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मातृत्व

कम्बोडिया के एक अस्पताल में एक गर्भवती महिला की देखभाल की जा रही है.
World Bank/Chhor Sokunthea

प्रसव के दौरान बुरा बर्ताव, 'स्वास्थ्य देखभाल व मानवाधिकार समस्या'

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और मानव प्रजनन कार्यक्रम (HRP) का एक नया अध्ययन दर्शाता है कि विश्व भर में महिलाओं को प्रसव के दौरान बुरे बर्ताव का सामना करना पड़ता है, जोकि अस्वीकार्य है.

यूक्रेन की एक गर्भवती महिला को अपनी माँ और छोटे बच्चे के साथ, अपना स्थान सुरक्षा की तलाश में छोड़कर, मोल्दोवा पहुँचना पड़ा है.
© UNFPA Moldova/Adriana Bîzgu

यूक्रेन: हवाई हमलों के सायरनों के बीच, बच्चे को जन्म देना, आपबीती

यूक्रेन की राजधानी कीयेफ़ में रहने वाली 25 वर्षीय महिला मारीया शोस्तक को 24 फ़रवरी को गर्भ का संकुचन शुरू हुआ, जिस दिन रूसी संघ ने यूक्रेन में एक सैन्य आक्रमण शुरू किया, और उन्होंने हवाई हमले के सायरन की आवाज़ के बीच अपने बच्चे को जन्म दिया.

माँ ने अपने नवजात शिशु को गोद में लिया हुआ है.
© UNSPLASH/Holie Santos

शिशु फ़ॉर्मूला मार्केटिंग है आक्रामक व भ्रामक, यूएन रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र की दो एजेंसियों ने एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया भर में माता-पिता, अभिभावक और गर्भवती महिलाएँ, बेबी फ़ॉर्मूला दुग्ध पदार्थों की आक्रामक मार्केटिंग का आसान निशाना बनने के दायरे में हैं.

काबुल के मलालाई मातृत्व अस्पताल में, मुख्य दाई एक नवजात शुशि की देखभाल करते हुए.
© UNFPA Afghanistan

अफ़ग़ानिस्तान: संकटग्रस्त देश में, जच्चा-बच्चा के लिये जीवनरक्षक सहायता

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल का मलालाई मातृत्व अस्पताल, देश के व्यस्ततम अस्पतालों में से एक है जो हर दिन, इस दुनिया में क़रीब 85 नवजात शिशुओं का स्वागत करता है. इनमें लगभग 20 बच्चे ऑपरेशन के ज़रिये पैदा होते हैं. मगर देश में मौजूदा संकट, मरीज़ों की देखभाल करने की चिकित्सा स्टाफ़ की क्षमता को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है.

संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या कोष की कार्यकारी निदेशक नतालिया कनेम, सूडान के एक अस्पताल में एक बच्चे को गोद में थामे हुए.
Sufian Abdul-Mouty/UNFPA Sudan

जनसंख्या दिवस: कोविड का यौन व प्रजनन स्वास्थ्य पर गहरा असर

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) ने कहा है कि कुछ महिलाओं के लिये, ये दौर मातृत्व को टाल देने के लिये मजबूर होने का रहा है, जबकि कुछ अन्य को, स्वास्थ्य सेवाओं में बाधा उत्पन्न होने के कारण, अनचाहा गर्भधारण करना पड़ा है.

राजधानी जयपुर से दूर स्थित होने के कारण, जैसलमेर में विशेष रूप से माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवा स्तर पर विशेषज्ञों की अत्यधिक कमी है.
ARVIND JODHA/UNFPA INDIA

बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिये समन्वित प्रयास

जैसलमेर, भारत के राजस्थान राज्य का सबसे बड़ा ज़िला है, मगर यहाँ स्वास्थ्य ज़रूरतों को पूरा करने, विशेषकर मातृत्व व प्रसव सम्बन्धी सेवाओं के लिये विशेषज्ञों की कमी एक बड़ी चुनौती रही है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) ने वर्ष 2013 में महिला स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये ज़िला प्रशासन व राज्य स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर प्रयास किये, जिसके सकारात्मक नतीजे दिखाई दिये हैं. इस क्षेत्र में हुई प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अधिकारियों व स्वास्थ्यकर्मियों से एक मुलाक़ात....

यूनीसेफ़ स्टाफ़ और नेपाल की सेना ने एक अस्पताल के बाहर चिकित्सा टैण्ट स्थापित किया है.
© UNICEF Nepal

दक्षिण एशिया में संक्रमण की जानलेवा लहर - स्वास्थ्य प्रणालियों पर भारी बोझ

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने चेतावनी जारी की है कि दक्षिण एशिया के देशों में कोरोनावायरस संक्रमण की जानलेवा लहर से जिस तरह के हालात पैदा हो रहे हैं, वैसा इस क्षेत्र में पहले कभी नहीं देखा गया. यूनीसेफ़ के मुताबिक कोरोनावायरस संकट के कारण बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर हुआ है, देशों की नाज़ुक स्वास्थ्य प्रणालियों पर भारी बोझ है और उनके ढह जाने की आशंका वास्तविक है.

मंगोलिया के उलानबाटर के एक स्वास्थ्य केन्द्र में एक माँ अपने नवजात शिशु के साथ. (4 सितम्बर 2015)
UNICEF/Jan Zammit

'कंगारू मातृत्व' के सहारे बचाई जा सकती हैं लाखों नवजात ज़िन्दगियाँ

विश्व स्वास्थ्य संगठन - WHO ने नवजात शिशुओं को, उनकी माताओं से अलग किये जाने के ख़तरों की तरफ़ ध्यान दिलाते हुए आगाह किया है. एक नए अध्ययन में दिखाया गया है कि नवजात शिशुओं को उनकी माताओं के साथ त्वचा स्पर्श सुनिश्चित करने से, एक लाख 25 हज़ार तक ज़िन्दगियाँ बचाई जा सकती हैं.

तुर्की के अडाना शहर में, यूएनएफ़पीए की मोबाइल यूनिट की स्वास्थ्यकर्मी सीरियाई शरणार्थियों की सहायता कर रही हैं.
UNFPA

मातृत्व स्वास्थ्य से जुड़े "गम्भीर परिणामों" की रोकथाम की अपील

दुनिया भर में प्रजनन और मातृत्व स्वास्थ्य में सुधार के लिये समर्पित एजेंसी, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष UNFPA ने,  गर्भावस्था और मातृत्व स्वास्थ्य से जुड़े गम्भीर परिणामों की रोकथाम करने के लिये, वर्ष 2030 तक ढाई अरब डॉलर की रक़म जुटाने की अपील की है.