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एक अरब लोग मोटापे के शिकार, इस स्वास्थ्य संकट को रोकने की दरकार, WHO

इण्डोनेशिया के जकार्ता में, एक ठेले पर तले हुए भोज्य पदार्थ बेचे जाते हुए.
© UNICEF/Arimacs Wilander
इण्डोनेशिया के जकार्ता में, एक ठेले पर तले हुए भोज्य पदार्थ बेचे जाते हुए.

एक अरब लोग मोटापे के शिकार, इस स्वास्थ्य संकट को रोकने की दरकार, WHO

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शुक्रवार को ‘विश्व मोटापा दिवस’ के अवसर पर देशों से, एक स्वास्थ्य संकट बन चुके – मोटापा को पलटने के लिये और ज़्यादा प्रयास करने का आग्रह किया है. संगठन के अनुसार, मोटापा स्वास्थ्य संकट को रोका जा सकता है.

हाल के आँकड़ों से मालूम होता है कि दुनिया भर में एक अरब से भी ज़्यादा लोग मोटापे के साथ जीवन जी रहे हैं, जिनमें क़रीब 65 करोड़ वयस्क, 34 करोड़ किशोर, और लगभग चार करोड़ बच्चे हैं.

इस संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है, ऐसे में यूएन स्वास्थ्य एजेंसी का अनुमान है कि वर्ष 2025 तक लगभग 16 करोड़ 70 लाख लोग, कम स्वस्थ बन जाएंगे क्योंकि या तो उनका वज़न ज़्यादा होगा या फिर वो मोटापे के शिकार होंगे.

मोटापे के प्रभाव

ज़्यादा वज़न या मोटापे को, चर्बी या वसा का असमान्य या अत्यधिक रूप में इकट्ठा हो जाना परिभाषित किया जाता है जो स्वास्थ्य को बाधित करता है.

मोटापा सम्पूर्ण शरीर प्रणालियों को प्रभावित करने वाली एक ऐसी बीमारी है जो हृदय, यकृत या जिगर, गुर्दों, जोड़ों और प्रजनन प्रणालियों पर भी असर डालती है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि मोटापे के कारण, अन्य ग़ैर-संचारी बीमारियों का भी रास्ता खुलता है जिनमें टाइप-2 डायबिटीज़, हृदय रोग, हाइपरटैंशन और पक्षाघात, कैंसर के विभिन्न रूपों के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य मुद्दे भी शामिल हैं.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार, मोटापा के शिकार लोगों के, कोविड-19 के कारण, अस्पतालों में भर्ती होने की तीन गुना ज़्यादा सम्भावना है.

रोकथाम की कुंजी: शीघ्र ध्यान देना

ग्वाटेमाला में एक महिला, फल खाते हुए
© UNICEF/Patricia Willocq
ग्वाटेमाला में एक महिला, फल खाते हुए

दुनिया भर में, 1975 के बाद से मोटापे के शिकार लोगों की संख्या लगभग तीन गुना बढ़ी है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि मोटापे की रोकथाम की कुंजी है – शुरुआती स्तर पर ही सक्रियता. उदाहरण के लिये, यहाँ तक कि बच्चा पैदा करने पर विचार करने से भी पहले, स्वस्थ होने के बारे में सोचें.

विश्व स्वास्थ्य संगठन का दोहराते हुए कहना है, “गर्भावस्था के दौरान अच्छा पोषण, तत्पश्चात छह महीने तक शिशु को स्तनपान कराना और दो वर्ष तक व उससे भी परे, स्तनपान कराते रहना, तमाम शिशुओं व बच्चों के स्वास्थ्य के लिये सर्वश्रेष्ठ है.”

वैश्विक परिदृश्य

मगर साथ ही, देशों को, एक बेहतर भोजन व खाद्य वातावरण बनाने के लिये, एक साथ मिलकर काम करने की ज़रूरत है ताकि हर एक व्यक्ति को स्वस्थ और सुलभ ख़ुराक उपलब्ध हो सके.

ये लक्ष्य हासिल करने के लिये, बच्चों के लिये ऐसे खाद्य व पेय पदार्थों की मार्केटिंग यानि विपणन पर प्रतिबन्ध लगाने होंगे जिनमें चर्बी या वसा, शर्करा (Sugar), और नमक की उच्च मात्रा होती है, अत्यधिक मीठे पेय पदार्थों पर ज़्यादा टैक्स लगाना होगा, और क़िफ़ायती व स्वस्थ भोजन तक पहुँच आसान बनानी होगी.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी, खान-पान के तरीक़ों में बदलाव के साथ-साथ, व्यायाम व क़सरत करने की भी सलाह देती है.

एजेंसी का कहना है, “शहरों व क़स्बों को, सुरक्षित चहल-क़दमी, टहलने, साइकिल चलाने व मनोरंजन के लिये और ज़्यादा जगहें मुहैया करानी होंगी, साथ ही स्कूलों को, शिशुओं के शुरुआती जीवनकाल से ही स्वस्थ आदतें विकसित करने में, परिवारों की मदद करनी हो.”

रोकथाम के लिये कार्रवाई योजना

विश्व स्वास्थ्य संगठन का सचिवालय, सदस्य देशों से अनुरोध प्राप्त होने पर, मोटापे की रोकथाम, उच्च दबाव वाले देशों में इस महामारी का मुक़ाबला करने और वैश्विक कार्रवाई को उत्प्रेरित के लिये, एक त्वरित कार्रवाई योजना भी बना रहा है.

इस योजना पर, मई 2022 में आयोजित होने वाली 76वीं विश्व स्वास्थ्य ऐसेम्बली में चर्चा होगी.