महिलाओं पर यूएन आयोग की बैठक आरम्भ, अधिकारों के लिए बढ़ते जोखिमों पर चिन्ता

महिलाओं की स्थिति पर आयोग (Commission on the Status of Women/CSW) का 67वाँ सत्र, सोमवार को न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में आरम्भ हुआ है, जिसमें नवाचार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विशाल लैंगिक खाई को पाटने पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा.
विश्व भर से सरकारों, संयुक्त राष्ट्र, नागरिक समाज, युवा संगठनों के प्रतिनिधियों समेत अन्य प्रतिभागी, अगले दो सप्ताह तक महिला समानता, सशक्तिकरण और टिकाऊ विकास की, डिजिटल युग में प्राप्ति के रास्तों पर चर्चा करेंगे.
CSW बैठक के दौरान, सूचना युग में गुणवत्तापरक शिक्षा की आवश्यकता के अलावा ऑनलाइन हिंसा और उन अन्य ख़तरों को भी रेखांकित किया जाएगा, जिनका सामना महिलाओं व लड़कियों को करना पड़ता है.
"Gender inequality is a question of power.
I call for urgent action to equalize power in 3 ways for women & girls:
1 Increase their education
2 Promote their full participation & leadership in STEM
3 Create a safe digital environment for them."
@antonioguterres at #CSW67 Opening https://t.co/GrtNkIh48p
UN_Women
महिलाओं की स्थिति पर आयोग की प्रमुख माथु जोयिनि ने अपनी आरम्भिक टिप्पणी में कहा है कि डिजिटल टैक्नॉलॉजी, तेज़ी से समाजों में रूपान्तरकारी बदलाव कर रही हैं, मगर उनसे नई चुनौतियाँ भी उपजी हैं जिनसे मौजूदा लैंगिक विषमताएँ गहरी हो सकती हैं.
“लिंग-आधारित भेदभाव एक व्यवस्थागत समस्या है, जोकि हमारे राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन के ताने-बाने में गुँथा हुआ है, और टैक्नॉलॉजी सैक्टर इससे अलग नहीं है.”
यूएन के शीर्षतम अधिकारी एंतोनियो गुटेरेश के अनुसार CSW आयोग की बैठक ऐसे समय में हो रही है जब महिला अधिकारों पर प्रगति धूमिल हो रही है.
इनमें अफ़ग़ानिस्तान समेत अन्य देश हैं, जहाँ महिलाओं व लड़कियों को सार्वजनिक जीवन से मिटा गया गया है और लैंगिक समानता दूर होती जा रही है.
“इस वर्ष आपका ध्यान टैक्नॉलॉजी व नवाचार में लैंगिक खाई को पाटने पर है, जोकि बहुत सामयिक है. चूँकि जैसे-जैसे टैक्नॉलॉजी आगे बढ़ रही है, महिलाएँ व लड़कियाँ पीछे छूटती जा रही हैं.”
“गणित सरल है: विश्व की आधी आबादी की अन्तर्दृष्टि और सृजनात्मकता के बिना, विज्ञान और टैक्नॉलॉजी केवल अपनी सम्भावना का आधा ही हासिल कर सकते हैं.”
महासचिव ने सचेत किया कि लैंगिक असमानता अन्तत: शक्ति का प्रश्न है, जिसके मद्देनज़र, उन्होंने तीन अहम क्षेत्रों में तत्काल कार्रवाई पर बल दिया है.
इसके लिए, वैश्विक दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में महिलाओं व लड़कियों की शिक्षा, आय और रोज़गार को बढ़ाना होगा. साथ ही, विज्ञान एवं टैक्नॉलॉजी में महिलाओं व लड़कियों की भागेदारी व नेतृत्व को प्रोत्साहन दिया जाना होगा.
