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रोहिंज्या लोगों के विशाल विस्थापन को रोकने के लिये, वृहद समाधान की दरकार

बांग्लादेश में एक शरणार्थी शिविर में, रोहिंज्या बच्चे, एक अस्थाई शिक्षा केन्द्र में, मनोरंजक गतिविधियों व मनोवैज्ञानिक समर्थन के लिये एकत्र होते हुए.
© UNICEF/Rashad Wajahat Lateef
बांग्लादेश में एक शरणार्थी शिविर में, रोहिंज्या बच्चे, एक अस्थाई शिक्षा केन्द्र में, मनोरंजक गतिविधियों व मनोवैज्ञानिक समर्थन के लिये एकत्र होते हुए.

रोहिंज्या लोगों के विशाल विस्थापन को रोकने के लिये, वृहद समाधान की दरकार

मानवाधिकार

म्याँमार में वर्ष 2017 के दौरान सेना के हिंसक व क्रूर दमन से जान बचाकर भागे और बांग्लादेश में पनाह लेने पहुँचे लगभग 7 लाख रोहिंज्या शरणार्थियों की व्यथा को, गुरूवार को पाँच साल हो गए हैं. यूएन प्रमुख ने इस अवसर पर अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, रोहिंज्या लोगों की तकलीफ़ों को दूर करने में मदद के लिये, वृहद, टिकाऊ और समावेशी समाधान तलाश करने का आहवान किया है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की तरफ़ से जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि लगभग दस लाख शरणार्थी, बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार शरणार्थी शिविर में रह रहे हैं, जिन्हें फ़िलहाल तो म्याँमार में अपने घरों को लौटने की कोई सम्भावना नज़र नहीं आती है.

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इसके अलावा लगभग डेढ़ लाख, मुख्यतः मुस्लिम रोहिंज्या लोग, म्याँमार के अपने मूल राख़ीन प्रदेश में शिविरों तक सीमित रह गए हैं.

इस बीच म्याँमार में फ़रवरी 2021 में सैन्य तख़्तापलट होने के बाद, देश के भीतर भी मानवीय, मानवाधिकार और सुरक्षा स्थिति, तेज़ी से बदतर हुई है, जिससे विदेशों में रहने वाले शरणार्थियों की स्वदेश वापसी के लिये परिस्थितियाँ और भी ज़्यादा कठिन हो गई हैं.

भागेदारी अहम

वक्तव्य में कहा गया है, “महासचिव, देश के अनेक नस्लीय व धार्मिक समूहों के बीच एक समावेशी भविष्य की अथक आकांक्षाओं से अवगत हैं, और इस संकट का म्याँमार के नेतृत्व में निकाले जाने वाले किसी समाधान के एक हिस्से के रूप में, रोहिंज्या लोगों की पूर्ण व असरदार भागेदारी को भी रेखांकित करते हैं.”

“प्रभावित क्षेत्रों तक, संयुक्त राष्ट्र व उसके साझीदार संगठनों को मानवीय और विकास सहायता की आपूर्ति के लिये वृहद पहुँच मुहैया कराया जाना बहुत महत्वपूर्ण है."

वक्तव्य के अनुसार, "म्याँमार में अन्तरराष्ट्रीय अपराधों को अंजाम देने वाले तमाम दोषियों को जवाबदेह ठहराया जाना होगा. पीड़ितों को न्याय दिलाने से, देश और वहाँ के लोगों के लिये एक टिकाऊ व समावेशी राजनैतिक भविष्य सुनिश्चित करने में योगदान मिलेगा.”

सघन होते संकट

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने कहा है कि म्याँमार में सैन्य नेतृत्व – तत्मादाव के बलों ने फ़रवरी 2021 में लोकतांत्रिक सरकार को सत्ता से बेदख़ल करने के बाद, 18 महीनों के दौरान, दक्षिण-पूर्वी, पश्चिमोत्तर और केन्द्रीय क्षेत्रों में आम लोगों के विरुद्ध अभियान ना केवल जारी रखे हैं, बल्कि उन्हें तेज़ भी किया है.

यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने कहा कि गाँवों और आवासीय इलाक़ों के ख़िलाफ़ हवाई ताक़त और तोपख़ाने का प्रयोग और सघन हुआ है, जबकि उन्होंने चेतावनी देते हुए ये भी कहा है कि रोहिंज्या नस्लीय समूह के पूर्व ऐतिहासिक स्थान राख़ीन प्रान्त में हिंसा में बढ़ोत्तरी से, क्षेत्र में जो कुछ शान्ति बची है, वो भंग हो सकती है.

देश के इस आमतौर पर स्थिर बचे इलाक़े में, सशस्त्र संघर्ष फिर भड़कने से रोकना, शायद मुश्किल हो.

रोहिंज्या समुदाय, अक्सर तत्मादाव नामक सैन्य बलों और विद्रोही अराकान सेना के लड़ाकों के दरम्यान तनाव की चपेट में आते रहे हैं, या फिर उन्हें अभियानों में सीधे तौर पर ही निशाना बनाया जाता रहा है.

लगभग डेढ़ करोड़ लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है.