पाकिस्तान में बाढ़ से ‘अभूतपूर्व’ संकट, ज़रूरतमन्दों के लिये सहायता प्रयासों में तेज़ी

पाकिस्तान में पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान मूसलाधार बारिश के कारण भारी तबाही हुई है. एक हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, लाखों घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, और बुनियादी ढाँचे व अतिआवश्यक सेवाओं पर भीषण असर हुआ है. संयुक्त राष्ट्र मानवीय राहत एजेंसियों ने शुक्रवार को आगाह किया है कि पाकिस्तान का एक तिहाई हिस्से में पानी भर गया है, जिससे अभूतपूर्व स्तर पर मानवीय राहत संकट पैदा हुआ है.
पाकिस्तान में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रतिनिधि डॉक्टर पलीथा महीपाला ने बताया कि देश में बाढ़ से तीन करोड़ 30 लाख लोग प्रभावित हुए हैं, जोकि कुल आबादी का 15 फ़ीसदी है.
🔴Due to ongoing severe floods in #Pakistan, over 1460 health facilities 🏥 have been affected of which 432 were fully damaged.🟢@WHO's leading the health response and operating on the ground in over 4500 medical camps. pic.twitter.com/XQKxkeUtZJ
WHOPakistan
उन्होंने शुक्रवार को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि “64 लाख से अधिक लोगों को तत्काल मानवीय सहायता की आवश्यकता है.”
पिछले कुछ हफ़्तों में, मॉनसून के दौरान मूसलाधार बारिश हुई है और कुछ प्रान्तों में पिछले 30 वर्षों के औसत की तुलना में पाँच गुना अधिक वर्षा हुई है.
जून महीने से अब तक एक हज़ार 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 400 बच्चे हैं. छह हज़ार से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं.
बाढ़ के क़हर से पाकिस्तान में 11 लाख घर क्षतिग्रस्त हुए हैं और स्कूल समेत अन्य अहम बुनियादी ढाँचों को नुक़सान पहुँचा है.
देश में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के प्रतिनिधि अब्दुल्लाह फ़ादिल ने बताया कि 18 हज़ार से अधिक स्कूल पूरी तरह ध्वस्त हो गए हैं और हज़ारों स्कूल अब बन्द हैं.
“इसका अर्थ है कि पिछले दो सालों में जिन बच्चों की शिक्षा का नुक़सान हुआ था, अब भी उनके लिये पढ़ने-लिखने के अवसर खो रहे हैं.”
शिक्षा प्रणाली में आए भीषण व्यवधान के साथ-साथ, स्वास्थ्य केन्द्रों पर भी भारी असर हुआ है, जिससे निर्बल आबादी के लिये हालात और विकट हो गए हैं.
मौजूदा हालात में, राहत एजेंसियों ने हैज़ा, दस्त, डेंगू और मलेरिया समेत जल-जनित व घातक बीमारियों के फैलने के प्रति भी आशंका व्यक्त की है.
पाकिस्तान में पहले से ही बड़ी संख्या में बच्चे नाटेपन का शिकार है और जो इलाक़े इस समस्या से ग्रस्त हैं, वे भी बाढ़ की चपेट में आए हैं.
डॉक्टर फ़ादिल ने सचेत किया कि हैज़ा, दस्त समेत जल-जनित बीमारियाँ जल्द ही इन इलाक़ों को अपनी चपेट में ले सकती हैं और इसलिये पुख़्ता तैयारियों की आवश्यकता है.
आगामी दिनों में बारिश और बाढ़ जारी रहने से परिस्थितियाँ बद से बदतर होने की आशंका है, जिसके मद्देनज़र, रोग निगरानी का दायरा व स्तर बढ़ाने पर बल दिया गया है.
साथ ही, क्षतिग्रस्त स्वास्थ्य केन्द्रों में कामकाज फिर से शुरू करना, पर्याप्त मात्रा में दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करना और प्रभावित समुदायों तक स्वास्थ्य सामग्री पहुँचाना अहम होगा.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के प्रवक्ता मैथ्यू सॉल्टमार्श ने बताया कि बाढ़ प्रभावित लोगों ने अपनी पीड़ा साझा करते हुए बताया है कि कुछ ही मिनटों में तेज़ बहाव उनकी मेहनत व सम्पत्ति अपने साथ बहा कर ले गया.
“जो लोग अपनी जान बचा सकते थे, उन्होंने ऊँचाई वाले इलाक़ों में जाकर शरण ली, लेकिन अपने सामान को साथ ला पाने का मौक़ा नहीं मिल पाया.”
यूएन एजेंसी प्रवक्ता के अनुसार, शरण, स्वच्छ पेयजल व भोजन समेत अन्य बुनियादी आवश्यकताओं को मुहैया कराया जाना होगा.
मूसलाधार बारिश के कारण सिन्धु नदी उफ़ान पर है और विशाल दायरे में भूमि अब जलमग्न हो गई है.
बड़े पैमाने पर फ़सलों और मवेशियों को नुक़सान पहुँचा है, जिसका असर प्रभावित समुदायों की आजीविका व पोषण पर पड़ने की आशंका है.
पाकिस्तान के लिये विश्व खाद्य कार्यक्रम के देशीय निदेशक क्रिस केय ने बताया कि क्षेत्र में एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है. इसके मद्देनज़र कृषि उत्पादन को फिर से पटरी पर लाना ज़रूरी है और यह एक वैश्विक चुनौती है.
लोगों के भरण पोषण की व्यवस्था करना और पड़ोसी देश अफ़ग़ानिस्तान में खाद्य सामग्री की आपूर्ति सुचारू रूप से जारी रखना बेहद अहम है.
ग़ौरतलब है कि अफ़ग़ानिस्तान भी बाढ़ की चपेट में आया है और यह एक ऐसे समय में हुआ है जब देश अन्य प्राकृतिक आपदाओं के असर से उबरने का प्रयास कर रहा है.
यूएन शरणार्थी एजेंसी के अनुसार, पिछले 40 वर्षों में लाखों अफ़ग़ान नागरिकों ने पाकिस्तान में शरण ली है और अब देश में 13 लाख अफ़ग़ान पंजीकृत है. एक बड़ी संख्या उन अफ़ग़ान नागरिकों की भी है, जो दस्तावेज़ के बिना वहाँ रह रहे हैं.
पाकिस्तान फ़िलहाल राजनैतिक व आर्थिक उथलपुथल के दौर से भी गुज़र रहा है और मानव-जनित जलवायु संकट ने परिस्थितियों को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है.
22 करोड़ की आबादी वाले देश में इस वर्ष नाटकीय ढँग से मौसम में बदलाव देखे गए हैं, रिकॉर्ड तोड़ ताप लहरों से लेकर जानलेवा बाढ़ तक.
दक्षिण एशिया को दुनिया में जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से एक बेहद सम्वेदनशील क्षेत्र के रूप में देखा जाता है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस सप्ताह आगाह किया था कि इन हॉटस्पॉट में रहने वाले लोगों की जलवायु प्रभावों से मौत होने होने की सम्भावना, अन्य इलाक़ों की तुलना में 15 गुना अधिक है.