विश्व के समक्ष विशाल व जटिल चुनौतियाँ: एकुजटता, सततता व विज्ञान से सम्भव हैं समाधान
संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने मंगलवार को पारम्परिक अन्दाज़ में ऐतिहासिक हथौड़े की चोट के साथ ही, यूएन महासभा के 77वें सत्र में जनरल डिबेट की शुरुआत की. उन्होंने प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि दुनिया अतीत के चार दशकों में सबसे अहम पड़ाव पर है, और मौजूदा वैश्विक चुनौतियों से एकजुटता, सततता और विज्ञान से प्राप्त समाधानों से निपटा जाना होगा.
“समाधान, चूँकि हमने अनेक सन्धियों का मसौदा तैयार किया है, उत्कृष्ट लक्ष्य स्थापित किये हैं, मगर बहुत सीमित क़दम ही उठाए गए हैं.”
“हमें एकजुटता की आवश्यकता है, चूँकि विषमताएँ रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई हैं...सततता, चूँकि बच्चों के लिये यह हमारा दायित्व है कि हम उनके लिये रहने योग्य एक दुनिया छोड़ कर जाएँ...[और] विज्ञान, चूँकि यह हमारी कार्रवाई के लिये तटस्थ तथ्य प्रस्तुत करता है.”
“We gather today at the most consequential moment of the last four decades.We live, it seems, in a permanent state of humanitarian emergency.The world needs solutions through solidarity, sustainability & science.”Full #UNGA remarks 🔗 https://t.co/E212OnH7ww pic.twitter.com/zb6SeJUqap
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महासभा अध्यक्ष ने सचेत किया कि जलवायु परिवर्तन के कारण ताप लहरें, बाढ़ और सूखे की घटनाएँ हो रही हैं, जबकि असंवहनीय खपत और उत्पादन ने पर्यावरण पर घाव छोड़े हैं.
“ऐसा प्रतीत होता है कि हम मानव कल्याण आपदा की स्थाई स्थिति में रह रहे हैं.”
उन्होंने आगाह किया कि 30 करोड़ लोगों को तत्काल सहायता व संरक्षण की दरकार है, और इस संख्या में इस वर्ष जनवरी से अब तक 10 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है.
जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 और हिंसक टकरावों के कारण वैश्विक भूख, चिन्ताजनक स्तर तक पहुँच गई है, जबकि मुद्रास्फीति 40 वर्ष में अपने उच्चतम स्तर पर है.
महासभा प्रमुख कोरोसी ने यूक्रेन में जारी युद्ध पर क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि यूक्रेन के विरुद्ध सैन्य आक्रामकता की निन्दा करने वाले प्रस्ताव के पारित होने के 203 दिन बाद भी रक्तपात जारी है.
उन्होंने काला सागर अनाज पहल पर हुई सहमति को सकारात्मक प्रगति क़रार दिया और कहा कि कूटनीति के ज़रिये उर्वरक व खाद्य सामग्री की आपूर्ति सम्भव हो पाई है, जबकि यूएन परमाणु निरीक्षकों की मदद से, योरोप के महत्वपूर्ण परमाणु संयंत्रों पर विनाश की आशंका से निपटने में मदद मिली है.
नाज़ुक पड़ाव
यूएन महासभा अध्यक्ष ने पाकिस्तान के साथ एकजुटता व्यक्त की जहाँ भीषण बाढ़ के कारण व्यापक पैमाने पर जान-माल की हानि हुई है और सैकड़ों गाँव बह गए हैं.
उन्होंने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि विनाश के ये हृदयविदारक दृश्य, हमारे सम्भावित भविष्य की एक बानगी है, मगर भरोसा भी जताया कि विज्ञान में सहयोग और जलवायु कूटनीति के ज़रिये जलवायु परिवर्तन से निपटा जा सकता है.
उन्होंने कहा कि जलवायु संकट से निपटने में राजनैतिक निर्णयों के नज़रिये से जलवायु परिवर्तन पर अन्तर-सरकारी पैनल की अहम भूमिका रही है.
कसाबा कोरोसी के अनुसार, आईपीसीसी की सफलता को जल, ऊर्जा, भोजन व जैवविविधिता के विषय में भी दोहराया जाना होगा.
“इस उच्चस्तरीय सप्ताह के पूरा होने के बाद, मेरी योजना, वैज्ञानिक समुदाय के साथ सिलसिलेवार चर्चाओं की शुरुआत करने की है, जहाँ मैं उन्हें माइक्रोस्कोप से माइक्रोफ़ोन तक ज्ञान लाने के लिये कहूँगा.”
77वें सत्र का एजेण्डा
यूएन महासभा प्रमुख ने कहा कि वर्ष 2023 में टिकाऊ विकास लक्ष्यों और 2024 में भविष्य पर केन्द्रित शिखर बैठक की तैयारी करने के इरादे से महासभा का 77वाँ सत्र अहम होगा.
“अगले वर्ष, हम यूएन जल सम्मेलन में एसडीजी 6 की समीक्षा करेंगे, जोकि 1977 के बाद से पहली बार होगा.”
महासभा अध्यक्ष कोरोसी ने ध्यान दिलाया कि जल और उसकी उपलब्धता, हिंसक संघर्ष के एक बड़े कारक के रूप में उभर सकता है और यह चुनौती तीन रूपों में है: बहुत अधिक जल, अपर्याप्त जल, असुरक्षित जल.
उन्होंने कहा कि ये चुनौतियाँ विशाल हैं और आपस में गुंथी हुई हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि उन पर पार नहीं पाई जा सकती.
मानवाधिकारों के लिये चुनौतियाँ
कसाबा कोरोसी ने अपने सम्बोधन में क़ानून के राज के प्रति सार्वभौमिक सम्मान की अहमियत को रेखांकित करते हुए सचेत किया कि मानवाधिकारों के लिये जब संकट उत्पन्न होता है, तो यह हमारे लिये कार्रवाई का संकेत होता है.
उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिये अधिकारों का वादा, एक ऐसा बुनियादी मुद्दा है, जिससे विश्व में अधिकांश देशों में पूरा किया जाना है.
महासभा प्रमुख ने क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि यह अस्वीकार्य है कि अपने जीवनकाल में हर तीसरी महिला को हिंसा का अनुभव करने के लिये मजबूर होना पड़ता है, और उन्हें निर्णय-निर्धारण व नेतृत्व से दूर रखा जाता है.
“सभी को शामिल किये जाने से ही हमारे लिये सामने मौजूद चुनौतियों के समाधान ढूंढ पाना सम्भव होगा.”
सुरक्षा परिषद में नई स्फूर्ति
77वें सत्र के लिये प्रमुख कसाबा कोरोसी ने सदस्य देशों के लिये अपने समर्थन का आश्वासन दिया और कहा कि इस भरोसे को महासभा हॉल से बाहर ले जाकर, समुदायों तक पहुँचाने की ज़रूरत है.
उन्होंने कहा कि विश्व की नज़रों में संगठन की प्रासंगिकता के सम्बन्ध में नई ऊर्जा फूँकी जानी होगी.
इस क्रम में, उन्होंने यूएन सुरक्षा परिषद में सुधार के लिये वार्ताओं के दौर को आगे बढ़ाने की अपनी मंशा ज़ाहिर की, ताकि 21वीं सदी की वास्तविकताओं को न्यायसंगत ढंग से प्रदर्शित किया जा सके.
“यह हमारे पूरे संगठन और हमारी बहुपक्षीय व्यवस्था के लिये विश्वसनीयता का विषय है. हमारा अवसर यहीं और अभी है. आइये, हम क़दम उठाएँ.”