायु, पर्यावरणीय और सामाजिक बदलावों का जल संसाधनों पर होने वाले असर पर ध्यान केन्द्रित किया गया है.

जलीय चक्र में व्यवधान

यूएन एजेंसी ने अपनी यह रिपोर्ट सैटेलाइट-आधारित रिमोट सेंसिंग, ज़मीनी पर्यवेक्षण, और संख्यात्मक मॉडलिंग के ज़रिये तैयार की है.

इसमें महत्वपूर्ण जलविज्ञान कारकों, जैसेकि भूगर्भ जल, वाष्पीकरण, जल प्रवाह, मृदा नमी, जमे हुए पानी, जलाशय में अन्दरुनी प्रवाह और जलीय आपदाओं पर गहन जानकारी जुटाई गई है.

रिपोर्ट के अनुसार, हिमनद और जमे हुए पानी की परत हमारी आंखों के सामने ग़ायब हो रही है. बढ़ते तापमान की वजह से जल चक्र में व्यवधान आया है. 

गर्म हो रहे वातावरण में और अधिक नमी होती है, जिससे भीषण अवक्षेपण (precipitation) व बाढ़ की घटनाएँ होती हैं. वहीं दूसरी ओर, अधिक वाष्पीकरण, शुष्क मृदा और ज़्यादा गहन सूखे की घटनाएँ हैं. 

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में मृदा नमी और भूमि जल के वातावरण में वाष्पीकरण या पौधों के ज़रिये हस्तांतरण में विसंगति दर्ज की गई है.

असन्तुलन के असर

योरोप में गर्मियों के मौसम के दौरान भूमि जल के वातावरण में हस्तांतरण बढ़ने और मृदा नमी में गिरावट दर्ज की गई. साथ ही, योरोपीय महाद्वीप पर सूखे की वजह से डेन्यूब और राइन नदियों के लिए चुनौतियाँ उपजी, और फ़्राँस में शीतलन जल के अभाव में परमाणु बिजली उत्पादन में व्यवधान आया.  

सूखे की गम्भीर घटनाओं से अमेरिका, हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण अमेरिका का ला प्लाटा बेसिन प्रभावित हुआ है.

एशिया में चीन के यैंगट्ज़ी नदी बेसिन को गम्भीर सूखे का सामना करना पड़ा, जबकि पाकिस्तान के सिन्धु नदी बेसिन में भीषण बाढ़ आई, जिसमें कम से कम एक हज़ार 700 लोगों की मौत हो गई.

वर्ष 2022 में ऐल्प्स पर्वतों पर बर्फ़ की मात्रा 30 साल के औसत से कम थी, जिससे योरोप की मुख्य निदयों में प्रवाह पर असर पड़ा. 

ऐंडीज़ क्षेत्र में भी सर्दी के मौसम में बर्फ़ की मात्रा में गिरावट आई और यह 2021 में अपने निम्नतम स्तर पर थी, जिससे चिली और अर्जेन्टीना में जल आपूर्ति प्रभावित हुई. 

रिपोर्ट बताती है कि सटीक जानकारी व समाधान के लिए अभी और अधिक शोध किए जाने आवश्यकता है, विशेष रूप से अफ़्रीका, मध्य पूर्व और एशिया क्षेत्र के लिए.