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मिस्र के शर्म अल-शेख़ में कॉप27 सम्मेलन के दौरान, जलवायु कार्यकर्ता जीवाश्म ईंधन में निवेश के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं.

कॉप27: जीवाश्म ईंधन से दूर हटकर, समुदाय-समर्थित नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश का आहवान

© UN News/Laura Quinones
मिस्र के शर्म अल-शेख़ में कॉप27 सम्मेलन के दौरान, जलवायु कार्यकर्ता जीवाश्म ईंधन में निवेश के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं.

कॉप27: जीवाश्म ईंधन से दूर हटकर, समुदाय-समर्थित नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश का आहवान

जलवायु और पर्यावरण

मिस्र के शर्म अल-शेख़ में जारी यूएन जलवायु सम्मेलन, कॉप27, के दौरान बुधवार को किसी एक ख़ास विषय पर आधारित कार्यक्रम दिवस आरम्भ हुए और सबसे पहले जलवायु वित्त पोषण की थीम पर चर्चा हुई. जलवायु कार्यकर्ताओं ने शुरुआत में ही स्पष्ट कर दिया था कि हर वर्ष जीवाश्म ईंधन में निवेश किये जाने वाले सैकड़ों अरबों डॉलर का उपयोग, अब सामुदायिक नेतृत्व में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को सहायता प्रदान करने के लिये किया जाना होगा.

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सभी आयु-वर्ग और पृष्ठभूमि से आने वाले लगभग 50 कार्यकर्ता ‘ब्लू ज़ोन’ में जुटे, जोकि शर्म अल-शेख़ में सम्मेलन स्थल का मुख्य हिस्सा है, और जिसकी देखरेख का दायित्व संयुक्त राष्ट्र का है.

ये सभी कार्यकर्ता अपना विरोध प्रकट करते हुए “जीवाश्म ईंधन में निवेश बन्द करने और मौत में निवेश रोके जाने” के लिये नारे लगा रहे थे.   

Oil Change International नामक एक ग़ैर-सरकारी संगठन का प्रतिनिधित्व कर रहीं सूज़न हुआंग ने क्षोभ प्रकट किया कि सम्पन्न देश अब भी, जीवाश्म ईंधन में धनराशि का निवेश कर रहे हैं, और यह ऐसे समय में हो रहा है जब विश्व को तत्काल नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में बढ़ने की आवश्यकता है.

“पिछले वर्ष जी7 शिखर बैठक के दौरान, इस वर्ष के अन्त तक जीवाश्म ईंधन के लिये सार्वजनिक वित्त पोषण को बन्द किये जाने पर सहमति बनी थी.”

“मगर, अन्तरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने बताया है कि नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में धीमी गति से बढ़ना ही वास्तविकता में जलवायु संकट और ऊर्जा संकट को गहरा कर रहा है.”

उन्होंने यूएन न्यूज़ के साथ बातचीत में विश्व नेताओं से अब तक लिये गए संकल्पों को पूरा करने और जीवाश्म ईंधन में सार्वजनिक वित्त पोषण को रोकने का आग्रह किया.

जलवायु कार्यकर्ताओं ने ध्यान दिलाया कि इन निवेशों से अविश्वसनीय क्षति पहुँचती है, जैवविविधता बर्बाद होती है और दुनिया भर में आजीविकाएं भी तबाह हो जाती हैं.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि विश्व भर में ऊर्जा सुलभता बढ़ाने और सर्वाधिक निर्बलों की ज़रूरतों को पूरा करने का सर्वोत्तम उपाय, समुदायों द्वारा समर्थित नवीकरणीय ऊर्जा योजनाओं में निवेश करना है.

प्रदूषकों की जवाबदेही के लिये उपाय

इस बीच, नज़दीक में ही हो रहे एक अन्य आयोजन में, यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने आगाह किया कि सरकारों और वित्तीय सैक्टर द्वारा अब भी जीवाश्म ईंधन में निवेश किया जा रहा है.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने यह बात ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का स्वतंत्र रूप से लेखाजोखा रखने वाली एक व्यवस्था को पेश किये जाने पर कही, जिसे जलवायु TRACE गठबंधन ने अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति ऐल गोर के नेतृत्व में तैयार किया है.

इस औज़ार के ज़रिये सैटेलाइट से प्राप्त डेटा और कृत्रिम बुद्धिमता के सम्मिश्रण से विश्व भर में 70 हज़ार से अधिक स्थलों पर उत्सर्जनों को दर्शाया जाएगा.

इन स्थलों में चीन, अमेरिका और भारत में स्थित कम्पनियाँ भी हैं, जिससे नेताओं के पास उत्सर्जन कर रहे स्थलों के बारे में जानकारी जुटा पाना सम्भव होगा.

