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स्वास्थ्य संकट में जच्चा-बच्चा के लिए गंभीर जोखिम

भारत के राजस्थान प्रदेश में एक जच्चा-बच्चा केंद्र में एक महिला अपने दो दिन के शिशु के साथ.
© UNICEF/Prashanth Vishwanathan
भारत के राजस्थान प्रदेश में एक जच्चा-बच्चा केंद्र में एक महिला अपने दो दिन के शिशु के साथ.

स्वास्थ्य संकट में जच्चा-बच्चा के लिए गंभीर जोखिम

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने अनुमान ज़ाहिर किया है कि कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद से अब तक लगभग 11 करोड़ 60 लाख बच्चों का जन्म हुआ है. संगठन ने इस संदर्भ में तमाम देशों की सरकारों से गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए जीवनदायी सेवाओं का संचालन सुनिश्चित करने का आहवान किया है क्योंकि उनके लिए पहले से ही दबाव में काम कर रही स्वास्थ्य सेवाओं और बाधित आपूर्ति श्रंखला के माहौल में ज़्यादा ख़तरा दरपेश है.

जच्चा-बच्चा संकट के इस दौर में अनेक तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं जिनमें भीड़ भरे स्वास्थ्य केंद्र, उपकरण और ज़रूरी चीज़ों की आपूर्ति में बाधा, और दक्ष व प्रशिक्षित दाइयों की कमी शामिल हैं.

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हेनरिएट फ़ोन ने कहा, “विश्व भर में करोड़ों महिलाएँ एक ऐसी दुनिया में मातृत्व के रास्ते पर निकली हैं जिन्हें इस तरह का संकट देखने को मिला है.”

उगांडा के एक अस्पताल में एक नवजात शिशु
© UNICEF/Zahara Abdul
उगांडा के एक अस्पताल में एक नवजात शिशु

“उन्हें अब अपने बच्चों को एक ऐसी दुनिया में लाने के लिए तैयार रहना होगा जहाँ होने वाली माताएँ स्वास्थ्य केंद्रों पर जाने में घबरा रही हैं कि कहीं उन्हें महामारी का संक्रमण ना लग जाए, या फिर उन्हें तालाबंदी व उपयुक्त स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में कही आपात देखभाल ना मिल पाए क्योंकि स्वास्थ्य सेवाएँ भारी दबाव में काम कर रही हैं.”

यूनीसेफ़ प्रमुख ने 10 को मनाए जाने वाले मातृत्व दिवस के मौक़े पर आगाह करते हुए कहा है, “विशेष रूप से इस वर्ष का मातृत्व दिवस भावुकता से भरा है क्योंकि कोरोनावायरस महामारी के कारण बहुत से परिवारों को बिछड़ना पड़ा है... ये कल्पना करना भी मुश्किल है कि महामारी ने मातृत्व पर किस क़दर बोझ डाल दिया है.”

ध्यान रहे कि मातृत्व दिवस हर साल 128 से ज़्यादा देशों में मनाया जाता है.

देशों की जन्म दर 

कोविड-19 को वैश्विक महामारी घोषित किए जाने के नौ महीनों के भीतर जिन देशों में सबसे ज़्यादा बच्चों का जन्म होगा उनमें भारत का स्थान सबसे ऊपर है जहाँ लगभग दो करोड़ 10 लाख बच्चों का जन्म अपेक्षित है. 

भारत के बाद चीन में लगभग एक करोड़ 35 लाख, नाइजीरिया में 64 लाख, पाकिस्तान में 50 लाख और इंडोनेशिया में 40 लाख बच्चों का जन्म अपेक्षित है.

इनमें से अधिकतर देशों में वैश्विक महामारी के संकट से पहले भी नवजात शिशुओं की मौत होने की उच्च दर देखी गई है.

इनके अलावा धनी देश भी वैश्विक महामारी के संकट से गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं, क्योंकि विश्वास और आपूर्ति का अभाव है. बच्चों की पैदाइश के मामले में छठी सबसे ऊँची दर वाले देश अमेरिका में 11 मार्च से लेकर 16 दिसंबर के बीच लगभग 33 लाख बच्चों का जन्म अपेक्षित है.

