पेरिस फ़ोरम में यूएन महासचिव - लैंगिक समानता को वास्तविकता में बदलने का आहवान
महिला सशक्तिकरण के लिये संयुक्त राष्ट्र संस्था – यूएन वीमैन ने कोविड-19 महामारी से पुनर्बहाली के केन्द्र में लैंगिक समानता को रखे जाने के प्रयासों के तहत, पेरिस में तीन-दिवसीय Generation Equality Forum नामक एक कार्यक्रम की शुरुआत की है. यूएन महासचिव ने इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए लैंगिक समानता के लिये स्थापित लक्ष्यों को हासिल किये जाने की पुकार लगाई है.
इस आयोजन का लक्ष्य, महिला अधिकारों के मुद्दे पर मौजूदा हालात और 2030 एजेण्डा के अन्तर्गत स्थापित लक्ष्यों के बीच की खाई को पाटने के लिये महत्वाकाँक्षी निवेशों और नीतियों की पहचान करना है.
The fight still has to continue.What we are doing today is to take a step forward.We are extending the number of people who participate in gender equality.My remarks at the Opening Ceremony of the #GenerationEquality Forum in Paris, France:https://t.co/3hIiIVgROt pic.twitter.com/EcHX36fPFo
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यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने 'Generation Equality' फ़ोरम के दौरान, पाँच-वर्षीय कार्रवाई के सफ़र की शुरुआत की है, जो लैंगिक समानता के लिये यूएन की वैश्विक योजना पर आधारित है.
उन्होंने कहा, “लैंगिक समानता असल में ताक़त से जुड़ी बात है, और एक ऐसी दुनिया में ताक़त, जहाँ अब भी पुरुषों का दबदबा है और एक संस्कृति जो कि मोटे तौर पर पितृसत्तात्मक है.”
महासचिव ने स्पष्ट किया कि ताक़त को कभी दिया नहीं जाता है, बल्कि इसे हासिल करना होता है.
वास्तविक समानता के लिये अनिवार्य हालात को सृजित करना और ताक़त के पुनर्वितरण के लिये बराबरी को सुनिश्चित करना एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता है.
यूएन प्रमुख ने कहा कि समान अधिकारों को पाने के लिये, दुनिया भर में भेदभावपूर्ण क़ानूनों को हटाना होगा और वास्तविक समानता के लक्ष्य को साकार करना होगा.
महासचिव गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में महिलाओं को महामारी की एक बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ी है. आय, रोज़गार और सामाजिक संरक्षा में उन्हें विषमतापूर्ण हालात का सामना करना पड़ा है.
इसके अलावा, कोविड-19 के दौरान महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध हिंसा में भी बढ़ोत्तरी हुई है, और इन सब पर विराम लगाना, सभी नीतियों व उद्देश्यों के केन्द्र में रखा जाना होगा.
उन्होंने अन्तर-पीढ़ीगत सम्वाद की अहमियत को रेखांकित करते हुए कहा कि यह लैंगिक समानता को पाने का एक और बुनियादी औज़ार है.
इसके ज़रिये मौजूदा डिजिटल समाज में युवजन को निर्णय-निर्धारण प्रक्रिया में पक्षकार बनाया जा सकता है.
वास्तविक बदलाव की पुकार
यूएन वीमैन संस्था की कार्यकारी निदेशक पुमज़िले म्लाम्बो-न्गुका ने क्षोभ जताया कि दुनिया भर में महिलाएँ एक छोटे से कोने में पिस कर रह गई हैं.
उन्होंने कहा कि प्रबन्धकों, सांसदों, जलवायु परिवर्तन वार्ताकारों में एक चौथाई महिलाएँ हैं, जबकि शान्ति समझौतों के लिये बातचीत में शामिल महिलाओं की संख्या इससे भी कम है.
“एक चौथाई पर्याप्त नहीं है. एक चौथाई समानता नहीं है. समानता पचास फ़ीसदी है, जहाँ पुरुष व महिलाएँ, दोनों साथ में हों.”
यूएन महिला संस्था की शीर्षतम अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा कि ‘Generation Equality’ फ़ोरम, बदलाव के लिये है – मौजूदा वादों से आगे बढ़कर कार्रवाई पर केन्द्रित.
उन्होंने बताया कि सदस्य देशों, निजी सैक्टर और अन्य हितधारकों ने महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने के लिये एक हज़ार से अधिक संकल्पों को लिया है, जिनके तहत नीतियाँ बदले जाने के लिये भी प्रतिबद्धता ज़ाहिर की गई है.
बताया गया है कि ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों, क्षेत्रीय संगठनों, युवाओं और नागरिक समाज संगठनों ने 40 अरब डॉलर की धनराशि जुटाई है.
जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल ने इस क्रम में 14 करोड़ यूरो के निवेश का संकल्प लिया है.
बिल एण्ड मेलिण्डा गेट्स फ़ाउण्डेशन ने लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिये दो अरब डॉलर की घोषणा की है.
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवँ सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने अगले पाँच वर्षों में लैंगिक समानता के लिये ठोस प्रगति हासिल करने के उद्देश्य से संकल्प पेश किये हैं.
इसके तहत, 80 से अधिक देशों में लड़कियों की शिक्षा को समर्थन दिया जाएगा, डिजिटल जगत में व्याप्त लैंगिक खाई को पाटा जाएगा, कृत्रिम बुद्धिमता के नैतिक इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा और सृजनात्मक उद्योगों में महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण सुनिश्चित किया जाएगा.