म्याँमार: तख़्तापलट के बाद मानवता के ख़िलाफ अपराधों के बढ़ते सबूत

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को, सोमवार को जानकारी दी गई है कि म्याँमार में फरवरी 2021 के सैन्य तख़्तापलट के बाद से, मानवता के ख़िलाफ़ अपराध और युद्ध अपराध तेज़ी से बढ़े हैं.
म्याँमार (IIMM) के लिये स्वतंत्र जाँच तंत्र के प्रमुख, निकोलस कौमजियान ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए, जिनीवा स्थित परिषद को यह जानकारी दी.
देश में सबसे गम्भीर अन्तरराष्ट्रीय अपराधों के साक्ष्य एकत्र करने और संरक्षित करने के लिये परिषद ने इस तंत्र की स्थापना की थी.
#HRC51 | Nicholas Koumjian, head of the International Investigative Mechanism for #Myanmar, spoke at the 51st session of the Human Rights Council in Geneva.He explained why the world cannot look away from #WhatsHappeningInMyanmar some 18 months after the military takeover. pic.twitter.com/WcAAQ5Ff1u
UN_HRC
निकोलस कौमजियान ने रिपोर्ट की शुरूआत में कहा कि अगस्त 2017 में राख़ी प्रान्त में उस सैन्य सफ़ाई अभियान को पाँच साल हो गए हैं, जिसकी वजह से अधिकांश रोहिंज्या आबादी को पलायन के लिये मजबूर होना पड़ा था.
उन्होंने कहा, “पड़ोसी देशों में रह रहे इनमें से लगभग सभी विस्थापित, उस दिन का इन्तज़ार कर रहे हैं जब परिस्थितियाँ उन्हें सुरक्षित और सम्मानजनक स्वदेश वापसी की अनुमति देंगी."
"हिंसा भड़काने वालों के लिये दंडमुक्ति का अन्त होने पर ही ऐसी स्थितियाँ सम्भव हो सकेगीं.”
उन्होंने बताया कि तख़्तापलट के बाद से, हत्या, यातना, निर्वासन और जबरन स्थानान्तरण, उत्पीड़न, कारावास एवं नागरिकों को निशाना बनाने जैसे सबसे गम्भीर अन्तरराष्ट्रीय अपराधों के बढ़ते सबूत मिल रहे हैं.
उन्होंने कहा, "म्याँमार के लोग उन लोगों की जवाबदेही की कमी का ख़मियाज़ा भुगत रहे हैं, जो किसी भी क़ानून का पालन करना ज़रूरी नहीं समझते."
निकोलस कौमजियान ने कहा कि इस प्रणाली में, यौन और लिंग आधारित हिंसा एवं बच्चों के ख़िलाफ़ अपराधों के साक्ष्य एकत्र करने को प्राथमिकता दी गई है.
हालाँकि संघर्षों के दौरान, महिलाएँ और बच्चे विशेष जोखिम में होते हैं, लेकिन आमतौर पर उनके ख़िलाफ़ अपराध कम रिपोर्ट होते हैं और बहुत कम मामले अदालत तक पहुँचते हैं.
“हमें म्याँमार से बच्चों को प्रताड़ित करने व मनमाने ढंग से हिरासत में लिये जाने के कई मामलों की जानकारी मिली है, जिन्हें कभी-कभार उनके माता-पिता पर दबाव डालने के लिये भी इस्तेमाल किया जाता है. महिलाओं और पुरुषों, दोनों के ख़िलाफ़ यौन और लिंग आधारित अपराधों के भी बढ़ते सबूत मिल रहे हैं."
रिपोर्ट में, जुलाई में, चार लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं को फाँसी दिए जाने का भी ज़िक्र है. हालाँकि मृत्युदंड अपने आप में एक अन्तरराष्ट्रीय अपराध नहीं है, लेकिन निकोलस कौमजियान ने कहा कि "एक निष्पक्ष मुक़दमे की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा नहीं करने वाली कार्यवाही के आधार पर मौत की सज़ा देना मानवता के ख़िलाफ़ अपराध की श्रेणी में आ सकता है."
उन्होंने कहा कि इस बात के "मज़बूत संकेत" हैं कि फाँसी की सज़ा बिना किसी उचित प्रक्रिया के बिना अमल में लाई गई, जिसकी "कार्यवाही में पारदर्शिता की कमी थी और आरोपों एवं सबूतों के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है."
निकोलस कौमजियान ने कहा कि तंत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है,जैसेकि अधिकारियों से एक दर्जन अनुरोधों के बावजूद, म्याँमार में यूएन कर्मचारियों को अपराध के स्थान एवं गवाहों तक पहुँचने नहीं दिया गया. लेकिन इसके बावजूद उल्लेखनीय प्रगति हुई है.
उन्होंने कहा, "कई साहसी व्यक्तियों, गैर सरकारी संगठनों और अन्य संस्थाओं ने हमारे साथ बहुमूल्य सबूत साझा किये हैं.”
"हमने उन लोगों से वर्चुअल तरीक़ों व साक्षात्कारों के ज़रिये, देश के अन्दर होने वाले अपराधों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की. हमें जानकारी प्रदान करने वालों के लिये, सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित करना भी बढ़ती चिन्ता का विषय है."
इस तंत्र ने, न्यायिक अधिकारियों के लिये, 67 साक्ष्य और विश्लेषणात्मक पैकेज तैयार किये हैं, जिसमें अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय एवं अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय की कार्यवाही के लिये तथ्य शामिल है.
अब तक 200 से अधिक स्रोतों से, लगभग 30 लाख "सूचना तथ्य" एकत्र और तैयार किये जा चुके हैं.
इनमें, साक्षात्कार के ज़रिये इकट्ठे किए बयान, आलेखन, वीडियो, तस्वीरें, भू-स्थानिक छायांकन और सोशल मीडिया सामग्री शामिल हैं. निकोलस कौमजियान ने कहा कि उनकी टीम अब उनके विश्लेषण का चुनौतीपूर्ण कार्य करने की कोशिशों में लगी है.
उन्होंने बताया, "उदाहरण के लिये, फेसबुक ने तंत्र के साथ उन खातों से व्यापक सामग्री के दस्वातेज़ साझा किये हैं, जिन्हें कम्पनी ने हटा दिया था, क्योंकि वो ग़लत पहचान पर चलाए जा रहे थे – वे खाते वास्तव में म्याँमार सेना द्वारा नियंत्रित थे."
यूएन टीम ने इन सैन्य-नियंत्रित नेटवर्कों पर दिखाई गई उन पोस्ट की भी पहचान की है, जिनका मक़सद रोहिंज्याओं के ख़िलाफ़ भय व घृणा भड़काना था. उन्होंने अगस्त 2017 के "सफ़ाया ऑपरेशन" शुरू होने से ठीक पहले, एक नैटवर्क पर 10 अलग-अलग पेजों पर छपी एक पोस्ट का उदाहरण दिया.
उन्होंने कहा, "इस पोस्ट में, रोहिंज्याओं के सामूहिक सशस्त्रीकरण और म्याँमार के बौद्धों को धमकाने की झूठी रिपोर्ट थी. साथ ही, एक गाय की तस्वीर थी जिसका पेट काटा हुआ था – एक ऐसी तस्वीर जो म्याँमार बौद्धों के लिये बेहद अपमानजनक थी."
निकोलस कौमजियान ने मानवाधिकार परिषद के प्रति आभार व्यक्त करते हुए, "म्याँमार में सबसे दर्दनाक हिंसा की समाप्ति के लिये प्रतिबद्ध" सभी देशों से इस तंत्र के कार्य को समर्थन देने का आहवान किया.
उन्होंने कहा, "म्याँमार में किये गए सबसे गम्भीर अन्तरराष्ट्रीय अपराधों के अपराधियों को पता होना चाहिये कि हम दंडमुक्ति के चक्र को तोड़ने के अपने प्रयासों में एकजुट हैं और यह सुनिश्चित करेंगे कि ऐसे अपराधों के लिये ज़िम्मेदार लोगों को न्याय प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा."