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गर्भावस्था

27 वर्षीया नसरीन ख़ातून, बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार में चक्रवात मोका के प्रकोप के दौरान ख़दीजा* को अपने बच्चे को सुरक्षित तरीक़े से जन्म देने में मदद करने के लिए ड्यूटी पर मौजूद दाइयों में से एक थीं.
© UNFPA Bangladesh/Fahim Hasan Ahad

बांग्लादेश: चक्रवात ‘मोका’ से प्रभावित रोहिंज्या शरणार्थियों को, दाइयों से मिली नई उम्मीद

बांग्लादेश में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) कार्यालय, चक्रवात 'मोका' से प्रभावित रोहिंज्या शरणार्थी शिविरों में, प्रसव व प्रसवोत्तर देखभाल एवं मातृ व शिशु स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया कराने के लिए प्रयासरत है.

ग्वाटेमाला में एक गर्भवती महिला के स्वास्थ्य की जाँच की जा रही है.
© UNICEF/Patricia Willocq

गर्भावस्था या प्रसव के दौरान, हर दो मिनट में एक महिला की मौत

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने आगाह किया है कि मातृत्व स्वास्थ्य में बेहतरी के लिए जारी प्रयासों को झटका लगा है, और हर दो मिनट में गर्भावस्था या प्रसव के दौरान एक महिला की मौत हो रही है. गुरूवार को जारी एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, विश्व के लगभग सभी क्षेत्रों में मातृत्व मौतों की संख्या में या तो वृद्धि हुई है या फिर ये संख्या हर जगह उसी स्तर पर बनी हुई हैं.

गर्भपात सम्बन्धी पाबन्दियाँ, महिलाओं व लड़कियों को असुरक्षित प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करने के लिये मजबूर कर सकती हैं.
© WHO

सुरक्षित गर्भपात के लिये नए दिशानिर्देश, महिलाओं व लड़कियों के स्वास्थ्य के लिये अहम

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने महिलाओं व लड़कियों के स्वास्थ्य की रक्षा सुनिश्चित किये जाने के इरादे से गर्भपात देखभाल के लिये नए दिशानिर्देश जारी किये हैं. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने बुधवार को कहा है कि इन दिशानिर्देशों की मदद से विश्व भर में हर वर्ष असुरक्षित गर्भपात के ढाई करोड़ मामलों की रोकथाम की जा सकेगी.

यूक्रेन की एक गर्भवती महिला को अपनी माँ और छोटे बच्चे के साथ, अपना स्थान सुरक्षा की तलाश में छोड़कर, मोल्दोवा पहुँचना पड़ा है.
© UNFPA Moldova/Adriana Bîzgu

यूक्रेन: हवाई हमलों के सायरनों के बीच, बच्चे को जन्म देना, आपबीती

यूक्रेन की राजधानी कीयेफ़ में रहने वाली 25 वर्षीय महिला मारीया शोस्तक को 24 फ़रवरी को गर्भ का संकुचन शुरू हुआ, जिस दिन रूसी संघ ने यूक्रेन में एक सैन्य आक्रमण शुरू किया, और उन्होंने हवाई हमले के सायरन की आवाज़ के बीच अपने बच्चे को जन्म दिया.

फ़नाये हायलू का कहना है कि उनकी बेटी, बैट्टी एचआईवी-मुक्त पैदा हुई थी और अब आठ साल की है. वह सुझाव देती हैं कि हर माँ व हर गर्भवती महिला को एचआईवी परीक्षण करवाना चाहिये, जिससे माँ और बच्चे का जीवन बच सके.
UNAIDS

एचआईवी : 2020 में बच्चों में संक्रमण के डेढ़ लाख नए मामले, ‘रोकथाम थी सम्भव’

एचआईवी/एड्स के विरुद्ध लड़ाई का नेतृत्व करने वाली संयुक्त राष्ट्र एजेंसी – यूएनएड्स (UNAIDS) का कहना है कि वर्ष 2020 में, बच्चों में एचआईवी संक्रमण के क़रीब डेढ़ लाख नए मामले दर्ज किये गए, जिनमें से अधिकतर संक्रमण मामलों की रोकथाम की जा सकती थी.

यूएन जनसंख्या कोष की कार्यकारी निदेशक डॉक्टर नतालिया कानेम (बाएँ) यमन के एक अस्पताल में एक मरीज़ से बातचीत कर रही हैं.
© UNFPA Yemen

संकटग्रस्त क्षेत्रों में प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं के लिये, 83 करोड़ डॉलर की अपील  

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) ने कहा है कि मौजूदा दौर में, जीवनरक्षक यौन व प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएँ पहले से कहीं ज़्यादा अहम हो गई हैं. यूएन एजेंसी ने इन हालात के मद्देनज़र, वर्ष 2022 में, संकटपूर्ण हालात में जीवन गुज़ारने वाले लोगों को सहारा देने के लिये, 83 करोड़ 50 लाख डॉलर की एक मदद अपील जारी की है.

यमन के एक अस्पताल में एक दाई ने नवजात शिशु को अपनी गोद में लिया हुआ है.
UNFPA Yemen

विश्व में नौ लाख दाइयों की कमी से उपजी चिन्ता – नई रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और साझीदार संगठनों की एक नई रिपोर्ट, दुनिया में व्यापक स्तर पर दाइयों (Midwives) की कमी को दर्शाती है, जिनकी स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में लाखों महिलाओं व नवजात शिशुओं की या तो मौत हो रही है या फिर वे अस्वस्थता के शिकार हो रहे हैं. रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2035 तक इन स्वास्थ्य सेवाओं में समुचित निवेश के ज़रिये, हर वर्ष 43 लाख ज़िन्दगियों को बचाया जा सकता है.

तंज़ानिया के ज़ंज़ीबार में स्व-सहायता समूह महिलाओं को सशक्त बनाने के प्रयासों का हिस्सा हैं.
UN News/ Assumpta Massoi

महिलाओं और लड़कियों के यौन व प्रजनन स्वास्थ्य पर मँडराता ख़तरा

वैश्विक महामारी कोविड-19 सभी लोगों को प्रभावित कर रही है लेकिन इसका असर हर किसी पर एक जैसा नहीं है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने शनिवार, 11 जुलाई को ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ पर अपने सन्देश में आगाह किया है कि कोरोनावायरस संकट के कारण स्वास्थ्य प्रणालियों पर बोझ बढ़ा है और महिलाओं व लड़कियों के यौन व प्रजनन स्वास्थ्य  की उपेक्षा हो रही है जो गहरी चिन्ता का विषय है. 

पेरु के एक अस्पताल में अपने नवजात शिशु को गोद में संभालती एक महिला.
UNICEF/Ilvy Njiokiktjien

भारी-भरकम ख़र्च से जच्चा-बच्चा को है गंभीर ख़तरा

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ ने कहा है कि बहुत महंगी स्वास्थ्य सेवाओं और देखभाल की वजह से बहुत सी महिलाओं को बच्चे को जन्म देने से पहले और बाद में अक्सर जच्चा-बच्चा दोनों का ही जीवन ख़तरे में डालना पड़ता है. यूनीसेफ़ ने मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी है जिसमें बताया गया है कि बहुत सी गर्भवती महिलाओं को आवश्यकता पड़ने पर ना तो कोई डॉक्टर मिलता है और ना ही कोई नर्स या दाई उपलब्ध होती है.