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हरित औद्योगिक दौर, खोल सकता है टिकाऊ विकास के द्वार

भारत की राजधानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर के बीच त्वरित परिवहन प्रणाली के लिए, तेज़ गति से होता काम.
© ADB/Eric Sales
भारत की राजधानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर के बीच त्वरित परिवहन प्रणाली के लिए, तेज़ गति से होता काम.

हरित औद्योगिक दौर, खोल सकता है टिकाऊ विकास के द्वार

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र ने देशों के बीच बढ़ते विकास अन्तराल को भरने, महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति, और 2030 तक टिकाऊ विकास लक्ष्य (SDGs) हासिल करने की ख़ातिर, टिकाऊ औद्योगिक रूपान्तर का आहवान किया है.

वर्ष 2023 की टिकाऊ विकास के लिए वित्त रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन पर रूस के पूर्ण हमले और अनिश्चित वैश्विक आर्थिक परिदृश्य व जलवायु परिवर्तन के तेज़ होते प्रभावों के मद्देनज़र, उद्योग, कृषि, परिवहन और निर्माण क्षेत्रों को बिजली आपूर्ति में सकारात्मक परिवर्तन करने के लिए “तत्काल और व्यापक पैमाने पर संसाधन निवेश” की आवश्यकता है.

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बुधवार को जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी टिकाऊ प्रगति के संकेत मौजूद हैं जिनसे सभी देश लाभान्वित हो सकते हैं, और टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए एक व्यावहारिक मंच सृजित किया जा सकता है.

मसलन, इंटरनैट प्रयोग का असाधारण स्तर पर विस्तार. ध्यान रहे कि इंटरनैट प्रयोग करने वालों की संख्या हर घंटा लगभग 38 हज़ार की रफ़्तार से बढ़ रही है.

बहुत पीछे हैं

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, रिपोर्ट की प्रस्तावना में कहा है, “विकासशील देश, टिकाऊ विकास और अपनी ऊर्जा व खाद्य प्रणालियों में परिवर्तन के अभाव में, और भी ज़्यादा पीछे छूट रहे हैं.”

उनका कहना है, “धनी और कम धनी या निर्धन देशों वाले इस दो पटरियों वाले विश्व में, हर एक देश के लिए स्पष्ट व स्वभाविक जोखिम हैं. हमें तत्काल वैश्विक सहयोग बनाना होगा और अपने मौजूदा संकटों के समाधान, बहुपक्षीय कार्रवाई में तलाश करने होंगे.”

रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि कुछ आवश्यक बदलाव तो पहले ही हो रहे हैं. यूक्रेन में युद्ध ने जो ऊर्जा संकट उत्पन्न किया है, उसने वैश्विक ऊर्जा रूपान्तर में निवेश को प्रोत्साहित किया है, जोकि वर्ष 2022 में 1.1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच गया.

रिपोर्ट कहती है कि वैसे तो 2022 में ऊर्जा रूपान्तर निवेश, पहली बार, जीवाश्म ईंधन क्षेत्र से ज़्यादा रहा, मगर ये लगभग सम्पूर्ण निवेश चीन और विकसित देशों में हुआ.

धन नहीं बचा है

रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि अधिकतर विकासशील देशों के पास, विकसित देशों की तरह, निवेश के लिए संसाधन नहीं हैं.

जलवायु परिवर्तन, यूक्रेन में युद्ध और कोविड-19 महामारी और 2019 में लगभग दो गुनी रही क़र्ज़ अदायगी ने, ज़्यादातर विकासशील देशों पर व्यापक वित्तीय दबाव बना दिया है, जिससे रूपान्तर के लिए धन आबंटित करने की क्षमता सीमित हुई है.

हम जानते हैं कि क्या करना है: यूएन उप प्रमुख (DSG)

संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद ने कहा है, “टिकाऊ विकास लक्ष्यों (SDGs) में संसाधन निवेश बढ़ाते समय, एक सुधारी हुई अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था उपलब्ध कराए बिना, हम टिकाऊ विकास के लिए 2030 के एजेंडा पर अपने साझा संकल्पों को पूरा नहीं कर सकेंगे.”

उन्होंने कहा, “एक सुखद समाचार ये है कि हम जानते हैं कि क्या करना है और किस तरह करना है. ऊर्जा, खाद्य और शिक्षा क्षेत्रों में महत्वपूर्ण परिवर्तन शुरू करके, एक नवीन हरित औद्योगिक और डिजिटल दौर की अगुवाई करना – जिसमें हम सभी को रफ़्तार तेज़ करनी होगी और किसी को भी पीछे नहीं छोड़ना होगा.”

ज़ाम्बिया में महिलाएँ खेतीबाड़ी के तरीक़े व हुनर सीखते हुए.
© UNICEF/Karin Schermbrucker

38 हज़ार लोग हर घंटा ऑनलाइन बढ़ोत्तरी

रिपोर्ट में बताया गया है कि कृषि आधारित उद्योग, हरित ऊर्जा, और निर्माण क्षेत्रों में समावेशी प्रगति के बहुत से अवसर मौजूद हैं.

प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हाल के समय में हुई बढ़त, टिकाऊ औद्योगिकीरण व प्रगति की तरफ़ समान गति के परिवर्तन के लिए सम्भावनाओं की तरफ़ इशारा करती है.

उदाहरण के लिए, 2021 से 2022 के दरम्यान, लगभग 33 करोड़ 80 लाख लोगों ने नियमित रूप से इंटरनैट का प्रयोग किया, जोकि प्रति घंटा लगभग 38 हज़ार 600 की बढ़ोत्तरी है.