वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

बाल मृत्यु की 'रोकथाम योग्य त्रासदी' की समाप्ति के लिये, स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में सुधार ज़रूरी

दक्षिण सीरिया के एक स्वास्थ्य केंद्र में, आठ महीने के बच्चे को पोलियो और ख़सरे के टीके लगाए जा रहे हैं.
© UNICEF/Johnny Shahan
दक्षिण सीरिया के एक स्वास्थ्य केंद्र में, आठ महीने के बच्चे को पोलियो और ख़सरे के टीके लगाए जा रहे हैं.

बाल मृत्यु की 'रोकथाम योग्य त्रासदी' की समाप्ति के लिये, स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में सुधार ज़रूरी

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में दो रिपोर्ट्स प्रकाशित की हैं जिनके अनुसार, वर्ष 2021 में, प्रत्येक 4.4 सेकंड में एक नवजात शिशु या कम उम्र के बच्चे​​ की मृत्यु हुई, और अगर सभी महिलाओं व बच्चों को पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध नहीं हुईं, तो 2030 तक लाखों अन्य शिशु अपनी जान गँवा सकते हैं.

संयुक्त राष्ट्र में बाल मृत्यु दर के अनुमान के लिये गठित अन्तर-एजेंसी समूह, UN IGME के नवीनतम अनुमानों के अनुसार, 2021 में, लगभग 50 लाख लड़के और लड़कियों की मृत्यु, उनके पाँचवें जन्मदिन से पहले हो गई, साथ ही पाँच से 24 वर्ष के बीच के लगभग 21 लाख बच्चे व किशोर भी मौत का शिकार हुए.

एक दूसरी रिपोर्ट में पाया गया कि इसी अवधि के दौरान 19 लाख बच्चे मृत पैदा हुए थे. इनमें से अनेक का जीवन, समान पहुँच व उच्च गुणवत्ता वाली मातृ, नवजात, किशोर एवं बाल स्वास्थ्य देखभाल के ज़रिये बचाया जा सकता था.

प्रगति सम्भव है

UN IGME की स्थापना, 2004 में बाल मृत्यु दर पर आँकड़े साझा करने के साथ-साथ, बाल उत्तरजीविता लक्ष्यों की दिशा में वैश्विक प्रगति का आकलन करने के लिये की गई थी.

इस समूह का नेतृत्व, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) करता है और इसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), विश्व बैंक समूह व संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (UN DESA) का जनसंख्या प्रभाग भी शामिल है.

यूनीसेफ़ के डेटा वैश्लेषिकी, योजना एवं निगरानी प्रभाग की निदेशिका, विद्या गणेश का कहना है, "हर एक दिन, बहुत से माता-पिताओं को अपने बच्चों को खोने की पीड़ा सहन करनी पड़ रही है, कभी-कभी तो उनके पैदा होने से पहले ही उनकी मौत हो जाने की भी."

"इस तरह की व्यापक, रोकथाम योग्य त्रासदी को कभी भी अपरिहार्य मानकर स्वीकार नहीं किया जाना चाहिये. मज़बूत राजनैतिक इच्छाशक्ति और हर महिला व बच्चे के लिये प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा तक समान पहुँच में निवेश करने से इस दिशा में प्रगति सम्भव है.”

जीवन या मृत्यु

समूह ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच एवं उपलब्धता, बच्चों के लिये जीवन और मृत्यु के बीच का अन्तर बन सकती है.

अधिकतर बच्चों की मृत्यु, पाँच वर्ष की आयु से पहले होती है, और आधे बच्चों की मृत्यु, जीवन के पहले महीने के भीतर ही. इन बच्चों के लिये, समय से पहले जन्म और प्रसव के दौरान जटिलताएँ, मृत्यु के प्रमुख कारण हैं.

इसी तरह, प्रसव के दौरान 40 प्रतिशत से अधिक बच्चे जन्म लेते हैं, हालाँकि अगर महिलाओं को गर्भावस्था व प्रसव के दौरान गुणवत्तापूर्ण देखभाल सुविधा उपलब्ध हो, तो इनमें से अधिकांश को रोका जा सकता है.

जन्म के पहले 28 दिनों तक जीवित रहने वाले बच्चों के लिये, निमोनिया, डायरिया और मलेरिया जैसी संक्रामक बीमारियाँ सबसे बड़ा ख़तरा हैं.

प्रगति और कमियाँ

रिपोर्ट से यह भी स्पष्ट होता हैं कि प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणालियों को मज़बूत करने में किए गए अधिक निवेश से, महिलाओं, शिशुओं और बड़े बच्चों को कितना लाभ हुआ है.

वर्ष 2000 के बाद से, पाँच वर्ष से कम आयु की वैश्विक मृत्यु दर आधी हो गई है, जबकि बड़े बच्चों और छोटे बच्चों की मृत्यु दर में 36 प्रतिशत की गिरावट व मृत जन्म दर में 35 प्रतिशत की कमी आई है.

हालाँकि, 2010 के बाद से इसमें हुई प्रगति घट रही है, जिससे लगता है कि 54 देशों में, पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर पर केन्द्रित, टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने में कमी आएगी.

इस रिपोर्ट में, 2030 तक नवजात शिशुओं और पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की रोकथाम योग्य मौतों की रोकथाम का आहवान किया गया है, जिसमें सभी देशों का लक्ष्य, नवजात मृत्यु दर को प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 12, और पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर को प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 25 तक नीचे लाना है.

