वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

आर्थिक विकास

भारत और होन्डुरस टिकाऊ ऊर्जा स्रोतों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने में पारस्परिक सहयोग कर रहे हैं.
UNDP Honduras

'दक्षिण-दक्षिण व त्रिकोणीय सहयोग' प्रगति के इंजिन, गुटेरेश

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस वर्ष के दक्षिण-दक्षिण सहयोग दिवस पर कहा है कि आज की एक बहुध्रुवीय दुनिया में विकासशील देश, न केवल संकटों का सामना करने में, बल्कि परिवर्तन को गति देने में भी महत्वपूर्ण सहनशीलता व सरलता का प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में दक्षिण-दक्षिण और त्रिकोणीय सहयोग प्रगति के इंजिन हैं और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं.

भारत में प्रवासी मज़दूर खाना पकाते हुए.
World Bank/Curt Carnemark

SDG-2: वर्ष 2030 तक भूख-मुक्त दुनिया का लक्ष्य, आसान या मुश्किल?

ये बहुत सोचने वाली बात है कि 21वीं सदी में भी करोड़ों लोग भूखे क्यों जीवन गुज़ारते हैं? जबकि हर दिन लगभग एक अरब भोजन थालियों के बराबर खाद्य सामग्री बर्बाद कर दी जाती है. यह एक कड़वी सच्चाई है कि जब दुनिया तकनीक, अन्तरिक्ष यात्रा और कृत्रिम बुद्धिमता (AI) के साथ नई ऊँचाइयों को छू रही है, तब भी करोड़ों लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिल पा रहा है. सतत विकास लक्ष्य - 2 इसी समस्या पर नज़र टिकाता है.

UN News/Pooja Yadav

SDGs की यात्रा में भारत की स्थिति, सुमन बैरी के साथ बातचीत

यूएन मुख्यालय में आयोजित 2025 के उच्च स्तरीय राजनैतिक मंच (HLPF) में, दुनिया भर में, सतत विकास लक्ष्यों यानि SDGs की प्राप्ति के लिए हो रही प्रगति की समीक्षा की गई है. वैश्विक स्तर पर तो यह प्रगति काफ़ी पिछड़ी हुई है. ऐसे में, भारत की जनसंख्या को देखते हुए, देश की एसडीजी प्रगति, वैश्विक स्तर पर अहम भूमिका निभाती है. हमने इसी सन्दर्भ में, भारत के नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बैरी के साथ बातचीत की और जानना चाहा कि भारत की एसडीजी स्थिति क्या है...

ऑडियो
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भारत सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि युवा स्वयंसेवक अपने सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए संवाद और कार्रवाई का एक अहम हिस्सा हों.
© UNDP India

SDGs को बचाना अब भी सम्भव, मगर देशों को तुरन्त उठाने होंगे क़दम, यूएन प्रमुख

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि सतत विकास लक्ष्य (SDGs), इस समय भले ही संकट में हों, लेकिन हाल के वैश्विक समझौते यह दिखाते हैं कि दुनिया अब भी मिलकर काम कर सकती है, और अब भी बदलाव सम्भव है.

दक्षिण सूडान में महिला किसानों की एक सहकारी समिति को FAO द्वारा बीज उत्पादन का प्रशिक्षण दिया गया है.
© FAO/Daniel Chaplin

सहकारिता दिवस: ‘एक बनकर काम करने की भावना’

हर वर्ष 5 जुलाई को मनाया जाने वाला अन्तरराष्ट्रीय सहकारी दिवस इस ओर ध्यान आकर्षित करता है कि सहकारी समितियाँ उन परिस्थितियों में भी लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में किस तरह सहायक होती हैंजहाँ अकेले प्रयास करना पर्याप्त नहीं होता. दुनिया में इस समय लगभग 30 लाख सहकारी समितियाँ सक्रिय हैं जिनसे कुल मानव आबादी का लगभग 12 प्रतिशत हिस्सा जुड़ा हुआ है. भारत में भी सहकारिता आन्दोलन, कमज़ोर वर्ग के लोगों की आर्थिक प्रगति में काफ़ी सक्रिय रहा है.

