कोविड-19: बच्चों की ज़िंदगियाँ दाँव पर, स्वास्थ्य क्षेत्र में दशकों की प्रगति पर ख़तरा

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की मौतों गिरावट लाने में दशकों की प्रगति पर कोविड-19 महामारी का ख़तरा मंडरा रहा है. संयुक्त राष्ट्र ने सभी देशों से इस वैश्विक संकट के दौरान बच्चों और महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ सुनिश्चित करने की अपील की है.
वर्ष 2019 में पाँच साल से कम उम्र में बच्चों की मौतों की संख्या में रिकॉर्ड कमी आई थी - 1990 में 1 करोड़ 25 लाख से यह संख्या घटकर 52 लाख रह गई थी.
“The global community has come too far towards eliminating preventable child deaths to allow the #COVID19 pandemic to stop us in our tracks,” says @unicefchief.https://t.co/b2bIqlyhCY
UNICEF
लेकिन बुधवार को जारी नये अनुमान में आशंका जताई गई है कि महामारी के कारण नवजात शिशु और मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं में आए व्यवधानों की वजह से इस संख्या में बढ़ोत्तरी हो सकती है.
कोरोनावायरस संकट के दौरान स्वास्थ्य जाँच, टीकाकरण और प्रसव-पूर्व व प्रसवोत्तर देखभाल के लिये स्वास्थ्य सेवाएँ बाधित हुई हैं.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के अनुसार इसका मुख्य कारण संसाधनों की कमी होना और कोविड-19 संक्रमण की आशंका की वजह से स्वास्थ्य सेवाओं का उपयोग करने में हिचक है.
Levels and Trends in Child Mortality: Report 2020 नामक यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, विश्व स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवँ सामाजिक मामलों के विभाग और विश्व बैंक समूह द्वारा जारी की गई है.
यूएन एजेंसियों के मुताबिक पिछले 30 वर्षों में बच्चों की मृत्यु के कारणों की रोकथाम व इलाज के लिए स्वास्थ्य सेवाओं ने लाखों जीवन बचाने में बड़ी भूमिका निभाई है.
उदाहरणस्वरूप, जन्म के समय कम वज़न होना, प्रसव के दौरान जटिलताएँ होना, नवजात सेप्सिस, न्यूमोनिया, हैज़ा और मलेरिया, साथ ही टीकाकरण जैसी बीमारियों से निपटने में उल्लेखनीय प्रगति हुई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने स्वास्थ्य क्षेत्र में हासिल की गई उपलब्धियों को ध्यान दिलाते हुए भविष्य की चुनौतियों को रेखांकित किया है.
उन्होंने कहा, "ये तथ्य कि पहले की तुलना में अब अधिक बच्चे अपना पहला जन्मदिन देख पाते हैं, इस बात का सही प्रमाण है कि दुनिया भर में स्वास्थ्य कार्रवाई में जब स्वास्थ्य और कल्याण को केंद्र में रखा जाए तो बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है."
“अब हमें अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के लिये कोविड महामारी की वजह से इस उल्लेखनीय प्रगति को बेकार नहीं होने देना चाहिए. इसके बजाय, यही समय है कि हम जीवन बचाने का अब तक के अनुभव का इस्तेमाल करें और मज़बूत व लचीली स्वास्थ्य प्रणालियों में निवेश करते रहें.”
यूनीसेफ़ ने 77 देशों और यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने 105 देशों में कराये गये अपने सर्वेक्षण में पाया कि बड़ी संख्या में देशों ने नवजात बच्चों और शिशुओं की मौतों को रोकने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान आने की पुष्टि की.
यूनीसेफ़ के सर्वेक्षण में पाया गया कि लगभग 68 प्रतिशत देशों में बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण और टीकाकरण सेवाओं में बाधा आई; 63 प्रतिशत में प्रसव-पूर्व जाँच बाधित हुई; और 59 प्रतिशत देशों में प्रसवोत्तर देखभाल में व्यवधान का सामना करना पड़ा.
वहीं, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुताबिक 52 प्रतिशत देशों में बीमार बच्चों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान आया और स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण कुपोषण की प्रबंधन सेवाएँ 51 प्रतिशत देशों में बाधित हुईं.
प्रमुख चुनौतियों में संक्रमण के डर के कारण अभिभावकों का स्वास्थ्य केन्द्र जाने से परहेज़, परिवहन सेवाओं पर पाबंदी, सुविधाओं का निलंबन, स्वास्थ्यकर्मियों की कमी या व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों की कमी और वित्तीय कठिनाइयों की आशंका बताई गई हैं.
अफ़गानिस्तान, बोलीविया, कैमरून, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, लीबिया, मेडागास्कर, पाकिस्तान, सूडान और यमन सबसे अधिक प्रभावित देशों में शामिल हैं.
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हेनेरीएटा फ़ोर ने बाधित स्वास्थ्य प्रणालियों और सेवाओं को फिर से शुरू करने के लिए तत्काल निवेश का आहवान किया है.
उन्होंने कहा, "वैश्विक समुदाय ने नवजात शिशुओं की मौतों की रोकथाम करने में बहुत सफलता हासिल की है. अब कोविड-19 महामारी को इसकी रफ़्तार रोकने की अनुमति नहीं दी जा सकती."
"जहाँ बच्चों को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच से वंचित कर दिया जाये, क्योंकि व्यवस्था पर दबाव है या फिर जब महिलाएँ संक्रमण के डर से अस्पताल में जन्म देने से डरें, तो वो भी कोविड-19 के असर के शिकार माने जाएँगे."
इन सर्वेक्षणों में माताओं और शिशुओं के लिए प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर देखभाल सेवाओं को बहाल करने और सुधारने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है.
इस कार्रवाई के तहत जन्म के समय देखभाल के लिये कुशल स्वास्थ्य कर्मियों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है. साथ ही अभिभावकों को आश्वस्त करने और उनके डर को कम करने को भी बेहद अहम माना गया है.
विश्व बैंक में स्वास्थ्य, पोषण और जनसंख्या के वैश्विक निदेशक मोहम्मद अली पाटे ने उन महत्वपूर्ण, जीवनरक्षक सेवाओं को बचाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है जिन्हें बाल मृत्यु दर कम करने के लिए महत्वपूर्ण माना गया है.
“कोविड-19 महामारी ने शिशुओं की मौत को रोकने के लिए वर्षों की वैश्विक प्रगति को गम्भीर ख़तरे में डाल दिया है… यह जीवनरक्षक सेवाओं की रक्षा के लिए आवश्यक है जो बाल मृत्यु दर को कम करने के लिए महत्वपूर्ण हैं.”
“हम सरकारों और भागीदारों के साथ काम करना जारी रखेंगे ताकि माताओं और बच्चों को उनकी ज़रूरत की सेवाएँ मिल सकें.”
संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवँ सामाजिक मामलों के जनसंख्या प्रभाग के निदेशक जॉन विल्मोथ ने भी स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली और समाजों के भीतर मौजूद असमानताओं को दूर करने की अहमियत पर बल दिया है.