लाखों अन्य को जोखिम

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिये तेज़ी से क़दम नहीं उठाए गए, तो लगभग 5 करोड़ 90 लाख बच्चे और युवा, दशक ख़त्म होने से पहले मौत के मुँह में चले जाएंगे, और लगभग एक करोड़ 60 लाख मृत जन्म होने की सम्भावना होगी.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) में मातृ, नवजात, शिशु और किशोर स्वास्थ्य व बढ़ती उम्र सम्बन्धी मामलों के निदेशक, डॉक्टर अंशु बैनर्जी ने कहा, "यह घोर अन्याय है कि एक बच्चे के जीवित रहने की सम्भावना सिर्फ़ उसके जन्म स्थान से निर्धारित की जा सकती हो, और यह भी कि जीवन रक्षक स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुँच में इतनी बड़ी असमानताएँ हैं."

आज भी, उप-सहारा अफ़्रीका और दक्षिणी एशिया इसका सबसे भारी बोझ वहन कर रहे हैं, जहाँ बच्चों को आज भी "जीवित रहने की अलग-अलग सम्भावनाओं" का सामना करना पड़ता है, जो उनके पैदा होने के स्थान पर निर्भर करता है.

Sao Tomé e Principe में एक माँ अपनी 18 महीने की बेटी को गोद में लिये हुए.
© UNICEF/Vincent Tremeau
Sao Tomé e Principe में एक माँ अपनी 18 महीने की बेटी को गोद में लिये हुए.

एक सार्थक निवेश

हालाँकि वैशिक स्तर पर, उप-सहारा अफ़्रीका, केवल 29 प्रतिशत जीवित जन्मों के लिये ज़िम्मेदार था, लेकिन 2021 में इस क्षेत्र का, पाँच वर्ष से कम उम्र की सभी मौतों में 56 प्रतिशत, व दक्षिणी एशिया का 26 प्रतिशत योगदान था.

वैश्विक स्तर पर, उप-सहारा अफ़्रीका में पैदा हुए बच्चों को बचपन में ही मृत्यु का शिकार होने का सबसे अधिक जोखिम है – यानि योरोप और उत्तरी अमेरिका की तुलना में 15 गुना अधिक.

इस बीच, उप-सहारा अफ़्रीका और दक्षिणी एशिया में माताओं को मृत जन्म की असाधारण दर के कारण, मृत जन्म के दर्दनाक अनुभव से गुज़रना पड़ता है.  

2021 में, सभी मृत जन्मों में से 77 प्रतिशत इन क्षेत्रों में हुए, और सभी मृत जन्मों में से लगभग आधे, उप-सहारा अफ़्रीका में हुए. योरोप और उत्तरी अमेरिका तुलना में, इन देशों में एक महिला के मृत बच्चे को जन्म देने की सम्भावना सात गुना अधिक है.

विश्व बैंक में स्वास्थ्य, पोषण और जनसंख्या के वैश्विक निदेशक एवं ग्लोबल फाइनेंसिंग फ़ैसिलिटी के निदेशक, जुआन पाब्लो उरीबे ने कहा, "इन संख्याओं के पीछे वो लाखों बच्चे और परिवार हैं, जिन्हें स्वास्थ्य के अपने मूल अधिकारों से वंचित रखा गया है."

उन्होंने कहा, "प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के लिये निरन्तर वित्त पोषण हेतु, हमें राजनैतिक इच्छाशक्ति व नेतृत्व की आवश्यकता है, जो देशों और विकास भागीदारों के लिये सबसे अच्छे निवेशों में से एक हो सकता है."

कोविड-19 का भविष्य पर प्रभाव

रिपोर्ट के अनुसार, हालाँकि कोविड-19 महामारी ने सीधे तौर पर बाल मृत्यु दर में वृद्धि नहीं की है, लेकिन शायद यह भविष्य में उनके लम्बे समय तक जीवित रहने की दर को जोखिम में डाल सकता है.

रिपोर्ट्स के अनुसार, टीकाकरण अभियानों, पोषण सेवाओं और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच में रुकावटें, आने वाले कई वर्षों तक बाल स्वास्थ्य एवं तन्दुरुस्ती को ख़तरे में डाल सकती है.

इसके अलावा, टीकाकरण में सबसे बड़ी गिरावट के लिये भी महामारी ज़िम्मेदार है, जिससे सबसे कमज़ोर वर्ग के नवजात शिशुओं व बच्चों की मौत, रोकथाम योग्य बीमारियों से हो जाने का ख़तरा अधिक हो गया है.

असमानताएँ पाटकर, मौतों की रोकथाम

ये दो रिपोर्ट, महत्वपूर्ण डेटा सेटों की श्रृंखला में से पहली हैं. संयुक्त राष्ट्र मातृ मृत्यु दर के आँकड़े, वर्ष 2023 में ही बाद में प्रकाशित किए जाएंगे.

यूएन डीईएसए जनसंख्या प्रभाग के निदेशक जॉन विल्मोथ ने कहा कि भले ही इसमें वर्ष 2000 के बाद से, पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर को कम करने में उल्लेखनीय वैश्विक प्रगति को उजागर किया गया है, लेकिन अब भी अत्यधिक काम करने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा, "ख़ासतौर पर बच्चे के जन्म के समय, केवल गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में सुधार करके ही, हम इन असमानताओं को कम करने और दुनिया भर में नवजात शिशुओं व बच्चों की मौतों की रोकथाम करने में सक्षम होंगे."