अफ़ग़ानिस्तान के कन्दाहार में एक क्लीनिक में एक माँ अपने बच्चे की चिकित्सा देखभाल कराते हुए.
© UNICEF/UNI309869// Frank Dejongh
अफ़ग़ानिस्तान के कन्दाहार में एक क्लीनिक में एक माँ अपने बच्चे की चिकित्सा देखभाल कराते हुए.

न्यूयॉर्क सिटी में, अधिकारी वैकल्पिक जच्चा-बच्चा केंद्र स्थापित करने पर ग़ौर कर रहे हैं क्योंकि बहुत सी महिलाओं ने अपने बच्चों को अस्पतालों मे जन्म देने पर चिन्ता व्यक्त की है क्योंकि वहाँ संक्रमण लगने का ख़तरा है. 

यूनीसेफ़ ने आगाह किया है कि अलबत्ता अभी तक के सबूत दिखाते हैं कि गर्भवती महिलाओं को कोविड-19 से किसी अन्य समूह की तुलना में कहीं ज़्यादा ख़तरा नहीं है, लेकिन देशों को फिर भी ये सुनिश्चित करना होगा कि गर्भवती महिलाओं को जच्चा-बच्चा की समुचित देखभाल वाली सेवाएँ उपलब्ध हों.

उसी तरह से बीमार नवजात शिशुओं को आपात देखभाल सेवाओं की ज़रूरत है और जच्चाओं को भी अपने बच्चों को स्तनपान कराने में मदद की दरकार है. साथ ही नवजीत बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए ज़रूरी दवाएँ, वैक्सीन और पोषक तत्वों की भी ज़रूरत होगी.

व्यावहारिक सलाह

वैसे तो अभी इस बारे में ठोस जानकारी मौजूद नहीं है कि क्या कोरोनावायरस का संक्रमण किसी महिला से उसके नवजात शिशु में भी स्थानान्तरित हो सकता है, फिर भी यूनीसेफ़ की सलाह है कि सभी गर्भवती महिलाओं को ख़ुद को वायरस से सुरक्षित रखने की भरपूर कोशिश करनी चाहिए, कोविड-19 के संक्रमण के लक्षणों के बारे में ख़ुद की सघन निगरानी करें और किसी भी तरह की आशंका होने या लक्षण प्रतीत होने पर तुरंत चिकित्सा सहायता हासिल करें.

गर्भवती महिलाओं को ये भी सलाह दी जाती है कि शारीरिक दूरियों के नियमों का पालन करें, ऑनलाइन स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाएं और अगर वो जोखिम वाले क्षेत्रों में रहती हैं, या उन्हें बुख़ार, ख़ाँसी या फिर साँस लेने में कठिनाई हो तो बिल्कुल आरंभिक स्तर पर ही चिकित्सा परामर्श लें.

साथ ही गर्भवती महिलाओं को अपने बच्चे को सुरक्षित स्थान पर जन्म देने के बारे में अपनी दाई या डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए, और जन्म के समय घबराहट और चिन्ता कम करने के तरीक़ों पर पहले से ग़ौर करना चाहिए. 

यूनीसेफ़ ने आग्रह किया है कि अगर माता को संक्रमण हो भी गया है या होने का सन्देह है तो भी वो अपने नवजात शिशु को स्तनपान कराना ना छोड़ें, क्योंकि विश्लेषण के लिए लिए गए माताओं के दूध के नमूनों में वायरस का संक्रमण नहीं पाया गया.

जिन महिलाओं को कोविड-19 का संक्रमण है, उन्हें अपने बच्चों को स्तनपान कराते समय मास्क अवश्य पहनना चाहिए, बच्चे को छूने से पहले और बाद में अच्छी तरह अपने हाथ धोने चाहिए, अपने आसपास की सतहों को नियमित रूप से अच्छी तरह से और कीटाणुनाशकों का इस्तेमाल करके स्वच्छ करते रहना चाहिए, और अपने बच्चों को गोद में लेते रहना चाहिए.

बच्चे के जन्म के बाद उन्हें अपनी चिकित्सा देखभाल जारी रखनी चाहिए जिसमें बीमारियों से बचाने वाले नियमित टीके लगवाना भी शामिल है.

यूनीसेफ़ प्रमुख हेनरिएटा फ़ोर का कहना था कि हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं जहाँ एकता की बहुत ज़रूरत है, एक ऐसा समय जहाँ हर किसी को एकजुटता की ख़ातिर साथ आने की ज़रूरत है.