टिकाऊ विकास लक्ष्य, सामाजिक न्याय के लिए एक आधारशिला हैं.
UN News/Daniel Dickinson

विकासशील देशों में, एसडीजी प्राप्ति के लिए $4 ट्रिलियन तक की कमी

संयुक्त राष्ट्र के एशिया और प्रशान्त क्षेत्र के लिए आर्थिक और सामाजिक आयोग (ESCAP) की एक नई रिपोर्ट में, सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने के लिए धन की बढ़ती कमी को लेकर गम्भीर चेतावनी दी गई है. रिपोर्ट में 40 से रणनीतियाँ प्रस्तुत की गई हैं, जिनसे क्षेत्रीय देश, अपने वित्तीय संसाधनों को सशक्त बना सकते हैं व घरेलू वित्तीय प्रणालियों में आवश्यक सुधार कर सकते हैं.

समुद्री डकैतियों को रोकने के लिए, समुद्री इलाक़ों में विशेष अभियान भी चलाए जाते हैं.
© US Navy/Ja'lon A. Rhinehart

समुद्री स्थानों में बढ़ते ख़तरों से, वैश्विक व्यापार और शान्ति को जोखिम

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने, विश्व शक्तियों से अन्तरराष्ट्रीय समुद्री क़ानून का पालन करते रहने और भू-राजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता को दूर करने का आग्रह करते हुएचेतावनी दी है कि बढ़ते ख़तरे, वैश्विक व्यापार, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और अन्तरराष्ट्रीय शान्ति को जोखिम में डाल रहे हैं.

सीरिया की राजधानी दमिश्क के ग्रामीण इलाक़े की एक बस्ती में एक बच्चा.
© UNICEF/Johnny Shahan

सीरिया: देश लौटने वाले नागरिकों का जीवन पटरी पर लाने के लिए समर्थन ज़रूरी

संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता एजेंसियों ने कहा है कि क़रीब डेढ़ दशक तक गृहयुद्ध की आंच में झुलसने वाले सीरिया में आम नागरिक फिर से अपने जीवन को पटरी पर लाने की कोशिशों में जुटे हैं, और उनके इन प्रयासों को समर्थन दिया जाना होगा.

सूडान के अल फ़शर में सउदी अस्पताल के मातृत्व वार्ड में एक नवजात शिशु.
© Al-Saudi Maternity Hospital

जीवन प्रत्याशा में 30 साल के अन्तर से, स्वास्थ्य असमानताएँ उजागर

WHO की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि आप कहाँ जन्म लेते हैं, ये कारक, आपकी छोटी या लम्बी आयु और ख़ुशहाली के स्तर को निर्धारित कर सकता है. रिपोर्ट के अनुसार, आपका जन्म अगर एक समृद्ध स्थान या देश में हुआ है तो आपकी आयु, ऐसे लोगों की तुलना में 30 साल से भी अधिक लम्बी हो सकती है, जो किसी ऐसे देश में रहते हैं जहाँ सुरक्षित आवास, अच्छी शिक्षा और अच्छे वेतन व हालात वाले कामकाज तक लोगों की कम पहुँच हो.

मैक्सिको में एक महिला दैनिक ज़रूरतों वाला सामान बेचते हुए. रोज़गार परक कामकाज में, पुरुषों की तुलना में, महिलाओं की संख्या में अन्तर बना हुआ है.
© ILO/BMF Media

आर्थिक पुनर्बहाली की रफ़्तार हो रही है धीमी, ILO की चेतावनी

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने कहा है कि भू-राजनैतिक तनाव, जलवायु परिवर्तन की बढ़ती लागत और अनसुलझे क़र्ज़ मुद्दे, श्रम बाज़ारों पर दबाव डाल रहे हैं जिसके कारण आर्थिक पुनर्बहाली की रफ़्तार धीमी पड़ रही है.