महासचिव गुटेरेश ने बताया कि इस पहल के तहत जिन आँकड़ों को जारी किया गया है, वे बताते हैं कि मीथेन लीक और तेल व गैस उत्पादन से जुड़ी अन्य गतिविधियों में उत्सर्जन की वास्तविक मात्रा को कम करके आंका जा रहा है, जबकि वो अब तक अनुमानित आंकड़े से कईं गुना अधिक हैं.

ऐल गोर ने बताया कि जलवायु TRACE पहल के लिये 100 से अधिक संस्थानों और 30 हज़ार से अधिक सेंसर के ज़रिये विश्वसनीय व सत्यापित आँकड़ों को जुटाया जाएगा, जिससे सरकारों को कार्रवाई में मदद मिलेगी, और उत्सर्जकों के लिये बेईमानी करना, बहुत मुश्किल हो जाएगा

अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति ऐल गोर लम्बे समय से जलवायु कार्रवाई के मुद्दे पर सक्रिय हैं.
UNIC Tokyo/Momoko Sato
अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति ऐल गोर लम्बे समय से जलवायु कार्रवाई के मुद्दे पर सक्रिय हैं.

आपदाओं की बड़ी क़ीमत

ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर जानकारी प्रदान करने वाले इस उपाय को पेश करते हुए, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ऐल गोर ने विश्व भर में जलवायु तबाही की घटनाओं के बारे में भी सचेत किया.

ऐल गोर को जलवायु कार्रवाई के लिये शुरुआती पैरोकारों के रूप में देखा जाता है. उन्होंने कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों के लिये विशाल स्क्रीन पर परमाणु बम विस्फोट का एक वीडियो चलाया.

इसका उद्देश्य जिज्ञासु प्रतिभागियों को यह बताना था कि वातावरण में एकत्र हो रहा ग्रीनहाउस गैस प्रदूषण, उतना ही अतिरिक्त ताप समेटता है, जितना छह लाख परमाणु बम हर दिन विस्फोट होने पर करते.  

ऐल गोर ने ने कहा कि दो महीने पहले सितम्बर में यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने हमें योरोप में ताप लहर, पाकिस्तान में बाढ़ और अन्य इलाक़ों में गम्भीर सूखे की घटनाओं के बारे में बताया था.

और उन्होंने इसे मानवता के जीवाश्म ईंधन के प्रति लत से जोड़ा था, जोकि सही है.

पूर्व अमेरिकी उपराष्ट्रपति और पर्यावरण पैरोकार ने कहा कि इन आपदाओं से वैश्विक अर्थव्यस्था को हर साल ढाई हज़ार अरब डॉलर का नुक़सान पहुँच रहा है.

लेकिन, उन्होंने कहा कि दुनिया अब एक ऐसे पड़ाव पर है, जहाँ हालात को बदलने और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश को बढ़ावा देने के लिये समाधान मौजूद हैं.  

जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिये वित्तीय संसाधन व निवेश की आवश्यकता है.
© Unsplash/Micheile
जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिये वित्तीय संसाधन व निवेश की आवश्यकता है.

अन्य संकल्प व पहल

वित्त पोषण पर केंद्रित दिवस पर जलवायु संकट से निपटने के लिये आवश्यक त्वरित बदलावों के लिये हज़ारों अरब डॉलर के निवेश की अहमियत को रेखांकित किया गया है.

सम्मेलन स्थल पर विभिन्न कक्षों, पैवेलियन, बन्द दरवाज़ों में हुई बैठकों में प्रतिनिधियों, निवेशकों और अन्य हितधारकों ने मौजूदा वित्त पोषण की खाई को पाटने पर बल दिया, विशेष रूप से कार्बन उत्सर्जन में कटौती, अनुकूलन और हानि व क्षति के मुद्दे पर

बुधवार को, न्यूज़ीलैंड दो करोड़ डॉलर के संकल्प के साथ उन देशों की सूची में शामिल हो गया, जिन्होंने हानि व क्षति के मुद्दे पर विकसशील देशों के लिये वित्त पोषण प्रदान करने का वायदा कियाहै.

स्कॉटलैंड, नॉर्वे, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम पहले ही निम्न कार्बन उत्सर्जन के बावजूद बड़े जलवायु जोखिमों का सामना करने वाले देशों की सहायता के लिये घोषणा कर चुके हैं.

इस बीच, ब्रिटेन ने जलवायु आपदाओं से जूझ रहे देशों के लिये कर्ज़ भुगतान अवधि को बढ़ाने की अनुमति देने की बात कही है.  

टिकाऊ बीमा पर नैरोबी घोषणापत्र के तहत अफ़्रीका जलवायु जोखिम केंद्र, नामक एक पहल को भी शुरू किया गया है, जिसके हस्ताक्षकर्ताओं ने वर्ष 2030 तक जलवायु जोखिमों के लिये 14 अरब डॉलर की कवरेज देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है.