
तुर्कीये: यूक्रेन अनाज निर्यात समझौता, हाल के दशकों में यूएन की विशालतम उपलब्धियों में
तुर्कीये के राष्ट्रपति रेशेप तैयप अरदोआन ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र में, उच्चस्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए कहा कि युद्धग्रस्त यूक्रेन से अनाज निर्यात के लिये हुआ महत्वपूर्ण समझौता, हाल के दशकों में संयुक्त राष्ट्र की विशालतम उपलब्धियों में से है.
तुर्कीये के नेता ने अपने सम्बोधन में कोविड-19 महामारी के दौरान अन्य देशों के लिये मानवीय सहायता से लेकर यूक्रेन में कूटनैतिक प्रयासों तक, अनेक विषयों का उल्लेख किया.
साथ ही, उन्होंने युद्ध के दंश से उपजने वाली अन्य समस्याओं समेत वैश्विक चुनौतियों के निपटारे के लिये सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित किया.
कोविड-19 महामारी के कारण आपूर्ति श्रृंखला में अनेक मुश्किलों का सामना करना पड़ा है, जिसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर हुआ है.
यूक्रेन पर रूसी आक्रमण ने इन कठिनाइयों को बढ़ाया है, जिससे खाद्य व ईंधन क़ीमतों में उछाल दर्ज किया गया है, और भरपेट भोजन ना मिलने व निर्धनता जैसी समस्याओं का अन्त करने के प्रयासों को झटका लगा है.
एकुजटता की अपील
राष्ट्रपति अरदोआन ने अन्तरराष्ट्रीय सहयोग व एकजुटता की पुकार लगाई है. “हमारे साझा भाग्य की शिनाख़्त करने वाली चुनौतियों के विरुद्ध, हमें एक साथ मिलकर चलने की आवश्यकता है.”
उन्होंने ध्यान दिलाया कि यूक्रेन में युद्ध अपने सातवें महीने में प्रवेश कर चुका है. “हमारा सोचना है कि युद्ध की कभी जीत नहीं होगी, और एक निष्पक्ष शान्ति प्रक्रिया से किसी की हार नहीं होगी.”
अहम समझौता
तुर्कीये के राष्ट्रपति ने कहा कि काला सागर के ज़रिये, यूक्रेन से अनाज का निर्यात करने की पहल, यूएन महासचिव के साथ मिलकर आगे बढ़ाए गए कूटनैतिक प्रयासों का परिणाम है.
‘काला सागर अनाज पहल’ नामक इस समझौते पर तुर्कीये के इस्ताम्बूल शहर में हस्ताक्षर किये गए थे. “यह एक अति-महत्वपूर्ण समझौता है, जिसे संयुक्त राष्ट्र के साझा सहयोग से आकार दिया गया, और यह हाल के दशकों में संयुक्त राष्ट्र की विशालतम उपलब्धियों में है.”
राष्ट्रपति अरदोआन ने कहा कि इस्ताम्बूल सन्धि के माध्यम से अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का संयुक्त राष्ट्र में भरोसा पुनर्जीवित हुआ है, चूँकि इसने साबित किया है कि वार्ताओं के अच्छे नतीजे निकल सकते हैं. विशेष रूप से उन मुद्दों पर, जोकि सभी पक्षों के लिये अहम हों.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ज़ैपरोझिझिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र से वैश्विक सुरक्षा को ख़तरा है, जिससे निपटने के लिये इन्हीं तौर-तरीक़ों का इस्तेमाल करना होगा.
तुर्कीये के नेता ने क़रीब आधे घण्टे तक महासभा में अपनी बात रखी, जिसमें उन्होंने अपनी विदेश नीति के अन्य आयामों का उल्लेख किया, जिसकी थीम, शान्ति के लिये मध्यस्थता है.
समर्थन की अपील
राष्ट्रपति अरदोआन ने कहा कि यूक्रेन में हिंसक संघर्ष गहन रूप धारण कर चुका है. इसके मद्देनज़र तुर्कीये ने अपने शान्ति प्रयास तेज़ किये हैं, जिसके लिये अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन अहम होगा.
“हमें इस संकट से बाहर निकलने के लिये एक गरिमामय रास्ता चाहिये. और यह एक ऐसे कूटनैतिक समाधान के ज़रिये ही सम्भव है, जोकि तर्कसंगत, निष्पक्ष और अमल किये जाने योग्य हो.”
उन्होंने सीरिया में हिंसक संघर्ष के शान्तिपूर्ण व स्थाई निपटारे की आवश्यकता को रेखांकित किया, और सचेत किया कि लड़ाई जारी रहने से देश और क्षेत्र, दोनों के लिये ख़तरा है.
राष्ट्रपति अरदोआन ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि भारत व पाकिस्तान की स्वाधीनता के 75 वर्ष बाद भी, दोनों देशों के बीच मज़बूत शान्ति व सहयोग स्थापित नहीं हो पाया है.
उन्होंने कश्मीर में एक न्यायसंगत व टिकाऊ शान्ति क़ायम होने की आशा व्यक्त की.
राष्ट्रपति अरदोआन ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान पिछले अनेक दशकों से हिंसक संघर्ष, आतंकवाद और विपदाओं से जूझने के बाद, अब फिर से एक चुनौतीपूर्ण समय से गुज़र रहा है.
उन्होंने कहा कि अन्तरिम सरकार, देश में बुनियादी मानवाधिकारों की रक्षा के लिये क़दम उठाए जाने से, प्रगति के द्वार खोल सकती है.
उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में, इस कठिन दौर में आम लोगों का समर्थन करने का भरोसा दिलाया है.