यूएन प्रमुख ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को महिलाओं व लड़कियों के लिए एक सुरक्षित, डिजिटल माहौल सृजित करना होगा
इस क्रम में, उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र, डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म पर सूचना की सत्यनिष्ठा के लिए एक आचरण संहिता पर काम कर रहा है, जोकि जवाबदेही बढ़ाने और नुक़सान कम करने पर लक्षित है.
यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि विज्ञान, टैक्नॉलॉजी और नवाचार में महिलाओं के पूर्ण योगदान को बढ़ावा देना, कोई परोपकारी कृत्य नहीं है, बल्कि बेहद ज़रूरी है, जो सभी की भलाई में है.
यूएन महासभा के 77वें सत्र के लिए अध्यक्ष कसाबा कोरोसी के अनुसार, जलवायु परिवर्तन, हिंसक टकराव, निर्धनता, भूख, जल क़िल्लत समेत अन्य आपस में गुँथे हुए संकटों पर पार पाने के लिए महिलाओं की विशेषज्ञता की आवश्यकता होगी.
मगर, उन्होंने आगाह भी किया कि डिजिटल सूचना प्रौद्योगिकी, भौतिकी, गणित, इंजीनियरिंग और कम्पयूटिंग में महिलाएँ अब भी अल्पसंख्यक हैं.
ग़ौरतलब है कि वैश्विक सूचना व संचार टैक्नॉलॉजी कार्यबल में महिलाओं का हिस्सा 35 प्रतिशत से भी कम है.
महिला सशक्तिकरण के लिए प्रयासरत यूएन संस्था – यूएन वीमैन की कार्यकारी निदेशक सीमा बहाउस ने भी सोमवार को आयोग के उदघाटन समारोह को सम्बोधित किया.
उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रान्ति में, महिलाओं व लड़कियों के जीवन में अभूतपूर्व बेहतरी लाने की सम्भावनाएँ हैं, एक ऐसे समय में जब टिकाऊ विकास की दिशा में प्रगति पर जोखिम मंडरा रहा है.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि बदलाव की रफ़्तार को देखते हुए, एक वैश्विक फ़्रेमवर्क की आवश्यकता है, ताकि लैंगिक समानता की प्राप्ति के लिए टैक्नॉलॉजी को लामबन्द किया जा सके.
उन्होंने भरोसा व्यक्त किया कि CSW बैठक में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि डिजिटल अधिकार, महिलाओं के अधिकार हैं.
महिलाओं की स्थिति पर आयोग की बैठक, 1946 से हर वर्ष आयोजित हुई है, मगर कोविड-19 महामारी के कारण, 2019 के बाद यह पहली बार व्यक्तिगत रूप से आयोजित की गई है.
सत्र के एक विशेष खंड में एक कार्यक्रम में युवजन प्राथमिकता वाले मुद्दों पर चर्चा करेंगे, जोकि आयोग के इतिहास में पहली बार होगा.
CSW प्रमुख माथु जोयिनि ने अपने सम्बोधन में, आयोग के नवीनतम सत्र के उद्देश्यों को ख़ाका प्रस्तुत करते हुए कहा कि पर्याप्त रक्षा उपायों, मानदंडों और मानकों को सुनिश्चित करने में सरकारों व निजी सैक्टर की ज़िम्मेदारियों पर विचार-विमर्श किया जाएगा.
साथ ही, इस बात भी ध्यान होगा कि डिजिटल टैक्नॉलॉजी का इस्तेमाल करते समय, महिलाओं व लड़कियों के बुनियादी अधिकारों का हनन ना होगा.
इसके समानान्तर, नवाचार में महिलाओं के लिए अतिरिक्त अवसर, वित्तीय सहायता और निवेश सृजित करने पर भी चर्चा होगी, और उन ऐल्गोरिथम को ख़त्म किए जाने के रास्तों की तलाश होगी, जिनसे भेदभाव व पूर्वाग्रह गहरे होते हैं.
CSW का सत्र शुक्रवार, 17 मार्च को समाप्त होगा और इस अवधि में अनेक अन्य कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे.