यूएन मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाशेलेट - बांग्लादेश की यात्रा पर

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय OHCHR ने शुक्रवार को बताया है कि मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट, सप्ताहान्त पर बांग्लादेश की यात्रा करेंगी.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट बांग्लादेश सरकार के आमंत्रण पर ये यात्रा, रविवार, 14 अगस्त को शुरू करेंगे, जोकि इस देश के लिये संयुक्त राष्ट्र के किसी मानवाधिकार प्रमुख की प्रथम यात्रा होगी.
🇧🇩 UN Human Rights Chief @mbachelet will conduct an official visit to #Bangladesh, including Cox’s Bazar, from 14 to 17 August.This is the first official visit by a UN Human Rights Chief to the country.👉https://t.co/ns35QUl8fe pic.twitter.com/ZPF50yf3iC
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मिशेल बाशेलेट, बांग्लादेश की अपनी इस यात्रा के दौरान, म्याँमार से आए रोहिंज्या शरणार्थियों के शिविरों का भी दौरा करेंगी, साथ ही प्रधानमंत्री शेख़ हसीना वाजेद के अलावा, अन्य मंत्रियों व वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी मुलाक़ात करेंगी.
मिशेल बाशेलेट देश के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और सिविल सोसायटी संगठनों के प्रतिनिधियों से भी मुलाक़ात करेंगी.
वर्ष 2017 के दौरान, म्याँमार में हिंसक हमलों से बचने के लिये, लगभग 7 लाख 45 हज़ार रोहिंज्या लोग भागकर बांग्लादेश पहुँचे थे, जिनमें लगभग चार लाख बच्चे थे.
मिशेल बाशेलेट ने जून में ध्यान दिलाया था कि म्याँमार की सेना, राख़ीन प्रान्त में मुख्यतः मुस्लिम रोहिंज्या लोगों को धमकियाँ देने और उन्हें अलग-थलग करने के लिये, शत्रुतापूर्ण और अपमानजनक भाषा का प्रयोग जारी रखे हुए है.
उनमें से लाखों लोगों को भागना पड़ा है और सेना अब भी उनके आवागमन पर कड़ी भेदभावपूर्ण सीमितताएँ लागू कर रही है.
उन्होंने कहा कि म्याँमार के लोगों का जीवन और भविष्य अधर में लटका हुआ है.
मिशेल बाशेलेट ने साथ ही ये भी कहा कि सेना के विवेकहीन हिंसक रुख़ पर रोक लगाने के अन्तरराष्ट्रीय प्रयासों व्यापक पैमाने पर बेअसर होते देखना, निराशाजनक है.
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ वितित मुण्टरभॉर्न, सोमवार को कम्बोडिया की अपनी पहला आधिकारिक यात्रा करेंगे.
वह दो सप्ताह की इस यात्रा के दौरान, देश में मानवाधिकार स्थिति का आकलन करेंगे और साथ ही, सर्वजन के आनन्द के लिये सृजित किये जाने वाला माहौल का भी जायज़ा लेंगे, जिसमें राजनैतिक और सिविल अधिकार, व कोविड-19 महामारी के बाद के हालात में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार भी शामिल हैं.